Edited By Vatika,Updated: 12 May, 2018 09:42 AM
हम बरसों से देखते आ रहे हैं कि बस अड्डे पर व बसों में घूम-फिर कर 10-20 रुपए में सामान बेचने वाले कठिन परिश्रम करके अपने परिवार का पेट पालते है लेकिन अब उनकी रोजी-रोटी पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं क्योंकि बस अड्डे पर उनकी एंट्री अब बैन-सी होने लगी...
जालंधर(पुनीत): हम बरसों से देखते आ रहे हैं कि बस अड्डे पर व बसों में घूम-फिर कर 10-20 रुपए में सामान बेचने वाले कठिन परिश्रम करके अपने परिवार का पेट पालते है लेकिन अब उनकी रोजी-रोटी पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं क्योंकि बस अड्डे पर उनकी एंट्री अब बैन-सी होने लगी है क्योंकि बस अड्डे का संचालन करने वाली कम्पनी ने घूम-फिर कर सामान बेचने वालों से 3000 प्रति माह की डिमांड कर दी है।
गौरतलब है कि मानवीय पहलू को ध्यान में रखते हुए रोडवेज ने इतने वर्षों से ऐसे लोगों से किसी तरह का कोई टैक्स या राशि की कभी डिमांड नहीं की थी। 3000 रुपए की डिमांड से खफा उक्त लोगों ने आज बस अड्डे पर प्राइवेट कम्पनी के खिलाफ रोष जताते हुए कहा कि कम्पनी के इन आदेश से उन्हें बेहद आश्चर्य हो रहा है। इस क्रम में आज उक्त मजदूर हॉकरों ने पंजाब रोडवेज डिपो-1 के जी.एम. परनीत सिंह मिन्हास से मुलाकात करके अपनी समस्या के संबंध में बताया।
बस स्टैंड की मजदूर हॉकर यूनियन के सदस्यों ने बताया कि बस अड्डे का टैंडर हासिल करने वाली प्राइवेट कम्पनी आर.आर.के.के. इंफ्रास्ट्रैक्चर नामक कम्पनी द्वारा सस्ता सामान जैसे टॉफी-गोलियां, नारियल गिरी, 10-10 रुपए वाली किताबें इत्यादि बेचने वालों से 3 हजार रुपए प्रति माह की जो मांग की जा रही है, वह मान पाना संभव नहीं है इसलिए आवश्यकता है कि रोडवेज प्रशासन उनकी इस समस्या का हल करवाए।