नमन: टूटी सांसों की डोर, मगर नहीं टूटा रक्षा का अटूट बंधन

Edited By swetha,Updated: 17 Aug, 2019 11:07 AM

shaheed kamaljeet singh

शहीद कमलजीत को मसीहा के रूप में पूजते हैं गांव के लोग

बमियाल/पठानकोट(आदित्य, शारदा, मुनीष): रक्षाबंधन का पर्व हो और बहन को भाई की याद न आए यह तो हो ही नहीं सकता। इसी अटूट रिश्ते के बंधन में बंधी एक अभागी बहन जालंधर निवासी अमृतपाल कौर अपने शहीद भाई की स्मृतियां जहन में समेटे हुए भारत-पाक की जीरो लाइन पर बसे गांव सिंबल की बी.एस.एफ. की पोस्ट पर बनी 1971 के भारत-पाक युद्ध के शहीद होने वाले अपने भाई की समाधि पर पिछले 43 वर्षों से निरंतर राखी बांधती आ रही थी।

मगर 3 वर्ष पहले भाई बहन के इस अटूट बंधन के 44वां वर्ष पूरा होने से कुछ दिन पहले अमृतपाल कौर की सांसों की डोर टूट गई। वह 2 महीने कैंसर की बीमारी से लड़ते हुए मौत के आगोश में चली गई। शहीद भाई की समाधि पर राखी बांधने की परम्परा को बरकरार रखते हुए उस साल अमृतपाल कौर की चचेरी बहन अमितपाल कौर ने सिंबल पोस्ट पर जाकर अपने चचेरे भाई शहीद कमलजीत सिंह की समाधि पर राखी बांधी थी तथा पोस्ट पर मौजूद बी.एस.एफ. के जवानों को उन्होंने यह वचन दिया था कि इस परम्परा को वह आगे बढ़ाएंगी, मगर अफसोस उसके बाद वह दोबारा इस पोस्ट पर राखी बांधने नहीं आई। 

शहीद कमलजीत को मसीहा के रूप में पूजते हैं गांव के लोग
प्रिया, नेहा व मनप्रीत ने नम आंखों से बताया कि गांव सिंबल के लोग कमलजीत सिंह को आज भी एक मसीहा के रूप में पूजते हैं। इसलिए वह भविष्य में भी इसी तरह अपने गांव के रक्षक भाई की समाधि पर राखी बांधती रहेंगी। इसके अलावा उन्होंने पोस्ट पर तैनात बी.एस.एफ के जवानों की कलाई पर राखी बांधकर उन्हें यह अहसास करवाया कि बेशक उनकी मुंह बोली बहन अमृतपाल कौर की सांसों की डोर टूटी है, मगर रक्षाबंधन का यह अटूट रिश्ता कभी नहीं टूटेगा। पोस्ट के कम्पनी कमांडर ए.सी. पी.एस. प्रसाद ने सजल नेत्रों से बताया कि बहन अमृतपाल कौर की ओर से सरहद पर आकर हमारे जवानों को राखी बांधने की परम्परा को परिषद के सदस्यों द्वारा बरकरार रखा गया है। आज इन सरहदी बहनों ने उनकी कलाई पर जो रक्षासूत्र राखी के रूप में बांधा है, यह एक कवच के  रूप में हमारे जवानों की रक्षा करेगा। 

इस अवसर पर शहीद कर्नल के.एल. गुप्ता के भाई सुरिंदर गुप्ता, शहीद सिपाही जतिन्द्र कुमार के पिता राजेश कुमार, शहीद सिपाही दीवान चंद के बेटे लाल चंद, जिला एन.आर.आई. सभा के प्रधान एन.पी. सिंह, राजपूत महासभा लोकसभा हलका गुरदासपुर के प्रधान कुंवर संतोख सिंह, पी.पी.सी.सी. के सचिव रिटा. पिं्र. जगदेव सिंह, ब्लाक समिति सदस्य अवतार सिंह, सरपंच सुरजीत सिंह, इंस्पैक्टर उज्ज्वल मंडल, नम्बरदार बख्शीश सिंह, एच.सी. अवदेश भाई, एच.सी. विपुल सैकिया, रितू मेहरा आदि उपस्थित थे।

मरने से 3 दिन पहले अमृतपाल कौर ने परिषद से लिया था वचन: कुंवर विक्की
शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की ने बताया कि मरने से 3 दिन पहले शहीद की बहन अमृतपाल कौर ने परिषद से यह वचन लिया था कि उनके द्वारा पिछले 43 वर्षों से अपने भाई की समाधि पर राखी बांधने की शुरू की गई परम्परा रुकनी नहीं चाहिए। चाहे उनके परिवार का कोई दूसरा सदस्य बेशक यहां न पहुंचे। इसी वचन की डोरी से बंधे परिषद के सदस्यों ने एक नई परम्परा की शुरूआत करते हुए गत वर्ष इस पोस्ट पर पहुंच कर शहीद की समाधि पर राखी बांधी थी, मगर इस बार जिस गांव सिंबल को बचाते हुए कमलजीत ने शहादत पाई थी उस गांव की प्रिया, नेहा व मनप्रीत कौर ने परिषद सदस्यों के साथ शहीद की समाधि पर रेशम की डोरी बांध अमृतपाल द्वारा 43 वर्ष पहले शुरू की गई परम्परा को बरकरार रखा।

 

 

 

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