कई जिलों में बड़े स्तर पर चल रहा है बैकलॉग एंट्री का फर्जीवाड़ा

Edited By swetha,Updated: 20 Aug, 2018 08:22 AM

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कुछ दिन पहले पंजाब केसरी द्वारा परिवहन विभाग में बहुत बड़े स्तर पर चल रहे फर्जीवाड़े को उजागर किया गया था जिसमें बताया गया था कि कैसे बिना कोई पुराना लाइसैंस बनवाए एजैंट और निजी कंपनी के कर्मचारी आपसी सांठ-गांठ के दम पर किसी भी व्यक्ति को नया...

जालंधर(अमित): कुछ दिन पहले पंजाब केसरी द्वारा परिवहन विभाग में बहुत बड़े स्तर पर चल रहे फर्जीवाड़े को उजागर किया गया था जिसमें बताया गया था कि कैसे बिना कोई पुराना लाइसैंस बनवाए एजैंट और निजी कंपनी के कर्मचारी आपसी सांठ-गांठ के दम पर किसी भी व्यक्ति को नया लाइसैंस जारी करवाकर दे रहे हैं। 

जालंधर के अलावा यह फर्जीवाड़ा दूसरे जिलों में भी बड़े स्तर पर चल रहा है। 40 करोड़ से ऊपर के हैवी लाइसैंस घोटाले की भांति इस बार भी मोटे स्तर पर इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया है व इसमें भी लाखों-करोड़ों का लेन-देन हुआ है। सूत्रों से पंजाब केसरी को एक ऐसे ही लाइसैंस की जानकारी प्राप्त हुई है, जो किसी अन्य व्यक्ति के लाइसैंस की फोटो को एडिट करके बनाया गया है। इस पूरे मामले की अगर गहन जांच की जाती है, तो बहुत बड़ी मछलियां इसमें फंस सकती हैं और कई अन्य घोटाले भी सामने आ सकते हैं, क्योंकि इस घोटाले को अंजाम देने वाला मास्टरमाइंड पहले जालंधर में भी तैनात रह चुका है।

ठोस कार्रवाई न होने की वजह से बढ़ चुके हैं हौसले
निजी कंपनी के कर्मचारियों के हौसले इतने बढ़ चुके हैं कि उन्हें किसी कानून की कोई परवाह ही नहीं है, क्योंकि आज तक दर्जनों घोटाले सामने आने के बाद भी किसी कर्मचारी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई की ही नहीं गई है जिससे उन्हें लगता है कि वे चाहे कुछ भी कर लें, कोई उनका कुछ बिगाड़ ही नहीं सकता है।

पूरे प्रदेश में जालंधर का खास मुकाम, ट्रेङ्क्षनग सैंटर की भांति जालसाजी की दी जा रही सिखलाई
निजी कंपनी के कर्मचारी पूरे प्रदेश में अलग-अलग जिलों के अंदर तैनात हैं, मगर प्रदेश में जालंधर का खास मुकाम है जहां के ट्रैक और दफ्तर को एक उच्च स्तरीय ट्रेङ्क्षनग सैंटर की भांति इस्तेमाल किया जा रहा है। यहां काम करने वाले कर्मचारियों को सफाई से जालसाजी कैसे की जा सकती है, की सिखलाई दी जा रही है। जब यहां काम करने वाले कर्मचारी जब किसी अन्य जगह जाते हैं तो बिल्कुल जालंधर की तर्ज पर वहां मोटे लैवल पर फर्जीवाड़ों को अंजाम देने लगते हैं। 

चंद हजार सैलरी वाले कर्मचारी बन गए सम्पत्तियों के मालिक, विदेशों में हो रहे सैटल
अधिकारियों की लापरवाही का ही नतीजा है कि बतौर डाटा एंट्री आप्रेटर चंद हजार रुपए की नौकरी करने वाले कर्मचारी कुछ ही समय में लाखों की सम्पत्तियों के मालिक बन चुके हैं और कुछ ऐसे भी हैं जो समय रहते पैसे कमाकर विदेश में सैटल भी होने लगे हैं।

निजी कंपनी के उच्चाधिकारी की है पूरी शह
सूत्रों की मानें तो निजी कंपनी के एक उच्चाधिकारी की गलत काम करने वाले स्टाफ को पूरी शह प्राप्त है। उसके पास हर महीने एक निश्चित राशि पहुंचाई जाती है तथा उसे टूर प्रोग्राम के दौरान अन्य सेवाएं भी उपलब्ध करवाई जाती हैं। इस वजह से वह स्टाफ का हर मुसीबत में साथ देता रहता है। जब भी कोई अधिकारी किसी कर्मचारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए कहता है तो उसे किसी अन्य जगह ट्रांसफर करने या फिर कुछ दिन के लिए छुट्टी देने जैसी मामूली कार्रवाई करके बचा लिया जाता है ताकि वह दूसरी जगह जाकर अपनी काली कमाई का धंधा जारी रख सके।

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