Edited By bharti,Updated: 05 Dec, 2018 02:12 PM
चीफ ज्यूडीशियल मैजिस्ट्रेट गुरशेर सिंह की अदालत में शिरोमणि अकाली दल के नेताओं प्रकाश सिंह बादल, रणजीत...
होशियारपुर (अश्विनी): चीफ ज्यूडीशियल मैजिस्ट्रेट गुरशेर सिंह की अदालत में शिरोमणि अकाली दल के नेताओं प्रकाश सिंह बादल, रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा, सुखदेव सिंह ढींडसा, कृपाल सिंह बडूंगर के विरुद्ध फ्रॉड, साजिश व जालसाजी के आरोप में चल रहे आपराधिक केस की सुनवाई के दौरान आज शिरोमणि अकाली दल के सचिव चरणजीत सिंह बराड़ ने पार्टी के कार्रवाई रजिस्टर सहित पूरा रिकार्ड पेश किया। बता दें कि सोशलिस्ट पार्टी आफ इंडिया के नेता बलवंत सिंह खेड़ा व ओम सिंह सटियाना ने वर्ष 2009 से पार्टी के 2 संविधान रखने, भारत के संविधान, कानून व लोगों के साथ धोखाधड़ी आदि के आरोप लगाते हुए उपरोक्त अकाली नेताओं के विरुद्ध भारतीय दंडावली की धारा 182, 199, 200, 420, 465, 466, 468, 471 व 120बी के अधीन केस दर्ज किया था।
अदालत में चरणजीत सिंह बराड़ ने एफीडैविट देकर माना कि उनकी पार्टी ने 13 जून 2004 को अपने संविधान में संशोधन किया था। इस संबंधी प्रकाश सिंह बादल ने 8 सदस्यीय संशोधन कमेटी 3 मार्च, 2000 को रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा की अध्यक्षता में बनाई थी। इसके पश्चात कृपाल सिंह को भी सदस्य बनाया गया था। उन्होंने माना कि डैलीगेटों की जिला वार सूचियां हस्ताक्षर करके कार्रवाई रजिस्टर में लगाई गई थीं। उन्होंने यह भी माना कि नया संविधान पंजाबी में पेश नहीं किया गया था बल्कि अंग्रेजी में छापे गए पम्फलैट के रूप में कार्रवाई रजिस्टर में लगाया गया था। उसको कार्रवाई रजिस्टर में दर्ज नहीं किया गया था। उन्होंने यह भी बताया कि सारी कार्रवाई पार्टी के महासचिव डा. दलजीत सिंह चीमा ने लिखी थी।
आज यहां खेड़ा ने कहा कि बराड़ द्वारा अदालत में दिए गए बयान से शिरोमणि अकाली दल के नेता मुश्किल में फंस सकते हैं क्योंकि पार्टी भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त को वर्ष 1989 में एफीडैविट देकर बयान दे चुकी है कि इसने अपना संविधान बदल कर इसे धर्मनिरपेक्ष बना दिया था जबकि पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने वर्ष 2003 में गुरुद्वारा चुनाव आयोग को एस.जी.पी.सी. का चुनाव लडऩे के लिए 1974 का पार्टी संविधान भेजा था। उन्होंने मोगा घोषणा पत्र 1995 में इस पार्टी को पंजाबियों की पार्टी होने की घोषणा की थी। इस पार्टी के बरनाला व बादल धड़ों का विलय भी आम इजलास में नहीं किया गया था। अदालत ने मामले की आगामी सुनवाई 11 जनवरी 2019 निश्चित की।