पंजाब-हिमाचल सीमा पर ड्रग्स माफिया का साम्राज्य

Edited By swetha,Updated: 19 Dec, 2018 01:51 PM

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पंजाब-हिमाचल सीमा पर स्थित दर्जनों गांव ऐसे हैं यहां सूर्य की प्रथम किरण पडऩे से लेकर देर रात तक ड्रग्स का अवैध व्यवसाय माफिया द्वारा चलता रहता है। उक्त गांव पुलिस स्टेशन इंदौरा, नंगल भूर, भंगाला, मुकेरियां, हाजीपुर, तलवाड़ा, टैरेस, फतेहपुर के अधीन...

मुकेरियां(सुदर्शन): पंजाब-हिमाचल सीमा पर स्थित दर्जनों गांव ऐसे हैं यहां सूर्य की प्रथम किरण पडऩे से लेकर देर रात तक ड्रग्स का अवैध व्यवसाय माफिया द्वारा चलता रहता है। उक्त गांव पुलिस स्टेशन इंदौरा, नंगल भूर, भंगाला, मुकेरियां, हाजीपुर, तलवाड़ा, टैरेस, फतेहपुर के अधीन आते हैं तथा सभी गांव ब्यास नदी के तट पर स्थित हैं। वर्णनयोग्य है कि ब्यास नदी पर पौंग बांध बन जाने से लाखों एकड़ भूमि पर कृषि होने लगी है तथा नई-नई आबादियां विकसित हो रही हैं, परन्तु सीमावर्ती इन क्षेत्रों में दोनों प्रदेशों की सरकारों ने विकास हेतु कोई कदम नहीं उठाए।

तटीय क्षेत्र बना चिट्टे की शरणस्थली 
नशीले पदार्थों का थोक व्यवसाय करने वालों के दिल्ली, बेंगलूर, नोएडा तथा राजस्थान के अलवर से तार जुड़े हुए हैं। हिमाचल व पंजाब के भू-संगम स्थल भदरोआ, बडुखर, बेला सरियाना, बसंतपुर, रियाली, इंदौरा मंड वे स्थान है जहां प्रतिदिन 14 से लेकर 20 लाख रुपए का गोरखधंधा होता है। गौरतलब है कि उक्त सभी गांव ब्यास दरिया के तट पर ही स्थित हैं। केवल भदरोआ गांव चक्की खड्ड पर है जो इस अवैध व्यवसाय का मुख्यालय माना जाता है। विशेषकर चिट्टे का यह व्यापारिक केंद्र है।

अब तक हुए 287 केस पंजीकृत 
जिला होशियारपुर, पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर तथा हिमाचल के अलावा कांगड़ा के जिला पुलिस मुखियों की एक तालमेल एक्शन फोर्स के माध्यम से अब तक 457 तस्करों जो हैरोइन, चरस, चिट्टा, अफीम, कैंडी आदि के अवैध व्यवसाय से जुड़े थे, को गिरफ्तार किया गया है। विश्वसनीय सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि पुलिस प्रशासन ने 2016 से अब तक अलग-अलग थानों में 287 केस पंजीकृत किए हैं। हैरत की बात है कि क्षेत्र के युवा वर्ग फिर भी इन नशों के चंगुल में फंसता जा रहा है।

चिट्टे के कारण शराब का व्यवसाय हुआ ठप्प 
उल्लेखनीय है कि चिट्टे, कैंडी आदि का व्यवसाय इतना फैल चुका है कि शराब के व्यापारी ठेकेदार अपना धंधा छोडऩे की सोच रहे हैं क्योंकि उनकी सेल 60 प्रतिशत कम होकर रह गई है। 25 वर्ष से शराब व्यवसाय से जुड़े पुरुषोत्तम शर्मा, विजय कुमार का कहना है कि उक्त आधुनिक मादक पदार्थों के फैले महाजाल के कारण शराब के ठेकों की सेल ठप्प होकर रह गई है। ठेकेदारों ने कहा कि सरकार ने अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए लाइसैंस फीस कई गुना कर दी है। मगर जिन नशीलें पदार्थों की बिक्री से सरकार को कोई आॢथक लाभ नहीं मिला, कांग्रेस सरकार आने पर भी अवैध कार्य पर अंकुश नहीं लगाया जा सका।

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