सिविल अस्पताल में ‘खून’ का खेल, ऐसे हुआ पर्दाफाश

Edited By Vatika,Updated: 20 Sep, 2018 11:58 AM

civil hospital jalandhar

सिविल अस्पताल परिसर में स्थापित जच्चा-बच्चा वार्ड में एक आशा वर्कर ने गर्भवती महिला को खून दिलाने के लिए उसके पति से 1500 रुपए ऐंठ लिए लेकिन शाम तक उसे खून नहीं दिला सकी। पीड़ित पति ने डा. बी.आर. अम्बेदकर ब्लड डोनर्स एसो. के सदस्य पुनीत ढींगरा को...

जालंधर(शौरी): सिविल अस्पताल परिसर में स्थापित जच्चा-बच्चा वार्ड में एक आशा वर्कर ने गर्भवती महिला को खून दिलाने के लिए उसके पति से 1500 रुपए ऐंठ लिए लेकिन शाम तक उसे खून नहीं दिला सकी। पीड़ित पति ने डा. बी.आर. अम्बेदकर ब्लड डोनर्स एसो. के सदस्य पुनीत ढींगरा को समस्या बताई तो उसने अपने प्रधान जतिन मट्टू व बाकी सदस्यों को अस्पताल बुलाया जिन्होंने आशा वर्कर से इस बाबत पूछा तो वह 1500 रुपए फैंक कर मौके से फरार हो गई। सदस्यों ने उसे काबू कर अस्पताल के अधिकारियों व पुलिस को सूचित किया। 
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जानकारी के मुताबिक कैंट के मोहल्ला नंबर 30 निवासी सुझात पुत्र गोरंगा अपनी गर्भवती पत्नी कुसुम को लेकर सिविल अस्पताल के जच्चा-बच्चा वार्ड में पहुंचा। डाक्टर ने मरीज को खून चढ़ाने को कहा व स्टाफ ने सुझात को जल्दी ब्लड का प्रबंध करने को कहा। इसी दौरान वार्ड में दूसरे मरीज के साथ घूम रही गुरु नानक पुरा ईस्ट निवासी आशा वर्कर ने सुझात से भेंट कर कहा कि वह डोनर का प्रबंध कर देगी, 1500 रुपए लगेंगे। पैसे लेकर आशा वर्कर ने थोड़ी देर इंतजार करने को कहा।

मैडीकल सुपरिंटैंडैंट करेंगे अगली कार्रवाई
देर शाम तक आशा वर्कर वापस नहीं लौटी व पीड़ित एमरजैंसी वार्ड की तरफ आशा वर्कर को ढूंढता रहा। वहीं अपने हाथ में लगी चोट का उपचार करवाने पहुंचे पुनीत ढींगरा को बात पता चली तो बात फैली व ब्लड बैंक के इंचार्ज डा. गगनदीप सिंह भी पहुंचे और पीड़ित की स्टेटमैंट लिखने के बाद मैडीकल सुपरिंटैंडैंट को बात बताई। डा. गगनदीप का कहना है कि आशा वर्कर ने सभी के सामने अपनी गलती मान ली है और अगली कार्रवाई मैडीकल सुपरिंटैंडैंट ही करेंगे। अस्पताल पहुंचे थाना-4 में तैनात ए.एस.आई. जगदीश सिंह ने बताया कि उनके पास पीड़ित पक्ष की शिकायत नहीं आई है, शिकायत आने पर वह केस दर्ज करेंगे।

आरोपी बोली-मैं अकेली नहीं, स्टाफ नर्स तथा बाकी स्टाफ भी लेता है पैसे
सिविल अस्पताल के एमरजैंसी वार्ड में डा. गगनदीप सिंह व बाकी मीडिया कर्मियों के सामने आशा वर्कर बोली कि उसने तो मदद के लिए पैसे लिए थे। डोनर न आने के कारण देर शाम वह पैसे वापस करने पहुंची और फंस गई। गुस्से में आशा वर्कर ने तो यह तक कह डाला कि डिलीवरी के बाद महिलाओं के परिजनों से स्टाफ नर्स 500 रुपए से लेकर 2100 रुपए तक बधाई मांगती हैं। डिलीवरी के बाद मरीज को शिफ्ट करने वाला स्टाफ, वार्ड में सफाई करने वाले भी बधाई लेते हैं। बाद में नवजात बच्चे के जन्म सर्टीफिकेट का फार्म भरने वाले भी बधाई लेकर ही सर्टीफिकेट देते हैं। आशा वर्कर को तो महज एक मरीज के दिनभर साथ रहने व टैस्ट आदि करवाने के बाद 200 रुपए व रात मरीज के साथ रहने का 250 रुपया मिलता है लेकिन कई माह बाद ही पैसे जारी होते हैं, सरकार ने कौन से उनका वेतन लगाया हुआ है।

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