Edited By swetha,Updated: 20 May, 2019 10:53 AM
पंजाब में चाहे अकाली-भाजपा सरकार हो या कांग्रेस सरकार, सरकारी अस्पतालों में तो आम जनता को परेशानियों का सामना करना ही पड़ता है और उनकी कोई सुनवाई नहीं होती। यह हालात फगवाड़ा के सरकारी अस्पताल में भी देखने को मिले, जहां एक मरीज को जालंधर सिविल...
जालंधर(शौरी): पंजाब में चाहे अकाली-भाजपा सरकार हो या कांग्रेस सरकार, सरकारी अस्पतालों में तो आम जनता को परेशानियों का सामना करना ही पड़ता है और उनकी कोई सुनवाई नहीं होती। यह हालात फगवाड़ा के सरकारी अस्पताल में भी देखने को मिले, जहां एक मरीज को जालंधर सिविल अस्पताल रैफर तो कर दिया लेकिन उसे सरकारी एम्बुलैंस नहीं दी गई।
पीड़ित नीलम देवी ने बताया कि वह अपनी बहू मंजीत पत्नी कुलविंद्र को गंभीर हालत में गोराया के सरकारी अस्पताल ले गई जहां से उसको फगवाड़ा के सिविल अस्पताल रैफर कर दिया गया। वहां डाक्टर ने कुछ ट्रीटमैंट देने के बाद उसे जालंधर के सिविल अस्पताल में रैफर कर दिया। पीड़ित नीलम ने बताया कि एम्बुलैंस के लिए 108 पर कॉल किया गया तो उत्तर मिला कि थोड़ी देर में आ रहे हैं पर 2 घंटे इंतजार करने के बाद भी एम्बुलैंस वाले नहीं आए, इस पर मजबूरी में उन्हें प्राइवेट एम्बुलैंस से मरीज को जालंधर सिविल अस्पताल लाना पड़ा, जिसका 700 रुपए किराया देना पड़ा।
सूत्रों के मुताबिक सरकारी अस्पतालों में कमीशनखोरी का काम जोरों से चल रहा है और इसके चक्कर में ही एम्बुलैंस वाले पीड़ितों को इंतजार करवाते हैं। गौर हो कि सरकार द्वारा 108 की एम्बुलैंस लोगों को सरकारी अस्पतालों में लेकर जाने के लिए शुरू की गई थी, जिसके तहत मरीजों को यह सुविधा फ्री में मुहैया करवाई गई है। दूसरी ओर फगवाड़ा के सीनियर मैडीकल अफसर डा. दविंद्र सिंह का कहना है कि यदि ऐसा हुआ है तो वह गलत है। मरीजों को प्राइवेट एम्बुलैंस में लेकर जाने के मामले की जांच करेंगे और रिपोर्ट सीनियर अधिकारियों को भेजेंगे।