सुलझने की बजाय उलझा बच्ची के लापता होने का मामला

Edited By Anjna,Updated: 24 Apr, 2018 09:12 AM

child missing case

सिविल अस्पताल में कुछ दिन पहले जन्मी नवजात बच्ची लापता होने का मामला उलझ गया है, एक तरफ जहां बच्ची के परिजनों का आरोप है कि आशा वर्कर बच्ची को उठाकर ले गई तो दूसरी ओर आशा वर्कर का आरोप है कि दम्पति ने पैसे लेकर बच्ची को बेचा है।

जालंधर (शौरी): सिविल अस्पताल में कुछ दिन पहले जन्मी नवजात बच्ची लापता होने का मामला उलझ गया है, एक तरफ जहां बच्ची के परिजनों का आरोप है कि आशा वर्कर बच्ची को उठाकर ले गई तो दूसरी ओर आशा वर्कर का आरोप है कि दम्पति ने पैसे लेकर बच्ची को बेचा है। सुरेश पुत्र अमर सिंह निवासी खुरला किंगरा ने बताया कि वह फैक्टरी में काम करता है और उसकी 4 बेटियां है। इसके बाद पत्नी दोबारा से गर्भवती हुई तो उसे आशा वर्कर जस्सी सिविल अस्पताल लाई जहां कुछ दिन पहले पत्नी की कोख से बेटी पैदा हुई।

आशा वर्कर के कहने पर वह अस्पताल से छुट्टी करवाकर बेटी को घर लाए। बेटी को खांसी हुई तो आशा वर्कर उसे डाक्टर को दिखाने के बहाने ले गई और वापस न लौटी। पीड़ित सुरेश के मुताबिक उन्होंने आशा वर्कर को कहा कि वह पुलिस को उसके खिलाफ शिकायत करेंगे तो उलटा आशा वर्कर ने थाना 7 की पुलिस को उनके खिलाफ झूठी शिकायत देकर डराया और बाद में कचहरी में ले जाकर पंजाबी भाषा में लिखे एफिडैविट पर उनके साइन करवा लिए लेकिन अभी तक बच्ची उन्हें वापस नहीं दी जा रही है। उन्होंने पुलिस के सीनियर अधिकारियों से मांग की है कि उनकी बच्ची उन्हें वापस दिलाई जाए।

बच्ची तो मां-बाप ने 1 लाख 20 हजार में बेची थी : आशा वर्कर
वहीं फोन पर आशा वर्कर जस्सी से बात करने पर उसका पक्ष था कि सुरेश व उसकी पत्नी झूठे आरोप लगा रहे हैं क्योंकि उन्होंने अपनी मर्जी से गोदनामा एफिडैफिट तैयार कर बच्ची पठानकोट के गांव जीजपुर राम कालोनी निवासी रीटा को दी थी क्योंकि रीटा मां नहीं बन सकती थी। बच्ची देने के बदले में दम्पति ने 1 लाख 20 हजार की राशि ली और खुद कचहरी जाकर दस्तावेज पर साइन किए। लेकिन इसके बाद वे 2 लाख और मांगने लगे और अब झूठी कहानी रच रहे हैं।

बच्चों की खरीद-फिरोख्त का खेल जालंधर में है जारी
आशा वर्कर की बात पर यकीन किया जाए तो दम्पति ने पैसे लेकर यदि बच्ची बेची है तो यह कानूनी अपराध है। नियमों के मुताबिक बच्चा गोद लेने से पहले डी.सी. की परमिशन लेनी पड़ती है न की एफिडैविट की।

गौर हो कि साल पहले सिविल अस्पताल के गायनी वार्ड से एक महिला ने नवजात बच्चे को चुराकर उसे बेच डाला था। मामले में खूब हंगामा हुआ था। थाना 4 की पुलिस ने केस दर्ज किया तो जांच अधिकारी सब-इंस्पैक्टर भगवंत भुल्लर ने मामले की जांच करने के बाद केस सुलझाया, तब भी पता चला था कि बस्ती दानिशमंदां निवासी महिला ने अस्पताल से बच्चा चोरी कर हरगोङ्क्षबद नगर निवासी बांझ महिला को 40 हजार में बेच दिया था और साथ ही लुधियाना के सरकारी अस्पताल से नवजात बच्चा उठा लिया था जिसे भी वह बेचने की फिराक में थी। पुलिस ने दोनों नवजात बच्चों को सही सलामत बरामद कर लिया था। यदि इस मामले में पुलिस अधिकारी सही तरीके  से जांच करें तो शायद बच्चे बेचने-खरीदने वाला कोई गिरोह भी पुलिस के हाथ लग सकता है।

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