होशियारपुर में भी दम तोड़ चुकी है ‘बालड़ी रक्षक योजना’

Edited By swetha,Updated: 15 Oct, 2018 10:07 AM

save girl child

1 अप्रैल 2005 को तत्कालीन पंजाब सरकार ने कुड़ीमार का कलंक मिटाने की योजना के तहत राज्य में ङ्क्षलग अनुपात का स्तर सही रखने, आबादी को स्थिर रखने में योग्य दम्पतियों को परिवार नियोजन के स्थायी तरीके अपनाने व छोटी आयु में बच्चों की मृत्यु दर को कम करने...

होशियारपुर(अमरेन्द्र): 1 अप्रैल 2005 को तत्कालीन पंजाब सरकार ने कुड़ीमार का कलंक मिटाने की योजना के तहत राज्य में ङ्क्षलग अनुपात का स्तर सही रखने, आबादी को स्थिर रखने में योग्य दम्पतियों को परिवार नियोजन के स्थायी तरीके अपनाने व छोटी आयु में बच्चों की मृत्यु दर को कम करने के लिए ‘बालड़ी रक्षक योजना’ शुरू की थी। 

इस योजना तहत पंजाब के अन्य जिलों की तरह होशियारपुर जिले के भी 114 परिवारों को इस योजना का सीधे तौर पर लाभ मिला था। साल 2012 के बाद फंड की कमी के नाम पर लोगों को इस योजना का लाभ मिलना बंद हो गया। अब हाल यह है कि अकेले होशियारपुर जिले के 117 परिवारों ने इस योजना का लाभ हासिल करने के लिए फाइलें तो भेजी हैं लेकिन साल 2012 के बाद से इनमें से किसी भी परिवार को इस योजना तहत एक भी पैसा नहीं मिला। हालत यहां तक पहुंच गई है कि लोगों का भरोसा ही इस योजना से उठने लगा है जिस वजह से अब कोई आवेदन तक नहीं करता।

मिलते हैं 18 साल तक लड़की के खाते में हर माह 500 रुपए
गौरतलब है कि सरकार की ओर से ‘बालड़ी रक्षक योजना’ अधीन घर में लड़की पैदा होने पर उसके नाम से बैंक में खाता खोला जाता है। इस योजना तहत राज्य सरकार की ओर से पहले बच्चे के रू प में लड़की पैदा होने व दूसरा बच्चा पैदा होने पर दम्पति द्वारा परिवार नियोजन का स्थायी तरीका अपनाने के बाद लड़की के खाते में 18 साल तक हर महीने 500 रुपए जमा करवाने का प्रावधान है।

आर्थिक तंगी आ रही आड़े
राज्य में बालिकाओं के लिए तैयार सुरक्षा कवच सरकारों के बदलने के साथ-साथ खुद सुरक्षा का मोहताज हो चुका है। पंजाब सरकार की ‘बालड़ी रक्षक योजना’ राज्यभर में तकरीबन पूरी तरह से दम तोड़ चुकी है। राज्य सरकार के अधिकारी इसे जिंदा रखने के लिए जोर लगा रहे हैं परंतु राज्य सरकार की आर्थिक तंगी आड़े आ रही है। शुरूआती दौर में इस योजना का कुछ लाभाॢथयों ने लाभ उठाया परंतु साल 2012-2013 के बाद लाभाॢथयों को लगातार निराशा हाथ लगने लगी है। पूछने पर स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों ने स्वीकार किया कि लम्बे अर्से से योजना बंद पड़ी है। इस संबंध में राज्य सरकार को योजना पुन: शुरू करने के लिए वित्त विभाग से अनुमति लेने के लिए फाइल भेजी हुई है।

क्या है पंजाब में लिंग अनुपात
मिली जानकारी अनुसार पंजाब में साल 2009 में ङ्क्षलग अनुपात 1,000 लड़कों के पीछे 909, 2017 में 863 वहीं सितम्बर 2018 तक 916 था। पंजाब में इस समय मातृ मृत्यु दर 120.5 आंकी गई है वहीं बाल मृत्यु दर 14.70 है।

क्या कहते हैं राज्य के स्वास्थ्य मंत्री 
जब इस संबंध में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्री ब्रह्म महिंद्रा से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि बाहर होने की वजह से इस योजना के संबंध में फिलहाल कुछ नहीं बता सकते। इस योजना तहत लाभपात्रों को लाभ क्यों नहीं मिल रहा, के बारे में जानकारी अधिकारियों से लेने के बाद ही वह बता सकते हैं। 
 

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