‘खाल’ की जद में आकर हर वर्ष हो रही कई एकड़ फसल बर्बाद

Edited By swetha,Updated: 18 Mar, 2019 11:25 AM

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भोआ वि.स. क्षेत्र के अधीन आते गांव गंडे पिंडी के  किसानों की गेंहूं की फसल गांव फरीदानगर से निकलने वाले खाल नाले से निकासी होकर घुस रहे पानी से बुरी तरह बर्बाद हो रही है जिससे किसानों को भारी आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है।

पठानकोट/भोआ(शारदा, अरुण): भोआ वि.स. क्षेत्र के अधीन आते गांव गंडे पिंडी के  किसानों की गेंहूं की फसल गांव फरीदानगर से निकलने वाले खाल नाले से निकासी होकर घुस रहे पानी से बुरी तरह बर्बाद हो रही है जिससे किसानों को भारी आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है। उक्त नाले के कारण अब तक असंख्य एकड़ गेहूं की फसल बर्बाद हो चुकी है बावजूद इसके समस्या लंबे अर्से से जस की तस बनी हुई है। अब तक कई सरकारें आईं व गईं परन्तु इस समस्या से अब तक ग्रामीण जनता व किसानों को कोई राहत नहीं मिल पाई है।

जानकारी के अनुसार फरीदा नगर गांव से यू.बी.डी.सी. नहर से निकलने वाले खाल वाले नाले और कोटली नहर से निकलने वाली नॉमिनी नालें का संगम गांव माजरा में होता है, जबकि उसके साथ शहर दीनानगर की गंदे पानी की निकासी भी इसी खाल वाले नाले में पड़ती है, जिससे यह नाला तीनों तरफ से नदी के समान उफान पर आकर इसकी जद में आने वाली फसलों को बर्बाद करके लील जाता है। यह नाला यू.बी.डी.सी. नहर से निकलकर आगे करीब आधा दर्जन से अधिक गांवों को प्रभावित करता व इन गांवों की खड़ी फसल को जद में लेकर बर्बाद करता हुआ आगे नॉमिनी नाले में जा मिलता है। बता दें कि इस नाले की जद में गुजरात, परमानंद, डल्ला बलीम, अलीखां, पहाड़ोंचक, ख्याला कोठे, माजरा आदि गांव आते हैं।

ग्रामीणों ने खोला मोर्चा
इस संबंध में पूर्व सरपंच मास्टर सतिन्द्र सैनी के नेतृत्व में नाले से फसलों की होने वाली बर्बादी से क्षुब्ध होकर जिला प्रशासन एवं राज्य सरकार के विरुद्ध नारेबाजी करते हुए रोष प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों में शामिल राजपाल सिंह, रमेश पाल, तरसेम लाल, सुरजीत सिंह, सुभाष चंद्र, ओम प्रकाश, अजय कुमार, दौलत राम, राजेश कुमार, विजय कुमार व राकेश कुमार ने रोष व्यक्त करते हुए बताया कि उक्त नाले के निशाने पर आधा दर्जन से अधिक गांव हैं जिनकी फसल यह नाला अब तक लीलता आ रहा है। 

ड्रेनेज विभाग व जिला प्रशासन नहीं ले रहा सुध    
जहां यह नाला नॉमिनी नाले से मिल जाता है, वहां दीनानगर का निकासी पानी आने से इसका पानी 3 गुना हो जाता है जो आगे जाकर गांव गाहलड़ी से होकर रावी दरिया में गिरता है, परंतु समीपवर्ती गांव चौंतरा के लोग बरसाती दिनों में रावी दरिया में पानी अधिक होने के कारण इस पानी को गाहलड़ी हाईडल में रोक देते हैं, जिसके परिणाम फलस्वरूप गांव राजी, शेखूचक्क, गंडे पिंडी, जौगर आसपास के अन्य गांव की सैंकड़ों एकड़ भूमि पर किसानों की महीनों की मेहनत कर तैयार की गई फसल जल समाधि ले लेती है, परंतु ड्रेनेज विभाग व जिला प्रशासन की ओर से आज तक इन गांवों की कोई सुध नहीं ली गई जबकि प्रति वर्ष क्षेत्र की कई एकड़ भूमि इसकी चपेट में आकर जल समाधि ले लेती है। उन्होंने बताया कि मात्र गंडे पिंडी की लगभग 30 एकड़ भूमि की फसल इस नाले के उफान में जल समाधि ले चुकी है, परंतु अब तक जिला प्रशासन की ओर से उन्हें कोई मुआवजा नहीं दिया गया।

‘4 एकड़ भूमि पर भरा है 3 से 4 फुट पानी’
स्थानीय निवासी दौलत राम ने कहा कि‘ मेरी लगभग 4 एकड़ भूमि पर अभी लगभग 3 से 4 फुट तक पानी खड़ा है जबकि उसने इस फसल को बड़ी मेहनत से तैयार किया था। उन्होंने बताया कि बरसात के दिनों में उसकी जमीन पर लगभग 5 से 6 फुट पानी भर जाता है जबकि गांव की सड़क से यह जमीन लगभग 8 से 10 फुट नीचे है। उन्होंने बताया कि इस संबंधी उन्होंने जिला उपायुक्त पठानकोट को भी कुछ दिन पूर्व मांग पत्र सौंपा है, परंतु अब तक भी समस्या यथावत बनी हुई है। जिला प्रशासन को चाहिए किगांव की लगभग 30 एकड़ फसल को बचाने हेतु गांव भूत जोगर से गंदे पिंडी तक पक्की ड्रेन बनाई जाए।

विधान सभा में उठाएंगे मुद्दा : विधायक 
वहीं विधायक जोगिन्द्र पाल ने कहा कि जिला उपायुक्त को इस संबंध में लिखा गया है कि जिन फसलों की बर्बादी हुई है, की स्पैशल गिरदवारी करवाई जाए ताकि प्रभावित किसानों को मुआवजा देने की प्रक्रिया सिरे चढ़ाई जा सके। विधायक ने कहा कि नालों के कारण हर साल बर्बाद होने वाली फसल का मुद्दा वह विधानसभा में उठाएंगे।

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