176 अवैध कालोनियों पर नई रैगुलर पॉलिसी भारी

Edited By swetha,Updated: 30 Apr, 2018 10:15 AM

new regular policy heavy on 176 illegal colonies

पंजाब सरकार द्वारा जारी नई पॉलिसी के तहत राज्य के अन्य शहरों की ही तरह होशियारपुर शहर की भी 176 अवैध कालोनियों की रैगुलराइजेशन प्रक्रिया अभी भी दूर की कौड़ी लग रही है। कॉलोनाइजर्स की ओर से सरकार की तरफ से जारी नई पॉलिसी का विरोध शुरू हो गया है।

होशियारपुर (अमरेन्द्र): पंजाब सरकार द्वारा जारी नई पॉलिसी के तहत राज्य के अन्य शहरों की ही तरह होशियारपुर शहर की भी 176 अवैध कालोनियों की रैगुलराइजेशन प्रक्रिया अभी भी दूर की कौड़ी लग रही है। कॉलोनाइजर्स की ओर से सरकार की तरफ से जारी नई पॉलिसी का विरोध शुरू हो गया है। 

 

कालोनियों की रैगुलराइजेशन के लिए सरकार द्वारा जारी पॉलिसी में स्पष्ट किया गया है कि अवैध कालोनी में हुए निर्माण को रैगुलर कराने से पहले यह आवश्यक है कि कॉलोनाइजर उस कालोनी को रैगुलर करवाएं। इसके साथ ही प्लॉट रैगुलर करने के लिए डिवैल्पमैंट चार्ज वसूले जाएंगे। नई पॉलिसी के तहत रैगुलराइजेशन नहीं कराने वालों के बिजली, सीवरेज और पानी के कनैक्शन काटे जाएंगे वहीं बिना नक्शे और अवैध कालोनियों में हुए निर्माण को गिराया भी जा सकता है। 

रिहायशी प्लॉट को रैगुलर कराने के लिए तय की गई फीस
सरकार द्वारा जारी नई रैगुलर पॉलिसी में जहां एक ओर 20 जनवरी 2005 से पहले के प्लाटों की एन.ओ.सी. होने पर कोई शुल्क नहीं वसूलने की बात कही गई है वहीं यह भी स्पष्ट किया गया है कि 1 अप्रैल 2009 से रेट हर साल 6 फीसदी बढ़ेंगे। नगर निगम के अधीन आने वाले इलाकों में निगम ही रैगुलराइजेशन के रेट तय करेगा। पॉलिसी के अनुसार 50 वर्ग गज से कम के लिए कलैक्टर रेट का 0.5 फीसदी, 51 से 100 वर्ग गज के प्लॉट के लिए कलैक्टर रेट का 1 फीसदी, 101 से 250 वर्ग गज के लिए कलैक्टर रेट का 4 फीसदी, 250 वर्ग गज से ज्यादा के प्लॉट के लिए कलैक्टर रेट का 6 फीसदी शुल्क देना होगा। 

कालोनाइजरों की मुश्किलें नहीं हुईं आसान
प्लॉट होल्डरों और अवैध कालोनियों में रहने वालों पर कोई रहम नहीं किया गया है। जिन कालोनियों में 25 फीसदी बिल्ट-अप एरिया है उनमें 35 फीसदी हिस्सा सड़कों, पार्कों आदि के लिए होना अनिवार्य है। 30 फुट से कम चौड़ी सड़क मंजूर नहीं होगी। 25 से 50 फीसदी बिल्ट-अप एरिया वाली कालोनियों में कालोनाइजरों की मुसीबतें और बढ़ाई गई हैं। जिन कालोनियों में बिल्ट-अप एरिया 25 फीसदी से ज्यादा अथवा 50 फीसदी से कम होगा उनमें बुनियादी सुविधाएं न होने अथवा कम होने पर खाली पड़े प्लाटों का इस्तेमाल पार्कों, सड़कों, सीवरेज, वाटर सप्लाई के लिए होगा।

3 श्रेणियों में बांटी रैगुलराइजेशन की प्रक्रिया 
कालोनी रैगुलराइजेशन मामले में जहां पिछली सरकार की ओर से बनाई गई पॉलिसी में कालोनियों को 2007 से पहले व बाद की 2 ही श्रेणियों में बांटा गया था वहीं मौजूदा सरकार की पॉलिसी में 3 श्रेणियां बनाई गई हैं। इनमें 10 साल से ज्यादा पुरानी कालोनियों के रैगुलराइजेशन के लिए कलैक्टर रेट का आधा फीसदी प्रति एकड़ अथवा 3 लाख रुपए अधिकतम के हिसाब से फीस जमा करानी होगी। दूसरी श्रेणी में 4 से 10 साल के अर्से के बीच बनी कालोनियों की रैगुलराइजेशन के लिए कलैक्टर रेट का 2 फीसदी अथवा अधिकतम 10 लाख रुपए फीस जमा करानी होगी। इसके अलावा तीसरी और अंतिम श्रेणी में कलैक्टर रेट का 6 फीसदी अथवा अधिकतम 20 लाख रुपए फीस अदा करनी होगी। 

क्या हैं पॉलिसी की विशेषताएं
कालोनियों को रियल एस्टेट एक्ट 2016 के तहत रजिस्टर्ड कराना होगा, कालोनी डिवैल्प हो चुकी है तो रैजिडैंट वैल्फेयर एसोसिएशन का होना जरूरी है, नोटीफिकेशन के 4 महीने में आवेदन करना होगा, 6 महीने में सरकार सभी आवेदनों पर फैसला करेगी वहीं जिस कालोनी से पैसा वसूल होगा उसी के विकास पर खर्च होगा। इसके साथ ही हर कालोनी का निगम में अलग से खाता खोला जाएगा। 

कालोनाइजरों को पॉलिसी मंजूर नहीं 
पंजाब प्रॉपर्टी डीलर्स एवं कालोनाइजर्स एसोसिएशन ने पॉलिसी का विरोध करना शुरू कर दिया है। एसोसिएशन के तमाम डीलरों ने साफ कर दिया है कि नई पॉलिसी उन्हें मंजूर नहीं है। यह शर्त सरासर गलत है कि प्लॉट तभी रैगुलराइज किए जाएंगे जब कॉलोनी रैगुलर होगी। पुरानी कालोनियों के कालोनाइजर कहां से ढूंढ कर लाएंगे। ऐसे में इन कालोनियों में प्लॉट खरीदने वालों की क्या गलती है। सरकार की ओर से बिल्ट-अप कंडीशन लगाना भी सही नहीं है।

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