Edited By Vatika,Updated: 19 Nov, 2018 02:33 PM
परिवहन विभाग के अंदर आपरेट करने वाले एजैंट और लालची किस्म के कर्मचारियों द्वारा पैसों के लालच में हर तरह के गल्त काम करने के मामले आए दिन सामने आते ही रहते हैं। मगर हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिससे पता लगता है कि एजैंटों के साथ मिलकर...
जालंधर (अमित): परिवहन विभाग के अंदर आपरेट करने वाले एजैंट और लालची किस्म के कर्मचारियों द्वारा पैसों के लालच में हर तरह के गल्त काम करने के मामले आए दिन सामने आते ही रहते हैं। मगर हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिससे पता लगता है कि एजैंटों के साथ मिलकर परिवहन विभाग के कर्मचारियों ने भ्रष्टाचार के सारे रिकार्ड ही तोड़ दिए हैं।
क्या है मामला, कैसे हुई इतनी बड़ी चूक?
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पूर्व डी.टी.ओ. दफ्तर द्वारा एक मारुती एस.एक्स. 4 गाड़ी जिसकी रजिस्ट्रेशन तिथि 15 सितम्बर 2009 है, को लै. कर्नल अमित रायजादे, हैडक्वाटर 11 काप्र्स (ओ.आर.डी.) 56 ए.पी.ओ. के नाम पर रजिस्टर कर एक पेपर आर.सी. जारी की गई थी, जिसे दफ्तर की तरफ से पी.बी. 08 बी.के. &474 नंबर अलाट किया गया था। मौजूदा समय के अंदर जब परिवहन विभाग का लगभग सारा रिकार्ड ऑनलाइन हो चुका है। ऐसे में अगर पी.बी. 08 बी.के. &474 नंबर का रिकार्ड ऑनलाइन चैक किया जाता है तो उसकी जो जानकारी कम्प्यूटर स्क्रीन पर आती है। उसे देखकर कोई भी चौक जाएगा। विभाग के पास दर्ज ऑनलाइन रिकार्ड के मुताबिक उक्त गाड़ी किसी मेजर अमित त्रिपाठी के नाम पर रजिस्टर्ड है जबकि गाड़ी की रजिस्ट्रेशन तारीख 25 सितम्बर, 2009 नकार आ रही है और गाड़ी भी मारुती स्विफ्ट डिकाायर है। बड़ी हैरानी वाली बात है कि आखिर कैसे एक ही नंबर दो अलग-अलग व्यक्तियों को 2 अलग-अलग गाडिय़ों के लिए जारी किया जा सकता है।
मामले की होगी जांच, दोषियों के खिलाफ होगी कड़ी कार्रवाई : सैक्रेटरी आर.टी.ए.
सैक्रेटरी आर.टी.ए. कंवलजीत सिंह का कहना है कि मामला काफी पुराना है। इसकी गहन जांच-पड़ताल करवाई जाएगी। अगर कोई कर्मचारी या एजैंट इसमें दोषी पाया जाता है तो उसको लेकर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
एक निजी कारिंदे और सरकारी बाबू का नाम प्रमुखता से आ रहा सामने
2009 के अंदर एक ही नंबर दो अलग-अलग गाडिय़ों को जारी करने के मामले में एक निजी कारिंदा जिसका 2009 में तत्कालीन डी.टी.ओ. दफ्तर में एकछत्र राज था और एक सरकारी बाबू जो सरकारी रैवेन्यू को लेकर काफी सुर्खियों बटोर चुका है। दोनों का नाम काफी प्रमुखता से सामने आ रहा है। वैसे मामले की स"ााई क्या है, यह तो आने वाल समय ही बताएगा।
दोनों गाडिय़ां फौजी अफसरों के नाम एक संयोग या साजिश?
सोचने वाली बात है कि जिन पी.बी.-08 बी.के. 3474 नंबर का जिक्र किया जा रहा है, उस नंबर वाली दोनों गाडिय़ां ही फौजी अफसरों के नाम पर रजिस्टर हैं। यह अपने आप में मात्र एक संयोग है या फिर इसके पीछे एक बहुत बड़ी साजिश का हाथ है। यह तो गहन जांच के उपरांत ही पता लग सकता है। मगर इतना साफ है कि दोनों गाडिय़ों की टाईप, उनका इंजन नंबर, चैसीका नंबर आदि सब अलग है। फिर ऐसे कैसे दो अलग-अलग गाडिय़ों को एक ही नंबर अलाट हो गया। इस मामले की गहन जांच होना बेहद कारूरी है।