Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Mar, 2018 07:46 AM
फुटबाल के क्षेत्र में भले ही होशियारपुर को पूरे देश में नर्सरी के तौर पर एक खास पहचान मिली हुई है लेकिन अन्य खेलों में यहां के खिलाडिय़ों को इंटरनैशनल लैवल की सुविधा के लिए आज भी तरसने को मजबूर होना पड़ रहा है। फुटबाल हो या हॉकी, घास के मैदान की...
होशियारपुर(अमरेन्द्र): फुटबाल के क्षेत्र में भले ही होशियारपुर को पूरे देश में नर्सरी के तौर पर एक खास पहचान मिली हुई है लेकिन अन्य खेलों में यहां के खिलाडिय़ों को इंटरनैशनल लैवल की सुविधा के लिए आज भी तरसने को मजबूर होना पड़ रहा है। फुटबाल हो या हॉकी, घास के मैदान की बजाय अब इंटरनैशनल लैवल के मुकाबले एस्ट्रो-टर्फ पर खेले जाते हैं लेकिन होशियारपुर का मैदान आज भी एस्ट्रो-टर्फ सुविधा के लिए तरस रहा है। ऐसा नहीं कि होशियारपुर को इसकी सुविधा दिलाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया। होशियारपुर में न सिर्फ एस्ट्रो-टर्फ, बल्कि स्वीमिंग पूल व मल्टीपर्पज हाल बनाने की कोशिश ईमानदारी से की तो गई परन्तु इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि आज भी यह फाइल पंजाब व केंद्र सरकार के दफ्तरों में धूल फांक रही है।
क्या था फुलप्रूफ केंद्रीय योजना का सच
टांडा रोड के साथ लगते आऊटडोर स्टेडियम परिसर में भंगी चो के साथ बनी सम्पर्क सड़क के साथ 25 मीटर लम्बे व 10 मीटर चौड़े स्विमिंग पूल का निर्माण किया जाना था जिस पर कुल लागत 4 लाख 30 हजार रुपए आनी थी। इसी तरह 60 मीटर लम्बे व 40 मीटर चौड़े मल्टीपर्पज हाल पर 7 लाख 96 हजार रुपए और स्टेडियम के अंदर मैदान पर एस्ट्रो-टर्फ बिछाने पर 6 लाख रुपए खर्च किए जाने थे।
21 करोड़ से लगना था स्पोटर््स का तड़का
साल 2016 के अगस्त-सितम्बर महीने में तत्कालीन डी.सी. आनंदिता मित्तरा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री बादल के राजनीतिक सलाहकार तीक्षण सूद व नगर निगम के मेयर शिव कुमार सूद के साथ शहर में 21 करोड़ रुपए की लागत से एक साथ तीन-तीन योजनाओं का लाभ दिलवाने की कोशिश की थी। इस फुलप्रूफ योजना को अंतिम रूप देने के लिए आऊटडोर स्टेडियम के दोनों तरफ नगर निगम की 111 कनाल खाली पड़ी जमीन का चुनाव किया था।