Edited By Updated: 10 Jan, 2017 01:53 PM
हलका डेरा बाबा नानक में चाहे विकास के कुछ कार्य हलका इंचार्ज ज. सुच्चा सिंह लंगाह की ओर से किए गए हैं
डेरा बाबा नानकः हलका डेरा बाबा नानक में चाहे विकास के कुछ कार्य हलका इंचार्ज ज. सुच्चा सिंह लंगाह की ओर से किए गए हैं लेकिन उसके बावजूद कई चीजें जिनमें लड़कियों के लिए कालेज, कलानौर में छावनी, नौजवानों के लिए रोजगार के अवसर आदि ऐसी कई मांगें हैं जो अभी तक 10 वर्ष की अकाली भाजपा सरकार द्वारा पूरी नहीं की गई जिसके चलते आज भी नौजवानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि ग्रामीण व सीमावर्ती हलका होने से यहां रोजगार व पढ़ाई के मौके बच्चों के लिए ना-मात्र से हैं जिसके चलते इनकी तरफ सख्त ध्यान देेने की आवश्यकता है। चाहे सडक़ें, स्ट्रीट लाइट, सीवरेज व पेयजल की व्यवस्था कुछ हद तक सरकार द्वारा की गई है लेकिन अभी अन्य मूलभूत सुविधाओं को विकसित करने की जरूरत है।
मुख्य मुद्दा
डेरा बाबा नानक एक सीमावर्ती कस्बा है जो भारत-पाक सीमा से सटा है, यहां सीमवर्ती क्षेत्र में न तो कोई बड़ी इंडस्ट्री है व न ही बड़ा रोजगार का साधन जिसके बेरोजगारी की समस्या इस हलके में काफी ज्यादा है। एक तरफ तो नौजवान बेरोजगार है लेकिन दूसरी तरफ नशों की अलामत से अपने जीवन को बर्बाद कर रहे हैं। लोगों की मुख्य मांग इस हलके में नौजवानों के लिए रोजगार के मौके पैदा करना व नशो की गिरफ्त में से युवाओं को बाहर निकालना है। इसके अलावा सेहत सुविधाओं की तफ भी ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि सरकारी अस्पताल मूलभूत सुविधाओं से वंचित है और जब भी कोई एमरजैंसी रोगी आता है तो अधिकतर अमृतसर या गुरदासपुर रैफर कर दिया जाता है। और तो और हलके में पड़ते कस्बा कलानौर जिसे चुनाव के मद्देनजर सब-डिवीजन का दर्जा दिलाया गया है, वहां न तो बच्चों के लिए कोई डिग्री कालेज है व न ही उच्च शिक्षा को काई प्रबंध। बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु साथ लगते बटाला या अमृतसर के कालेजों में दाखिला लेकर पढ़ाई करनी पड़ती है।