35 साल पुरानी जर्जर लाइन का पानी पी रहे गुरदासपुरवासी

Edited By swetha,Updated: 16 Jul, 2018 07:46 PM

old pipe line

जैसे ही किसी इलाके में कोई बीमारी अपने पैर पसारती है तो प्रशासन उसके साथ ही सक्रिय दिखाई देता है। तब प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से उज्ज स्तर पर बैठकों का दौर भी शुरू हो जाता है, और जैसे ही उस विशेष इलाके की समस्या का समाधान हो जाता है तो उसके साथ ही...

गुरदासपुर(विनोद): जैसे ही किसी इलाके में कोई बीमारी अपने पैर पसारती है तो प्रशासन उसके साथ ही सक्रिय दिखाई देता है। तब प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से उज्ज स्तर पर बैठकों का दौर भी शुरू हो जाता है, और जैसे ही उस विशेष इलाके की समस्या का समाधान हो जाता है तो उसके साथ ही प्रशासन पुन: अपनी पुरानी गति पर आ जाता है। 

यही कारण है कि जिला गुरदासपुर व पठानकोट में बीमारियों का सिलसिला चलता ही रहता हैध्यान रहे कि बटाला की एक विशेष कालोनी में बीते साल फैली बीमारी के कारण लगभग 30 लोगों की मौत हो गई थी। यदि इस संबंधी अस्पतालों के रिकार्ड पर नजर दौड़ाई जाए तो पता चलता है कि उल्टी, दस्त, पेचिश, डायरिया, हैजा जैसी अधिकतर बीमारियों का कारण पीने के लिए प्रयोग किया गया दूषित पानी होता है। वर्षा के मौसम में तो यह समस्या लगभग हर इलाके में गंभीर होती है, जबकि आम दिनों में पीने वाला पानी इतना दूषित क्यों हो जाता है। इस संबंधी अधिकतर लोगों को तो क्या प्रशासनिक अधिकारियों को भी इसकी जानकारी नहीं होती। 

बेशक गुरदासपुर शहर में  शत-प्रतिशत सीवरेज व वाटर सप्लाई सुविधा उपलब्ध करवाने के दावे कई सालों से किए जा रहे हैं और इस संबंधी पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल सहित अन्य कांग्रेसी व अकाली मंत्री भी समय-समय पर दावे कर चुके हैं। सीवरेज बोर्ड पंजाब के पूर्व चेयरमैन डा. बलदेव चावला लगभग लगातार 5 साल से पंजाब के अन्य शहरों सहित गुरदासपुर में  सीवरेज सुविधा सारे शहर को उपलब्ध करवाने की बातें करते रहे, परंतु यदि गुरदासपुर शहर का दौरा किया जाए तो किसी शायर का यह शेयर ‘न खुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम, न इधर के रहे न उधर के रहे’ जरूर याद आता है। गुरदासपुर शहर में सबसे अधिक खराब स्थिति कुछ विशेष इलाकों में  जरूर देखने को मिलती है। 

यहां पर लोगों को तो क्या स्वयं नगर कौंसिल सहित वाटर सप्लाई व सीवरेज बोर्ड के कर्मचारियों को भी यह पता नहीं चल पाता कि वाटर सप्लाई की पाइप कौन-सी है और सीवरेज की कौन-सी है। गुरदासपुर में इस्लामाबाद मोहल्ला, संगलपुरा रोड के साथ लगती सभी गलियां, लगभग सारा पुराना शहर, गोपाल शाह रोड, प्रेम नगर, बाबू परमानंद मोहल्ला सहित अन्य कुछ इलाकों में  वाटर सप्लाई, सीवरेज व टैलीफोन विभाग की पाइपों का पता लगाना कठिन हो जाता है।

फिर इन सभी इलाकों में  वाटर सप्लाई की पाइपें तो लगभग 35 साल पुरानी पड़ी हुई हैं, जबकि सीवरेज प्रणाली सुविधा धीरे-धीरे उपलब्ध करवाई जा रही है और अधिकतर इलाकों में  यह सुविधा उपलब्ध करवा दी गई है। जैसे ही किसी मोहल्ले मेंसीवरेज पाइप बिछाने के लिए खुदाई की जाती है तो वहां पर वाटर सप्लाई की पाइपें क्षतिग्रस्त होना स्वाभाविक है, क्योंकि तंग गलियों मेंखुदाई के लिए स्थान तंग होने के कारण सभी पाइपें इकट्ठी ही डाली जाती हैं। 

इसी तरह यदि गीता भवन रोड पर नाले की ढलान ही सही नहीं है। जिस तरफ नाले की ढलान करनी थी उस तरफ नाले को ऊंचा कर दिया गया जिससे इस इलाके मेंवर्षा में स्थिति बहुत खराब रहती है। जी.टी. रोड से गीता भवन सड़क के मोड़ पर नाले में  जितनी पाइप दिखाई देती हैं, उनके बारे में  यह भी पता नहीं चलता कि कौन-सी पाइप किस विभाग की है, जो कई तरह की समस्याएं पैदा करती हैं। इसी तरह से काहनूवान चौक में भी वर्षा के पानी के निकास के लिए बना नाला सालों से लोगों ने बंद कर रखा है।

क्या कहते हैं नगर कौंसिल गुरदासपुर के पूर्व प्रधान
शहर की समस्याओं संबंधी जब नगर कौंसिल के पूर्व प्रधान राकेश ज्योति, बाल किशन मित्तल, संतोष रियाड़ से बात की गई तो उनका कहना था कि शहर मेंसफाई व्यवस्था को ठीक रखना, सीवरेज प्रणाली व वाटर सप्लाई की सुविधा को बेहतर ढंग से लोगों को उपलब्ध करवाना नगर कौंसिल की प्राथमिक जिम्मेदारी है, परंतु नगर कौंसिल गुरदासपुर इस काम मेंअपनी बनती जिम्मेदारी पूरी नहीं कर पा रही है। शहर मेंबाजारों व सड़कों पर हुए अवैध कब्जों के कारण गंदे पानी के निकास की समस्या गंभीर बनी हुई है। 
इस संबंधी भाजपा व अकाली पार्षदों का आरोप है कि विकास कार्यों मेंराजनीतिक भेदभाव शहर से गंदे पानी के निकास मेंमुख्य बाधा है, जबकि कुछ कांग्रेसी पार्षद भी इस भेदभाव का आरोप लगाते हैं।

सीवरेज प्रणाली भी बेहतर स्थिति में नहीं है
शहर मेंसीवरेज प्रणाली भी बेहतर हालत मेंनहीं है क्योंकि कुछ इलाकों मेंसीवरेज की पाइपों की क्षमता बहुत कम है। जेल रोड पर जो सीवरेज डाला गया था वह मात्र जेल रोड के लिए था, परंतु अब उसमें नगर सुधार ट्रस्ट की कालोनी की सारी सीवरेज लाइन इन पाइपों के साथ जोड़ दिए जाने के कारण वर्षा के दिनों मेंयह सीवरेज गंदा पानी खींचने मेंअसफल हो जाता है, इससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

अब नए बन रहे ज्यूडीशियल काम्पलैक्स व प्रशासनिक काम्पलैक्स का सीवरेज भी पुराने बने सीवरेज में डाला जा रहा है जिससे कुछ अन्य इलाकों में भी स्थिति खराब हो सकती है। इसी तरह जो गंदे पानी के निकास के लिए नाले बनाए गए हैं, वे अधिकतर बंद पड़े हैं या उन पर लोगों ने अवैध कब्जे कर रखे हैं। नगर कौंसिल कर्मचारी बेशक समय-समय पर इन नालों की सफाई करते रहते है, परंतु उससे भी इस समस्या पर काबू नहीं पाया जा सका है। इसी तरह से जब भी टैलीफोन वाले अपनी लाइन बिछाने के लिए खुदाई करते हैं तो वे आमतौर पर सीवरेज या वाटर सप्लाई की पाइप को क्षतिग्रस्त कर देते हैं जो समस्या पैदा करती हैं।

क्या कहते है नगर कौंसिल के ई.ओ. भूपिन्द्र सिंह

इस संबंधी नगर कौंसिल के ई.ओ. भूपिन्द्र सिंह से जब बात की गई तो उनका कहना था कि इस समस्या से वर्षा के मौसम मेंनगर कौंसिल को हर साल निपटना पड़ता है। उन्होंने स्वीकार किया कि शहर मेंगंदे पानी के निकास मेंकुछ समस्या जरूर पैदा होती है परंतु इसका कारण नगर कौंसिल नहीं बल्कि प्लास्टिक के लिफाफे हैं, जो लोग प्रयोग करते हैं। शहर में वाटर सप्लाई की पाइप लाइन तो लगभग 35 साल पुरानी है जबकि सीवरेज की पाइपें लगभग 20 साल पुरानी हैं। शहर मेंपानी स्टोर करने वाली हमारे पास एक ही टैंकी हनुमान चौक मेंहै, परंतु कुछ कारणों से उसमेंकभी पानी नहीं भरा गया है और लोगों को ट्यूबवैल से सीधे ही पानी की सप्लाई की जाती है।

नगर कौंसिल के पास शहर मेंलगभग 6000 वाटर सप्लाई के और लगभग 5200 सीवरेज के कनैकशन हैं। उन्होंने स्वीकार किया किया कभी-कभी सीवरेज तथा वाटर सप्लाई लाइन की संयुक्त लीकेज की शिकायत मिलती रहती है और शिकायत मिलने पर उस प्वाइंट की तुरंत मुरम्मत कर दी जाती है। नगर कौंसिल को अपने ही साधनों से सारा प्रबंध करना पड़ता है। सारी स्थिति गुरदासपुर के विधायक बरिन्द्रमीत सिंह पाहड़ा को बताई जा चुकी है तथा जल्दी ही समाधान किया जाएगा।

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