शहर के अधिकांश क्षेत्रों में सप्लाई हो रहा दूषित पेयजल

Edited By Anjna,Updated: 24 Jun, 2018 09:01 AM

distributed drinking water in most areas of the city

गुरदासपुर शहर के अधिकांश क्षेत्रों में पेयजल की सप्लाई नगर कौंसिल द्वारा स्थापित ट्यूबवैल व टैंकियों से की जाती है। शहर में सप्लाई किए जा रहे पानी के सैंपल लिए जाएं तो पता चलता है कि पीने वाला पानी पूर्णतया दूषित है।

गुरदासपुर (विनोद): गुरदासपुर शहर के अधिकांश क्षेत्रों में पेयजल की सप्लाई नगर कौंसिल द्वारा स्थापित ट्यूबवैल व टैंकियों से की जाती है। शहर में सप्लाई किए जा रहे पानी के सैंपल लिए जाएं तो पता चलता है कि पीने वाला पानी पूर्णतया दूषित है। नगर कौंसिल के अतिरिक्त लोक निर्माण विभाग व एम.ई.एस. के ट्यूबवैल भी शहर में पानी की सप्लाई करते हैं। इस समस्या को लेकर नगर कौंसिल अधिकारियों का कहना है कि उनके ट्यूबवैल से सप्लाई हुआ जल पूरी तरह से क्लोरीन युक्त होता है। लोग वाटर सप्लाई लाइन से कनैक्शन जोड़ते हैं वे सही ढंग नहीं जुड़ते जिसके कारण गंदगी मिक्स होने से पानी के दूषित होने के समाचार मिलते हैं।

जांच में शहर के अधिकांश क्षेत्रों में मिला दूषित जल
विभाग द्वारा शहर के विभिन्न इलाकों, स्कूलों व होटलों आदि से पानी के सैंपल लिए गए थे, यह पानी जांच में पूर्णतया दूषित पाया गया। इसी तरह संबंधित विभाग ने जिला गुरदासपुर के सभी स्कूलों के पानी के सैंपल लेकर जांच की तो अधिकतर स्कूलों के पानी के सैंपल फेल पाए गए थे। गुरदासपुर शहर का दौरा करने पर पाया गया कि गलियों में वाटर सप्लाई की जो पाइप लाइन बिछाई गई हैं, वे पुरानी हो चुकी हैं जिस कारण लीकेज होना स्वाभाविक है। दूसरा वाटर सप्लाई की पाइप तथा गंदे पानी के निकास के लिए बनाई नालियों में दूरी अधिक नहीं है। कुछ स्थानों पर तो ये दोनों इकट्ठी ही दिखाई देती हैं और लीकेज के कारण दोनों का पानी एक-दूसरे में मिल जाता है, जो समस्या का मुख्य कारण है।

मिनरल वाटर निर्धारित मापदंड अनुसार ठीक नहीं
लोगों ने आरोप लगाया कि इस समय बाजार में बोतलों में बिकने वाला मिनरल वाटर भी अधिकतर दूषित पानी वाला है। इस मिनरल वाटर के यदि सैंपल भरे जाएं तो यह भी मानवों के प्रयोग के योग्य नहीं पाए जाते हैं। यह मिनरल वाटर सरकार द्वारा निर्धारित मापदंड अनुसार तैयार नहीं किए जाते, परंतु इस ओर जिला प्रशासन विशेष ध्यान नहीं दे रहा है। सेहत विभाग के अधिकारियों का मानना है कि पेट की अधिकतर बीमारियां दूषित पानी पीने के कारण होती हैं। इसी तरह ग्रामीण इलाकों में तो स्थिति बहुत अधिक खराब है।

गांवों में जितने भी नल है, उनके चारों ओर पक्का चबूतरा न बनाए जाने के कारण गंदा पानी पुन: नल की पाइप के साथ भूमि में चला जाता है जो स्थिति को बहुत खराब करता है। कई गांवों में इस समस्या के कारण खतरनाक बीमारियां फैलने के समाचार भी आते रहते हैं।

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