Edited By swetha,Updated: 17 Dec, 2018 12:03 PM
होशियारपुर शहर व जिले के विभिन्न भागों में दिसम्बर व जनवरी महीने में धुंध का कहर शुरू हो जाता है। धुंध का नाम आते ही सबसे पहले दिमाग में यह बात कौंध जाती है कि सड़क पर सुरक्षित कैसे रहें। मगर सारी योजनाएं उस समय धरी की धरी रह जाती हैं जब कोई हादसा...
होशियारपुर(अमरेन्द्र): होशियारपुर शहर व जिले के विभिन्न भागों में दिसम्बर व जनवरी महीने में धुंध का कहर शुरू हो जाता है। धुंध का नाम आते ही सबसे पहले दिमाग में यह बात कौंध जाती है कि सड़क पर सुरक्षित कैसे रहें। मगर सारी योजनाएं उस समय धरी की धरी रह जाती हैं जब कोई हादसा हो जाता है। ये हादसे तब तक नहीं रुक सकते जब तक पुलिस, परिवहन विभाग और जिला प्रशासन पूरी सख्ती के साथ ट्रैफिक रूल्स फॉलो नहीं करवाते। इसी लापरवाही के चलते धुंध के मौसम में सबसे बड़ा काल बनते हैं बड़े वाहन, खासतौर पर जिन वाहनों पर बिना ट्रैफिक व सुरक्षा नियमों की उपेक्षा कर सरिया लदा होता है। खुले तौर पर सड़कों पर दनदना रहे सरिया से लदे ट्रक, ट्राला व ट्रैक्टर यमदूत बनकर दौड़ रहे हैं पर इसको रोकने के लिए कोई भी विभाग सजग नजर नहीं आ रहा है।
रात के समय होती हैं ज्यादा दुर्घटनाएं
बहुत से ट्रक व ट्राले बाहर लटकता सरिया लेकर रात को शहर के बाहर मुख्य सड़कों पर सफर करते हैं। रात को सड़कों पर रोशनी की कमी और लो विजीबिलिटी के कारण दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है और पीछे से आ रहे वाहन चालकों को बाहर लटकता सरिया दिखाई नहीं देता और यह पीछे वाली गाड़ी का शीशा तोड़कर आर-पार हो जाता है। कई बार पीछे वाली गाड़ी में बैठे व्यक्तियों की मौके पर ही मौत हो जाती है। बहुत से ट्रक वाले लटकते सरिए के ऊपर लाल रंग का कपड़ा टांगकर यह दर्शाने की कोशिश करते हैं कि आगे वाली गाड़ी से आपको खतरा है, इसलिए थोड़ा फासला बनाकर गाड़ी चलाएं। अधिकतर ऐसे कंडम वाहनों पर कोई रिफ्लैक्टर या लाइटें नहीं लगी होतीं। अगर कोई रिफ्लैक्टर हो भी तो सरिए के पीछे छिप जाते हैं, जिनका नतीजा सड़क हादसों के रूप में निकलता है।
80 फीसदी ओवरलोड वाहनों पर नहीं होती कार्रवाई
सड़कों पर दौडऩे वाले ओवरलोड वाहन राजनीतिक पाॢटयों के साथ संबंध रखने वाले व्यक्तियों के हैं। जब पुलिस इन वाहनों को घेर कर कार्रवाई करना चाहती है तो या तो उनको राजनीतिक दबाव का सामना करना पड़ता है या फिर प्रशासनिक अधिकारियों का, जिस कारण 80 फीसदी ओवरलोड वाहनों को बिना कार्रवाई किए छोड़ दिया जाता है। सिर्फ इक्का-दुक्का वाहनों पर कार्रवाई की जाती है।
ओवरलोड व ओवरलैंथ वाहनों पर होती है कार्रवाई
संपर्क करने पर जिला ट्रैफिक इंचार्ज तलविन्द्र सिंह ने बताया कि ओवरलोड व ओवरलैंथ वाहनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है, वहीं उन वाहनों को बंद भी किया जाता है। उन्होंने कहा कि यदि कोई वाहन चालक सरिया या अन्य सामान अपने वाहन के सामथ्र्य से बाहर रखता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है।
बड़े हादसे को दे सकता है अंजाम
होशियारपुर की मुख्य सड़कों पर ही नहीं बल्कि शहर के अंदरूनी हिस्सों में भी सड़कों पर ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में लादकर सरिया ले जाया जा रहा है। सरिया लंबा होने के कारण कई फुट तक ट्रॉली से बाहर लटका रहता है, जो पीछे आने वाले वाहनों सहित लोगों के मुसीबत तो बनता ही है, साथ ही बाहर निकाला हुआ यह सरिया कभी भी बड़े हादसे को अंजाम दे सकता है। यही नहीं ठेलों व रिक्शों पर सरिया पूरी तरह नहीं आता है। इस वजह से आगे की ओर 15 तो पीछे की ओर भी लगभग 15 फुट तक सरिया बाहर निकला होता है। नियमानुसार ऐसे वाहनों के सड़कों पर चलने पर पूर्ण प्रतिबंध है।
पकड़े जाने पर कितना जुर्माना?
द मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 सैक्शन 180 की धारा 190(3) के अनुसार ऐसा वाहन चलाने वाले व्यक्ति को पहली बार पकड़े जाने पर 3 हजार रुपए तक जुर्माना या 1 साल की कैद या फिर जुर्माना और सजा दोनों का प्रावधान है। दूसरी बार इसी प्रकार का उल्लंघन करते पकड़े जाने पर 5 हजार रुपए तक जुर्माना या तीन साल की कैद या फिर जुर्माना और सजा दोनों का प्रावधान है। यदि कोई वाहन ओवरलोड है तो उसके चालक को 6500 से लेकर 10,000 रुपए तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। इसके अलावा उसके वाहन को बाऊंड भी किया जा सकता है।