जन औषधि स्टोर में महंगे भाव बिक रही घटिया क्वालिटी की दवाइयां

Edited By swetha,Updated: 18 Jul, 2018 06:13 PM

poor quality medicines

सिविल अस्पताल गुरदासपुर सहित पूरे पंजाब में सरकारी अस्पतालों में जन औषधि दवाइयों के लिए खोले गए स्टोरों में मरीजों को केन्द्र सरकार की योजना के विपरीत हल्की तथा घटिया क्वालिटी की दवाइयों को बेच कर लूटा जा रहा है तथा इस संबंधी सेहत विभाग को पूरी...

गुरदासपुर (विनोद): सिविल अस्पताल गुरदासपुर सहित पूरे पंजाब में सरकारी अस्पतालों में जन औषधि दवाइयों के लिए खोले गए स्टोरों में मरीजों को केन्द्र सरकार की योजना के विपरीत हल्की तथा घटिया क्वालिटी की दवाइयों को बेच कर लूटा जा रहा है तथा इस संबंधी सेहत विभाग को पूरी जानकारी होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।  आज ऐसा ही एक मामला गुरदासपुर के सिविल अस्पताल में खुले जन औषधि स्टोर में सामने आया है जहां पर जन औषधि दवाइयों के स्थान पर घटिया क्वालिटी की दवाइयां महंगे भाव में बेची  जा रही हैं। 

ध्यान रहे कि देश भर में केन्द्र सरकार की योजना अनुसार लोगों को सस्ती दवाइयां उपलब्ध करवाने के लिए सरकारी अस्पताल जन औषधि स्टोर खोले गए हैं, जिनमें अच्छी कम्पनी की जैनरिक दवाइयां ही बेचने का प्रावधान रखा गया है। केन्द्र सरकार इस संबंधी दवाइयां उपलब्ध करवाती है, परंतु दवाई स्टोर पर जन औषधि दवाइयों के स्थान पर ऐसी दवाइयां बेची जा रही है जिनका जन औषधि से कोई संबंध नहीं है, जबकि जन औषधि स्टोरों पर बिकने वाली हर दवाई पर जन औषधि का मार्का लगा होता है। आज गुरदासपुर सिविल अस्पताल के जन औषधि स्टोर पर जाकर जब सच्चाई का पता किया गया तो पता चला कि कुछ दवाइयां तो बाजार में सस्ती मिल जाती हैं, वहीं इस स्टोर पर महंगे भाव पर बेची जाती हैं तथा साल्ट भी दवाई का एक जैसा होता है। जन औषधि की बजाय इन स्टोरों में ऐश्वर्या, केयर सहित अन्य प्राइवेट कम्पनी की दवाइयां बेची जाती हैं तथा इनका बिल भी नहीं दिया जाता है।

काला पीलिया दवाई का भी गोरख-धंधा जोरो पर
सिविल अस्पताल में काला पीलिया का ईलाज पूर्णतया मुफ्त है तथा सारी दवाई अस्पताल में से ही मिलती है, परंतु बीते समय में इस दवाई का भी स्कैंडल सामने आया था। एक मरीज ने सिविल अस्पताल के अधिकारियों को लिखित शिकायत की थी कि एक फार्मसिस्ट ने उससे दवाई देने के बदले 15 हजार रुपए लिए थे, क्योंकि बाजार में यह दवाई बहुत ही महंगे भाव में मिलती है। इस संंबंधी जांच-पड़ताल के बाद उक्त फार्मसिस्ट को अस्पताल से हटा दिया गया। काला पीलिया बीमारी के नोडल अधिकारी डा. मनजिन्द्र सिंह बब्बर ने इस शिकायत की पुष्टि करते हुए कहा कि यह मामला अब समाप्त हो चुका है तथा फार्मासिस्ट को बदल दिया गया है। काला पीलिया की दवाई अस्पताल में पूर्णतया मुफ्त है।

पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलती दवाइयां : मरीज
इस जन औषधि के बाहर खड़े कुछ मरीजों से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि सिविल अस्पताल में 2 तरह के स्टोर चलते हैं। एक स्टोर वह है जिससे मुफ्त दवाइयां मिलती हैं, परंतु वहां पर भी डाक्टरों द्वारा लिखी दवाई बहुत कम मिलती है। यदि ब्लड प्रैशर की दवाई मिलती है तो शूगर की नहीं मिलती तथा यदि शूगर की मिलती है तो ब्लड प्रैशर की नहीं होती है। मरीजों के अनुसार जो दवाई सरकारी दुकान से नहीं मिलती वह हमें जन औषधि स्टोर से खरीदने को कहा जाता है, परंतु वहां भी निराला ही गोरख-धंधा चल रहा है। जन औषधि की बजाय आम कम्पनी की दवाइयां दी जाती हैं तथा उन पर लिखा पूरा मूल्य वसूल किया जाता है, परंतु खरीदी दवाई का बिल नहीं दिया जाता है। यदि साधारण दवाई ही लेनी है तो फिर बाजार व इस जन औषधि स्टोर में क्या अंतर रह जाएगा।

जो कुछ किया जा रहा है वह उच्च अधिकारियों की मर्जी से हो रहा है : संचालिका
इस संबंधी गुरदासपुर जन औषधि दवाई स्टोर पर रैड क्रास की तरफ से काम करने वाली महिला बलविन्द्र कौर का कहना है कि हमें यह दवाई पंजाब रैड क्रास के अधिकारियों द्वारा ही खरीद कर भेजी जाती है। उन्होंने कहा कि यह ठीक है कि जन औषधि स्टोरों पर वही दवाइयां बिकनी चाहिएं जिन पर जन औषधि का मार्का लगा है, परंतु यदि अधिकारी प्राइवेट कम्पनी की दवाइयां बेचने के लिए कहेंगे तो हमें तो बेचनी ही पड़ेंगी। परंतु इन दवाइयों का बिल हमें मिलता है तथा हम भुगतान भी करते हैं। यदि कोई मरीज या अभिभावक दवाई का बिल मांगता है तो हम जरूर देते हंै, परंतु रश होने पर कई बार बिल नहीं भी काट पाते।

मामले की होगी जांच : एस.एम.ओ.

जन औषधि स्टोर में प्राइवेट दवाइयां बेचे जाने संबंधी जब सीनियर मैडीकल अधिकारी (एस.एम.ओ.) डा. विजय कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह मामला मेरे ध्यान में कुछ रोज पहले भी आया था। इस संबंधी जन औषधि स्टोर इंचार्ज को लिखित पत्र भेज कर सारी जानकारी मांगी जाएगी। यदि गलत ढंग से यह बाहरी दवाइयां बेची जा रही होंगी तो निश्चित रूप में कार्रवाई भी होगी। 
यह केन्द्र सरकार की स्कीम है तथा सारी दवाई केन्द्र सरकार से ही मिलती है जो सस्ते भाव में आती है तथा सस्ते भाव में ही बिकती है। यह प्राइवेट कम्पनी की दवाइयों के बारे में जांच-पड़ताल जरूर की जाएगी।

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