12 लाख की आबादी, बम निरोधक दस्ते में सिर्फ 6 मुलाजिम

Edited By Vatika,Updated: 12 Oct, 2018 12:30 PM

bomb detention squad

जालंधर शहर में करीब 12 लाख की आबादी को किसी भी खतरे से उबारने के लिए पुलिस द्वारा बनाए गए बम निरोधक दस्ते में सिर्फ 6 पुलिस मुलाजिम हैं।  सी.टी. इंस्टीच्यूट से भारी विस्फोटक सामग्री व हथियारों के साथ पकड़े जाने के बाद पूरे महानगर में दहशत फैली हुई...

जालंधर(राजेश): जालंधर शहर में करीब 12 लाख की आबादी को किसी भी खतरे से उबारने के लिए पुलिस द्वारा बनाए गए बम निरोधक दस्ते में सिर्फ 6 पुलिस मुलाजिम हैं।  सी.टी. इंस्टीच्यूट से भारी विस्फोटक सामग्री व हथियारों के साथ पकड़े जाने के बाद पूरे महानगर में दहशत फैली हुई है। ऐसे में ‘पंजाब केसरी’ ने इस संबंध में तफ्तीश की कि अगर जालंधर में बम ब्लास्ट जैसा कोई खतरा मंडराता है तो पुलिस का बम निरोधक दस्ता उससे निपटने में कितना सक्षम है। पुलिस लाइन स्थित बम निरोधक दस्ते के इंचार्ज जगतार सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि बम निरोधक दस्ते में सिर्फ 6 और बम डिफ्यूजल दस्ते में 25 मुलाजिम हैं। बम डिफ्यूजल दस्ता पी.ए.पी. में तैनात है। बम की सूचना मिलने पर उनकी टीम के 2 मुलाजिमों को एक स्थान पर भेजा जाता है, जोकि बम होने की जांच करता है। उनकी टीम किसी भी विपदा से निपटने में सक्षम है। 

खुद सर्च करने से पहले लेते हैं डॉग स्क्वायड का सहारा
जगतार सिंह ने बताया कि बम की सूचना मिलने पर खुद सर्च करने से पहले दस्ता ट्रेंड डॉग्स की सहायता लेता है। जिस जगह पर बम पड़ा होने का संदेह होता है तो डॉग उस जगह को सूंघता है। अगर वहां बम हो तो डॉग उसी जगह पर लेट कर बम होने का इशारा देता है, जिसके बाद बम निरोधक दस्ता बम स्कैनर की सहायता से बम को डिटैक्ट करता है। उसके बाद बम डिफ्यूजल टीम को मौके पर बुलाया जाता है। 

बम निरोधक दस्ते के पास नहीं है बुलेट प्रूफ जैकेट 
सब-इंस्पैक्टर जगतार सिंह ने बताया कि लोगों की बम से जान बचाने वाले बम निरोधक दस्ते के पास बम को खोजने के लिए तो कई आधुनिक डिटैक्टर हैं पर खुद की जान बचाने के लिए उनके पास बुलेट प्रूफ जैकेट तक नहीं है। दस्ता अपनी सूझ-बूझ से ही बम को डिटैक्ट करता है और अपनी जान पर खेल कर बम के नजदीक जाते हैं। 

1 किलो आर.डी.एक्स. से तैयार हो सकते हैं 5 से 10 बम
उन्होंने बताया कि 1 किलो आर.डी.एक्स से 5 से 10 बम तैयार हो सकते हैं। एक बम के ब्लास्ट से 100 मीटर के दायरे में नुक्सान हो सकता है। 

रोजाना 1 घंटा होती है डॉग्स की ट्रेनिंग
डॉग्स को ट्रेनिंग देने वाले हैड कांस्टेबल बलदेव राज ने बताया कि उनके पास 4 डॉग्स हैं जिनमें से 3 डॉग्स बम निरोधक दस्ते के लिए काम करते हैं व 1 डॉग नार्कोटिक्स सैल के लिए काम करता है। बम निरोधक दस्ते में काम करने वाले डॉग अलका, जीनत, मैगी तथा जिम्मी को रोजाना सुबह 6 से लेकर 7 बजे तक ट्रेनिंग दी जाती है। 

800 प्रकार का होता है बारूद और 5 प्रकार के बम
सब-इंस्पैक्टर जगतार सिंह ने बताया कि बम को बनाने में इस्तेमाल होने वाला बारूद 800 प्रकार का है जबकि बम 5 प्रकार के हैं जिनमें टाइमर बम, हैंड गे्रनेड, सैंसर बम, रिमोट बम, कमांड बम शामिल हैं। 

दस्ते ने अंतिम बार पुरानी कचहरी व पठानकोट चौक से बरामद किए थे बम
सब-इंस्पैक्टर जगतार सिंह ने बताया कि बम निरोधक दस्ते ने करीब डेढ़ साल पहले कचहरी चौक व पठानकोट चौक के पास से बम बरामद किए थे। उन्होंने बताया कि पुरानी कचहरी के पास से हैंड ग्रेनेड मिला था जिसकी रिपोर्ट थाना-4 में दर्ज है। 

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