Edited By swetha,Updated: 05 Sep, 2018 01:04 PM
पिछले एक साल से नगर की जनता लावारिश पशुओं के कारण परेशानी का सामना कर रही थी। खूंखार सांडों की बढ़ती फौज से स्थिति इतनी पेचीदा हो गई थी कि कई वाहन चालक व राहगीर इनकी चपेट में आकर चोटिल हो चुके हैं। शहर के हर चौराहे व गंदगी वाले स्थल पर इन पशुओं के...
पठानकोट(शारदा): पिछले एक साल से नगर की जनता लावारिश पशुओं के कारण परेशानी का सामना कर रही थी। खूंखार सांडों की बढ़ती फौज से स्थिति इतनी पेचीदा हो गई थी कि कई वाहन चालक व राहगीर इनकी चपेट में आकर चोटिल हो चुके हैं। शहर के हर चौराहे व गंदगी वाले स्थल पर इन पशुओं के कारण जनता का जीना दूभर हो गया था। जिला प्रशासन जिसके अंतर्गत कैटल पॉन्ड आता है तथा कार्पोरेशन एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे थे। वहीं जानवरों को काबू करने वाला टैंडर निर्धारित समय पर नहीं हो पाया। इसकी न तो जांच करवाई गई तथा न ही किसी अधिकारी पर गाज गिरी। अगर निगम सही ढंग से प्लाङ्क्षनग करता तो एक टैंडर खत्म होते ही दूसरे टैंडर को लगाकर नए ठेकेदार की व्यवस्था कर ली जाती परन्तु जनता को राम भरोसे छोड़ दिया गया।
क्या कहते हैं म्यूनिसिपल इंजीनियर
वहीं म्यूनिसिपल इंजीनियर सतीश सैनी ने बताया कि विधायक अमित विज ने इस समस्या के समाधान हेतु प्रयास किए थे। निगम को तुरंत कार्रवाई करने का आदेश था। इसी के चलते 4 लाख 80 हजार का पशु पकडऩे का ठेका गत दिनों दिया गया था। जिस फर्म ने यह ठेका लिया है उसने 15 प्रतिशत लैस में लिया है जो 580 प्रति पशु के रूप में पड़ता है। चाहे काम करने का समय 3 महीने का है परन्तु एक-डेढ़ महीने में ही लावारिश पशुओं को काबू करके कैटल पॉन्ड में छोड़ दिया जाएगा।
क्या कहते हैं जिला कांग्रेस प्रधान अनिल विज
वहीं इस संबंध में जिला कांग्रेस अध्यक्ष अनिल विज ने कहा कि कार्पोरेशन की इससे बड़ी विफलता क्या हो सकती है कि उसने लावारिश पशुओं को पकडऩे के लिए समय पर खत्म हुए टैंडर को दोबारा इश्यू करने की व्यवस्था नहीं की। यहां तक कि निगम मेयर तो साफ कह रहे हैं कि पशुओं की धरपकड़ उनका दायित्व न होकर जिला प्रशासन की जिम्मेदारी है। उन्होंने डेयरी वालों को भी आह्वान किया कि वे अपने पशुओं को खुले में न छोड़ें।