एफ.एन.सी.सी. ने किया बड़ा धमाका, 2.93 करोड़ के कार्यों के टैंडर रद्द

Edited By swetha,Updated: 13 Feb, 2019 02:36 PM

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पंजाब सरकार स्थानीय निकाय विभाग के माध्यम से नगरों में लोकसभा चुनावों से पहले विकास करवाने के लिए कटिबद्ध है क्योंकि पठानकोट क्षेत्र गुरदासपुर संसदीय क्षेत्र का विभाग है यहां से मौजूदा सांसद सुनील जाखड़ दूसरी बार चुनाव लडऩे जा रहे हैं, इसलिए इस...

पठानकोट(शारदा): पंजाब सरकार स्थानीय निकाय विभाग के माध्यम से नगरों में लोकसभा चुनावों से पहले विकास करवाने के लिए कटिबद्ध है क्योंकि पठानकोट क्षेत्र गुरदासपुर संसदीय क्षेत्र का विभाग है यहां से मौजूदा सांसद सुनील जाखड़ दूसरी बार चुनाव लडऩे जा रहे हैं, इसलिए इस क्षेत्र में विकास के कार्य और तेजी से हों, ऐसे प्रयास सूबा सरकार कर रही है परन्तु समय के अभाव के चलते व सरकारी जटिलताओं के चलते कई कार्यों में बाधा आ रही है, जिसकी जीवंत मिसाल गत दिनों 8 करोड़ के विकास कार्यों के जो टैंडर हुए थे, के  परिणाम के रूप में सामने है।

नवम्बर-दिसम्बर 2018 से ही इन विकास कार्यों को लगाने की प्रक्रिया चल रही थी परन्तु टैंडर जनवरी के शुरू में डाले गए। चूंकि टैंडरों की लागत बढ़ी थीं इसलिए इन टैंडरों में टैक्नीकल बिड भी मांगी गई थी। टैंडरों को खोलने की प्रक्रिया में इंजीनियरिंग विभाग ने लगभग 3-4 सप्ताह का समय लगा दिया जिससे  2.93 करोड़ के कार्यों के टैंडर रद्द हो गए। पंजाब सरकार से इस बाबत कई प्रकार की क्लैरीफिकेशन मांगीं। 
अंतत: ई.एस.आई. का सर्टीफिकेट जिन टैंडरों के साथ नहीं लगा था अन्यथा जिन्होंने बाद में दिया था, को टैक्नीकल बिड के दौरान नहीं खोला गया और वही टैंडर खोले गए जिनके इंजीनियरिंग के हिसाब से दस्तावेज पूरे थे। टैंडर खुलने के बाद वस्तुस्थिति अजीबोगरीब ढंग से बन गई। जो टैंडर 3 करोड़ 88 लाख रुपए के टाइलों की इंटरलॉकिंग के थे, वे 27 प्रतिशत घाटे में दिए जाने के बावजूद भी कुछेक ठेकेदारों ने ऐतराज जताया व उन्होंने मामले को लेकर हाईकोर्ट का रुख कर लिया।  2.93 करोड़ के कार्यों के टैंडर रद्द।

अब फंसा पेंच
इन ठेकेदारों का कहना है कि उन्होंने 27 प्रतिशत से अधिक डाले थे इसलिए उनके टैंडर भी खोले जाएं। अब यह पेंच फंस गया है कि इसी के चलते एफ.एन.सी.सी. ने 3 करोड़ 88 लाख का जो कार्य था, उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया है। इसका अभिप्राय यह है कि निगम कोर्ट के निर्देशों का अध्ययन करना चाहती है। विकास की दृष्टिकोण से अगर यह देखा जाए तो मामला बुरी तरह फंस गया है। कब एफ.एन.सी.सी. पास करेगी तथा कब वर्क आर्डर जारी होगा और कहीं आनन-फानन में पिछली बार की तरह जल्दी-जल्दी कार्य शहर के विकास को कहीं ग्रहण न लगा दें।

गलियों में करवाने थे क्रंकीट के कार्य 
वहीं 2 अन्य कार्य जिनको लेकर ठेकेदारों में हो हल्ला था, वह 2 कार्य एक करोड़ 32 लाख व एक करोड़ 61 लाख के थे।
 इन गलियों में क्रंकीट के कार्य करवाने थे क्योंकि काफी ठेकेदारों के टैंडर ई.एस.आई. के चलते नहीं खोले गए, इसलिए एक खुशकिस्मत ठेकेदार का काम आधा प्रतिशत में ही निकल गया। एक तरफ एक कार्य 54 प्रतिशत लैस पर था तो कोई 27 प्रतिशत। इन परिस्थितियों में आधा प्रतिशत लैस पर कार्य चर्चा में आ गया। इन सभी बातों का परिणाम आज एफ.एन.सी.सी. की बैठक में साफ देखने को मिला, यहां इन दोनों कार्यों को रद्द कर दिया। 

वर्क आर्डर जारी करना टेढ़ी खीर
आज की एफ.एन.सी.सी. बैठक में मेयर अनिल वासुदेवा, कमिश्नर कुलवंत सिंह, सी. डिप्टी मेयर निर्मल सिंह, डिप्टी मेयर बीना परमार के अतिरिक्त पार्षद शमशेर सिंह, रोहित पुरी (कमिश्नर को छोड़कर सभी भाजपा से संबंधित) शामिल थे। इन परिस्थितियों में चाहे एफ.एन.सी.सी. ने टैंडर रद्द करने के बाद शार्ट टैंडर लगाने का निर्देश दिया है परन्तु समय हाथ से फिसलता जा रहा है। मार्च के शुरू में ही कभी भी आगामी आम चुनावों के चलते आचार संहिता लागू हो सकती है, उससे पहले वर्क आर्डर जारी करना टेढ़ी खीर है। 

क्या कहते हैं कमिश्नर?
निगम कमिश्नर कुलवंत सिंह ने सम्पर्क करने पर पैंडिग व रद्द कार्यों की पुष्टि करते हुए कहा कि रिटैंडरिंग शार्ट टर्म की जाएगी। इसके अतिरिक्त गारबेज व ट्रॉली के 5-5 लाख के कार्य, नाइट क्लीङ्क्षनग के 4 लाख 93 हजार के कार्यों को पास कर दिया गया है। एक कार्य जो 54 लाख का था व 50 प्रतिशत लैस में डाला गया था, के संबंध में कुछ क्लैरीफिकेशन मांगी गई हैं जिसके बाद पास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कार्यों में तेजी लाई जाएगी। समूची रिपोर्ट बनाकर सूबा सरकार को भेज दी जाएगी। 

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