गेहूं की फसल का काल बनती है लापरवाही

Edited By Anjna,Updated: 20 Apr, 2018 07:54 AM

wheat crops

तकरीबन हर साल सैंकड़ों एकड़ गेहूं की फसल और नाड़ आग की भेंट चढ़ जाने कारण एक तरफ किसानों को आर्थिक नुक्सान होता है, उस के साथ ही यह आग वातावरण को दूषित करने के साथ-साथ खेतों के उपजाऊपन को भी खत्म करती है परंतु हैरानी की बात है कि पिछले कई सालों से...

गुरदासपुर (हरमनप्रीत): तकरीबन हर साल सैंकड़ों एकड़ गेहूं की फसल और नाड़ आग की भेंट चढ़ जाने कारण एक तरफ किसानों को आर्थिक नुक्सान होता है, उस के साथ ही यह आग वातावरण को दूषित करने के साथ-साथ खेतों के उपजाऊपन को भी खत्म करती है परंतु हैरानी की बात है कि पिछले कई सालों से आग लगने की घटनाओं के साथ होते आ रहे नुक्सान के बावजूद अलग-अलग स्तर पर लापरवाही का सिलसिला जारी है।  

क्या हैं आग लगने के मुख्य कारण  
जानकारी मुताबिक पकी हुई गेहूं की फसल को आग लगने का सब से बड़ा कारण खेतों में किसानों द्वारा फसल के अवशेष को लगाई गई आग है क्योंकि अक्सर देखने में आता है कि किसी खेत में लगी आग की ङ्क्षचगारी हवा के साथ उड़ कर अन्य खेतों में भी आग लगा देती है। इसी तरह जब कंबाइन से गेहूं की कटाई की जाती है तो खेतों में से गुजरती बिजली की तारों से बचने के लिए बिजली की सप्लाई तो बंद कर दी जाती है परन्तु कटाई के समय प्राय: कुछ तारें कंबाइन से छू कर आपस में जुड़ जाती हैं।

कटाई उपरांत जब बिजली चालू की जाती है तो इन तारों में से निकलने वाले ङ्क्षचगारियों से खेतों में आग लग जाती है। पावरकॉम द्वारा लगाए गए ट्रांसफार्मर खेतों के बिल्कुल बीच में लगे हैं जिन में से निकली हल्की-सी ङ्क्षचगारी भी आग लगने का कारण बन जाती है। खेतों में काम करने वाली लेबर द्वारा खाना तैयार करने और बीड़ी-सिगरेट पीने के समय लगाई गई आग भी अक्सर खेतों में आग लगने का कारण बनती है। कई बार खेतों में ट्रैक्टर, कंबाइन और रीपर जैसी मशीनरी में से निकली चिंगारियां भी फसल को आग लगा देती हैं। जिन किसानों ने गन्ने की कटाई कर ली है, उन की तरफ से अपने खेत साफ करने के लिए खेतों में आग लगाने की कोशिश की जा रही है। 

आगजनी की घटनाओं पर काबू पाने में सक्षम नहीं है फायर ब्रिगेड
बेशक पिछले साल बनी कैप्टन सरकार ने कुछ शहरों में फायर ब्रिगेड की नई गाडिय़ां भेजी थीं परन्तु इस के बावजूद जिला गुरदासपुर में इतनी गाडिय़ां उपलब्ध नहीं हैं, जो फसलों को लगी आग को काबू कर सकें। प्राय: गुरदासपुर से फायर ब्रिगेड की गाड़ी जब तक घटननास्थल तक पहुंचती है, तब तक दर्जनों एकड़ में फसल तबाह हो चुकी होती है। और तो और, कुछ समय बाद ही इन गाडिय़ों का पानी भी खत्म हो जाता है, जिन्हें वापस गुरदासपुर आ कर पानी लेने व वापस जाने में लंबा समय लग जाता है। 

पावरकाम ने खेतों में से गुजरती बिजली की लगभग सभी तारें कसीं : एस.डी.ओ.  
पावरकाम सब डिवीजन तिब्बड़ के एस.डी.ओ. गुरनाम सिंह से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों के तकरीबन सभी ट्रांसफार्मर की विद्युत सप्लाई दिन के समय पर बंद कर दी जाती है। पावरकॉम खेतों में से गुजरती बिजली की लगभग सभी तारों को कस चुकी है। बिजली के खंबे भी सीधे किए गए हैं परन्तु फिर भी यदि कहीं आंधी-तूफान के कारण कोई तार ढीली हो जाए, तो किसान तुरंत सूचित करे।

उन्होंने किसानों से अपील की कि कंबाइन से फसल की कटाई करने पर यदि कोई ढीली तार आपस में जुड़ जाती है तो बिजली सप्लाई शुरू करवाने से पहले हर हालत में संबंधित बिजली कर्मचारियों को सूचित जरूर किया जाए। इस के साथ ही उन्होंने कहा कि किसान अपने स्तर पर किसी भी ट्रांसफार्मर का स्विच न बंद करे और न ही चालू करे। जिस खेत में ट्रांसफार्मर लगा है, उस के नीचे कम से कम 10 मीटर के घेरे में से फसल अच्छी तरह काट ली जाए।  

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