गुरदासपुर सर्विस क्लब की करोड़ों की इमारत बनी खंडहर

Edited By swetha,Updated: 22 Jan, 2019 10:25 AM

gurdaspur service club

गुरदासपुर की जिस सर्विस क्लब में सदा ही चहल-पहल रहती थी तथा जिला गुरदासपुर के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी, डाक्टर, इंजीनियर और शहर के प्रमुख लोग यहां बैठकें करते थे, आज वही करोड़ों रुपए की जमीन तथा इमारत जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते खंडहर में...

गुरदासपुर(विनोद): गुरदासपुर की जिस सर्विस क्लब में सदा ही चहल-पहल रहती थी तथा जिला गुरदासपुर के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी, डाक्टर, इंजीनियर और शहर के प्रमुख लोग यहां बैठकें करते थे, आज वही करोड़ों रुपए की जमीन तथा इमारत जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते खंडहर में तबदील हो गई है। वह  क्लब की इस हालत की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है।  अधिकारियों को तो शायद यह भी पता नहीं कि यह करोड़ों रुपए की जायदाद सरकारी प्रॉपर्टी है।  इस क्लब को प्रशासन अपने अहम विभागों और प्रदर्शनी लगाने के लिए प्रयोग कर सकता है। इस सर्विस क्लब को यदि प्रशासन किसी को ठेके पर भी दे दे तो लाखों रुपए की वार्षिक आय हो सकती है, जिससे खंडहर इमारत का कायाकल्प हो जाएगा। सर्विस क्लब 6 कैनाल में फैला है।

क्या इतिहास है इस सर्विस क्लब का

यह सर्विस क्लब बनाने की योजना वर्ष 1981 में उस समय के जिलाधीश ए.के. कुन्द्रा ने बनाई थी। तब उन्होंने गुरदासपुर में पंचायत भवन तथा जिला अधिकारियों व प्रमुख नागरिकों के लिए मीटिंग करने करने के लिए इस सर्विस क्लब को बनाने का निर्णय लिया था। उन्होंने इस सॢवस क्लब का बहुत तेजी से काम करवा कर इसका उद्घाटन 20 फरवरी 1982 को पंजाब के मुख्य सचिव आई.सी. पुरी से करवाया था। कई सालों तक यह सॢवस क्लब गुरदासपुर शहर के लिए आकर्षण का केन्द्र बना रहा, उसके बाद सामाजिक संगठनों को भी इस क्लब की इमारत किराए पर दी जाने लगी, पर प्रशासन की अनदेखी से यह इमारत खस्ताहाल हो गई।   इस सॢवस क्लब में सुंदर सोफे, कुर्सियां, डायनिंग टेबल, क्रॉकरी भी उपलब्ध थी तथा बहुत ही सुंदर शौचालय भी बनाए गए। सॢवस क्लब के एक हाल में टेबल टैनिस खेलने के लिए मेज भी लगाया गया।

आतंकवाद के दौर में लगी क्लब को नजर
इस सॢवस क्लब के बनने के कुछ साल बाद ही पंजाब में आतंकवाद का दौर शुरू हो गया तथा इस सॢवस क्लब में रात को होने वाले प्रोग्राम बंद कर दिए गए। इसके बाद दिन के समय कुछ कार्यक्रम जरूर होते थे, परंतु धीरे-धीरे वे भी बंद हो गए। क्लब को ऐसी नजर लगी कि प्रशासन को इस क्लब को बंद करना पड़ा। अब यह सॢवस क्लब नशेडिय़ों तथा जुआरियों का अड्डा बन गया है।

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