नशों व अवैध कारोबार पर महिलाओं की पकड़ मजबूत होना चिंता का विषय

Edited By swetha,Updated: 30 Jul, 2018 02:31 PM

drug case

राज्यसभा, लोकसभा, विधानसभा सहित हर क्षेत्र में हर लोगों का कहना है कि महिलाएं आज के युग में पुररुषों के बराबर हैं। कोई भी काम हो महिला आसानी से हर काम को पुरुषों के समान या ऐसा भी कहा जा सकता है कि पुरुषों से बेहतर ढंग से कर सकती है, ऐसा कहना किसी...

गुरदासपुर(विनोद): राज्यसभा, लोकसभा, विधानसभा सहित हर क्षेत्र में हर लोगों का कहना है कि महिलाएं आज के युग में पुररुषों के बराबर हैं। कोई भी काम हो महिला आसानी से हर काम को पुरुषों के समान या ऐसा भी कहा जा सकता है कि पुरुषों से बेहतर ढंग से कर सकती है, ऐसा कहना किसी तरह से भी गलत नहीं है। इसकी उदाहरण अब सामाजिक ही नहीं बल्कि गैर-कानूनी कार्यों में भी आसानी से जिला गुरदासपुर व पठानकोट में देखने को मिल रही है। महिलाओं की नशों व शराब के अवैध कारोबार में बढ़ती भागीदारी समाज के लिए जहां एक चुनौती है, वहीं यह चिंता का विषय भी है।

क्या है यह धन्धा
गैर-कानूनी है यह धंधा। नशों के कारोबार में महिलाओं को संलिप्तता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। जो हाथ पति के लिए रोटी बनाने, सास-ससुर की सेवा व बच्चों को ममता की ठंडी छांव देने के काम आते हैं, वहीं हाथ अब अवैध शराब तैयार करने में भी पीछे नहीं हैं। कुल मिलाकर जिन हाथों का सहारा लेकर एक बच्चा बड़ा होता है, उन्हीं हाथों से अब जहर नुमा शराब तैयार करवाई जाती है तथा बेचने का कारोबार करवाया जा रहा है।

यह शराब सरकारी कारखानों में नहीं बल्कि घरों में तैयार की जाती है। जितने भी नशों या शराब के अवैध कारोबार करने वाले बीते कुछ माह में पुलिस द्वारा पकड़े गए, उनमें महिलाओं का प्रतिशत 60 प्रतिशत से अधिक है।इस शराब में यदि सीरा या किसी कैमिकल की निर्धारित मात्रा से एक बूंद भी अधिक पड़ जाए तो यह शराब जहर बन जाती है, जो कई मानव जीवन को समाप्त कर सकती है। ऐसी ही घटनाएं जिला होशियारपुर तथा जिला गुरदासपुर के पुलिस स्टेशन घुम्मान अधीन आते कुछ गांवों में बीते समय में हो चुकी है। देश में अवैध शराब पीकर लोगों के मरने की घटनाएं आम होती जा रही हैं।

पुलिस के रिकार्ड अनुसार पुरुषों के मुकाबले महिलाएं अधिक पकड़ी गईं
पंजाब सरकार के दबाव में पुलिस प्रतिदिन छापेमारी कर रही है तथा शराब के अवैध कारोबार में संलिप्त महिलाएं पकड़ी भी जा रही हैं। इससे स्पष्ट होता है कि अब इस अवैध धंधे की कमान पुरुषों के बजाए महिलाओं के हाथों में चली गई है। इस संबंधी पुलिस अधिकारियों से बात की तो उनका कहना था कि महिलाओं पर पुलिस संदेह कम करती है और महिलाओं की तलाशी लेना भी इतना आसान काम नहीं है। सार्वजनिक स्थानों पर तो किसी महिला को रोक कर उसे तलाशी देने के लिए कहना किसी भी तरह से सही नहीं ठहराया जाता और लोग भी इस तरह के मामले को तूल देते हैं। जिला पुलिस गुरदासपुर में इस वर्ष नशों का अवैध धंधा करते हुए 103 से अधिक महिलाएं पकड़ी गई हैं तथा कई महिलाएं ऐसी हैं जो कई-कई बार पकड़ी गई हैं। आरोपी महिलाओं से हैरोइन, स्मैक, नशे के कैप्सूल, नशे की गोलियां, शराब की चालू भट्ठियां, लाहन, अल्कोहल व शराब पकड़ी जा चुकी है।

कौन से गांव आते हैं इस अवैध धंधे में
इस समय जिला गुरदासपुर में मौजपुर, बहरामपुर, ढीढा सैनिया, बरियार, गांधियां, मानकौर, कैरे सहित हिमाचल प्रदेश का कस्बा भदरोआ व छन्नी बेली व कुछ अन्य ऐसे गांव हैं जो नशों व अवैध शराब बनाने के लिए प्रसिद्ध हैं। इन गांवों में भी अब नशों के अवैध कारोबार की कमान महिलाओं के हाथों में है। इन गांवों की कई महिलाएं ऐसी हैं जिनके विरुद्ध शराब व एन.डी.पी.एस. एक्ट के 5 से 25 केस अदालतों में चल रहे हैं। बीते दिनों ढीढा सैनीयां से दीनानगर पुलिस ने बहुत अधिक मात्रा में अवैध शराब बरामद की थी, जबकि इस गांव के प्रमुख लोग कुछ माह से दावा कर रहे थे कि उन्होंने लोगों को प्रेरित कर गांव से शराब का अवैध धंधा बंद करवा दिया है। इन गांवों में शराब तैयार करने में महिलाएं भी माहिर हो चुकी हैं। गांव मौजपुर के नशों का अवैध धंधा करने वाले लोगों ने एक बार समारोह कर इस धंधे से सदा के लिए दूर होने की शपथ भी ली थी, वह शपथ अब हवा हो गई है।  

वे महिलाएं जिनके विरुद्ध 5 से 25 तक केस दर्ज हैं     
पुलिस स्टेशन दीनानगर के गांव ढीढा सांसियां निवासी महिला मित्रां, पुष्पा, शिमला रानी, लखविन्द्र कौर के विरुद्ध 10 से 35 केस विभिन्न अदालतों में चल रहे हैं। इसी तरह गांव बरियार निवासी कमला, संदला, अनीता प्रमुख हैं, जबकि गांव गांधिया निवासी महिला प्रभी व गोगी इस काम में बहुत आगे हैं। सिटी पुलिस स्टेशन अधीन इलाका मानकौर की रानी, कमलेश, अनीता व शरीफां पर कई-कई केस चल रहे हैं, जबकि बहरामपुर पुलिस स्टेशन में राज रानी निवासी गांव कैरे, सरस्वती निवासी गांव दोदवां, बिमला निवासी गांव कैरे, कुंती निवासी दोदवां, कैलाशो निवासी गांव कैरे ऐसी महिलाएं हैं जो नशों के कारोबार के लिए बदनाम हैैं तथा पुलिस रिकार्ड के अनुसार इनके कई केस अदालतों में चल रहे हैं। यह जमानत पर छूटते ही फिर इसी धंधे में लग जाती हैं।

‘महिला पुलिस कर्मचारियों की कमी से होती है परेशानी’
जिला पुलिस अधीक्षक स्वर्णदीप सिंह ने कहा कि शराब का अवैध धंधा पूरी तरह से समाप्त केवल जन सहयोग से ही किया जा सकता है। उन्होंने स्वीकार किया कि इस धंधे में महिलाओं की संलिप्तता काफी है तथा बड़ी संख्या में महिलाएं विभिन्न नशों का अवैध धंधा करती हैं। उन्होंने बताया कि महिलाओं की तलाशी लेना पुरुष पुलिस कर्मचारियों के लिए कठिन होता है, परंतु इसका मतलब यह नहीं है कि पुलिस हाथ पर हाथ रख कर बैठी है। नाकों पर महिला पुलिस कर्मचारी भी तैनात की जाती हैं तथा जरूरत पडऩे पर महिला पुलिस को महिलाओं की तलाशी लेने के लिए भेजा भी जाता है। उन्होंने कहा कि पुलिस स्टेशनों में महिला कर्मचारियों की संख्या बहुत कम है, जिस कारण कुछ परेशानी जरूर पेश आती है। जल्द ही महिला पुलिस कर्मचारियों की पुलिस स्टेशनों में संख्या बढ़ाई जाएगी।

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