पंचायत मंत्री बाजवा के बयान के बाद कांग्रेसी उत्साहित, भाजपा खेमे में खलबली

Edited By swetha,Updated: 06 Oct, 2018 10:23 AM

panchayat minsiter tript singh bajwa statement

पराली जलाई तो नहीं लड़ सकेंगे पंचायत चुनाव, वहीं पंजाब सरकार अगर राज्य में पराली को जलाने के लिए पंचायती एक्ट में संशोधन करती है जिस पर ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री तृप्त राजेन्द्र सिंह बाजवा ने विचार करने संबंधी कहा है। अगर सरकार खेतों में पराली...

पठानकोट (शारदा): पराली जलाई तो नहीं लड़ सकेंगे पंचायत चुनाव, वहीं पंजाब सरकार अगर राज्य में पराली को जलाने के लिए पंचायती एक्ट में संशोधन करती है जिस पर ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री तृप्त राजेन्द्र सिंह बाजवा ने विचार करने संबंधी कहा है। अगर सरकार खेतों में पराली को जलाने पर नकेल कसने के लिए ऐसा सख्त कदम उठाती है तो पंचायत चुनाव लडने का सपना पालने वाले कइयों की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है।

पंचायत मंत्री बाजवा ने पराली जलाने वालों को पंचायती चुनाव लडऩे से अयोग्य करने वाली गंभीरता से विचार संबंधी जो दावा किया है, इससे कई लोग जो पंजाब में आगामी समय होने वाले पंचायत चुनाव में लडऩे की तैयारी में जुटे हैं, उन पर वज्रपात हो सकता है। वहीं इस मुद्दे पर कांग्रेसी व भाजपाइयों में सियासत गरमा गई है और पंजाब के पंचायत मंत्री तृप्त राजिन्द्र सिंह बाजवा के बयान के बाद जहां कांग्रेसी उत्साहित हैं, वहीं  भाजपा खेमे में खलबली मच गई है।

रिमोट सैंसिंग सैटेलाइट प्रणाली क्रियाशील: ए.डी.सी. कुलवंत 

वहीं इस संबंध में ए.डी.सी.(ज) कुलवंत सिंह ने कहा कि खेतों में पराली जलाने का गंभीर मुद्दा है। हालांकि इस जिले में पराली जलाने की घटनाएं काफी कम हैं। इसके बावजूद समस्या गंभीर है। उन्होंने कहा कि पराली जलाने की स्थिति पर निगरानी रखने के लिए हर जिले में रिमोट सैंसिंग सैटेलाइट प्रणाली क्रियाशील है, जिसके माध्यम से समूचे जिले में ऐसे ही नजर रखी जा सकती है कि किन-किन स्थानों पर पराली जलाई जा रही है या ऐसी घटनाएं घट रही हैं। इसी प्रकार समूचे जिले के डाटा को आगे संबंधित स्थानों पर कार्यरत टीमों को फारवर्ड कर दिया जाता है।

इनपुट मिलने पर टीमें आगे संबंधित स्थानों पर जाकर मौके पर पहुंचकर स्थिति की समीक्षा व संज्ञान लेती हैं। उन्होंने कहा कि पराली जलाने वाली घटनाओं को अंजाम देने वालों के विरुद्ध प्राथमिकी तक दर्ज करने का सख्त प्रावधान है।पराली जलाने वाली घटनाओं का समूचा ब्यौरा व रिकार्ड का डाटा आगे चंडीगढ़ पहुंचाया जाता है। अगर पंजाब सरकार पराली की घटनाओं को रोकने के लिए आगे पंचायती एक्ट में संशोधन करने व पराली जलाने वालों को पंचायती चुनाव लडऩे से अयोग्य करने वाली कोई एक्ट लाती है तो इसमें एकत्रित डाटा महत्वपूर्ण तरीके से काम आ सकता है। 

क्या कहना है गण्यमान्यों का

जो लोग चुनाव लड़कर जनप्रतिनिधि बनना चाहते हैं, उन्हें खुद ही पहल करते हुए ऐसी घटनाओं को अंजाम देने से गुरेज करना होगा ताकि भावी पीढिय़ों को स्वच्छ पर्यावरण दिया जा सके। पराली जलाने से यहां जमीन की उपजाऊ क्षमता कम होती व इसके मित्र कीड़े मर जाते हैं, वहीं दमा व फेफड़े की बीमारियों से संबंधित रोगियों को श्वास लेने में खासी परेशानी आती है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी कहा था कि आप जैसा समाज चाहते हैं उसके लिए खुद आगे आकर पहल करें व दूसरों के सामने मिसाल कायम करें।      -अमित विज विधायक (पठानकोट)

पंचायत मंत्री ने जो कहा व पहल करने की बात की है वह प्रशंसनीय है। सरकार किसानों को सबसिडी दे रही है। ऐसे कई उपकरण अब कृषि सैक्टर में आ गए हैं कि पराली को जलाए बिना ही दोबारा फसल उगाई जा सकती है। ऐसे में अगर सरकार सरपंचों की जिम्मेदारी तय करने के लिए पंचायत एक्ट में संशोधन करती है तो इससे ही सूबे में पराली जलाने की घटनाएं खत्म हो सकती हैं।- जोगिन्द्र पाल विधायक (भोआ)

खेतों में पराली जलाने से रोकने के लिए जो पंजाब सरकार पंचायती एक्ट में संशोधन पर विचार कर रही है कि पराली जलाने पर संबंधित व्यक्ति पंचायती चुनाव नहीं लड़ सकेगा, मैं इसका समर्थन करता हूं। फसलों के अवशेषों को जलाने से यहां कई प्रकार के जहरीले रसायन पैदा होकर पर्यावरण के लिए खतरा पैदा होता है। यह सिलसिला पिछले कई वर्षों से निरंतर जारी है। इससे यहां भूमि की उपजाऊ क्षमता प्रभावित, वहीं इसके मित्र कीड़े भी असमय मृत्यु का शिकार होते हैं। -दिनेश राज (सरपंच) नलूंगा

पराली जलाने से पिछले कई वर्षों से पर्यावरण में प्रदूषण बढ़ रहा है। ऐसे में अगर पंजाब सरकार इस रोकने के लिए कोई कड़ा निर्णय लेती है तो जनता को इसका सहयोग व समर्थन करना चाहिए। वैसे में मानवहित हम सबका दायित्व बनता है कि जो सामाजिक मुद्दे हैं, उन पर सामूहिक प्रयास किए जाएंगे। -प्रेम लाल (सरपंच) मनवाल

पंजाब सरकार पंचायती एक्ट में संशोधन करने पर विचार करने का दावा कर रही है। पराली न जलाना तो ठीक है परन्तु चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने कई बार धांधलियां की हैं। धार में ही कई सीटें जीतने के बाद भाजपा प्रत्याशियों के रिजल्ट बदल दिए गए। ऐसा पूरे सूबे में किया गया। अब सरपंचों के चुनावों में सरकार कहीं इस एक्ट की आड़ में अपने राजनीतिक लाभ के लिए प्रयोग न करे इसका संशय व संदेह बना रहेगा। कांग्रेस सरकार पंचायती चुनाव आने पर जिस भी विरोधी दल के प्रत्याशी का सरकार नामांकन रद्द करना चाहेगी उसके नामजदगी पेपर सरकार इस एक्ट की आड़ में रद्द कर सकती है। सरकार को इसको चुनावों से नहीं जोडऩा चाहिए।-ठा. दिनेश सिंह बब्बू विधायक (सुजानपुर)

पराली जलाने का अंधाधुंध सिलसिला जारी रहने से पहले ही भूमि की उपजाऊ क्षमता खत्म व इसके मित्र कीड़े मर चुके हैं। ऐसे में अगर कड़े कदम पर्यावरण व भूमि की उपजाऊ क्षमता बचाने के लिए कोई प्रयास किया जाता है तो जनता को इसका समर्थन व आपेक्षित सहयोग हर हाल में देना चाहिए। -दीपक शर्मा (सरपंच) सुल्तानपुर।

सरकार पराली जलाने वाले को पंचायती चुनाव लडऩे से वंचित करने के लिए जो पंचायती एक्ट में संशोधन करने पर विचार कर रही है परन्तु जमीनी स्तर पर सूबा सरकार के प्रयास व दावे कहां ठहरते हैं। मान लो किसी सरपंच या पूर्व सरपंच अथवा पंचायती चुनाव लडऩे का इच्छुक किसी ग्रामीण व्यक्ति के खेतों में रंजिशन कोई पराली को आग लगा देता है तो इसकी जवाबदेही कैसे और किसकी तय जाएगी।-प्रवीण कटोच (सरपंच) चक्क चिमना

जब पंजाब सरकार व पंचायत मंत्री इतना कठोर निर्णय लेने व पंचायती एक्ट में संशोधन पर विचार कर रहे हैं तो ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि प्रशासन क्योंकि पराली जलाने वालों को रोक व उन पर कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। मैं पंचायती एक्ट में संशोधन का समर्थन करता हूं क्योंकि पराली को जलाने से रोकने के लिए ऐसे कड़े कदमों की दरकार है।-जीवन कुमार (सरपंच) तरगढ़

प्रदूषण की बढ़ती समस्या व भयावह होती स्थिति को सम्मुख रखते हुए कड़े कदम उठाने की प्रबल दरकार है। पिछले वर्ष पराली जलाने से कितने बड़े पैमाने पर पर्यावरण प्रदूषण समस्या उभरी थी, जिससे मानवीय स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ा। बारम्बार ऐसी स्थिति पैदा न हो ऐसे में अगर सरकार कड़े कदम या किसी एक्ट में संशोधन करती है तो यही कदम ही होगा।-पवन कुमार (सरपंच) आबादगढ़

पंजाब सरकार अब जाकर पराली जलाने की गंभीर समस्या को हल करने के लिए जागी है जबकि अपनी पंचायत में उन्होंने पहले ही यह कदम उठा चुका है कि कोई भी किसान या ग्रामीण नागरिक अपने खेतों में पराली नहीं जलाएगा। भूर पंचायत हर बार प्रस्ताव पारित करती है कि किसी भी सूरत गांव में खेतों में पराली को नहीं जलाएगा।-राजिन्द्र सिंह (सरपंच) भूर

पंचायती राज एक्ट में अगर सूबा सरकार इस संशोधन पर विचार कर रही तो यह लोकतंत्र विरोधी हो सकता है क्योंकि चुनाव लडऩे का हर नागरिक को संवैधानिक हक है। सरकार को पराली जलाने के मसले में पंचायती चुनावों में लेकर नहीं जाना चाहिए बल्कि जो किसान पराली जलाता है, उस पर बिना पक्षपात के कार्रवाई अथवा जुर्माने का प्रलोभन होना चाहिए।-हरि दास (सरपंच) बुंगल

अगर सरकार किसी व्यक्ति को पराली जलाने की एवज अथवा उसमें संलिप्ता के आधार पर पंचायती चुनाव लडऩे से वंचित करती है तो यह असंवैधानिक होगा। चूंकि पहले गांव में पराली जलाने से रोकने के लिए सरपंच का दारोमदार था। अगर सरकार सरंपच को चुनाव लडऩे से ही वंचित कर देगी तो समस्या कैसे नियंत्रण में आएगी। - नरेश कुमार (सरपंच) घरोटा

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