Edited By Vatika,Updated: 28 Oct, 2020 01:02 PM
परमल धान की सरकारी खरीद को लेकर मापदण्डों अनुसार जहां सरकारी खरीद एजेंसियों द्वारा 30 प्रतिशत बारदाना शिल्लर मिल्लरों को मुहैया करवाने की बात कही गई थी
जलालाबाद (सेतिया): परमल धान की सरकारी खरीद को लेकर मापदण्डों अनुसार जहां सरकारी खरीद एजेंसियों द्वारा 30 प्रतिशत बारदाना शिल्लर मिल्लरों को मुहैया करवाने की बात कही गई थी परन्तु वहीं अब जलालाबाद में पनग्रेन एजेंसी द्वारा बारदाना मुहैया न करवाए जाने कारण संबंधित अलाटमैंट वाले शैलर मिल्लरों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। आलम यह है कि उक्त एजेंसी द्वारा एक ही राइस मिल पर बारदाने की गाठें उतरवाईं हुई हैं और बाकी राइस मिल्लर बारदाने को ले कर खरीद एजेंसी का मुंह देखने के लिए मजबूर हैं।
जानकारी अनुसार जलालाबाद के 9 राइस मिलों को पनग्रेन की अलाटमैंट है और खरीद शुरू होने से पहले सरकार द्वारा बारदाने को ले कर जो फर्मान जारी किया था उस में 70 प्रतिशत राइस मिल्लर और 30 प्रतिशत संबंधित खरीद एजेंसी बारदाना देगी और बाकी का 20 प्रतिशत बारदाना कस्टम मीलिंग शुरू होने के साथ-साथ मुहैया करवाया जाएगा परन्तु इसके उलट पनग्रेन एजेंसी द्वारा इन आदेशों को ताक पर रखते हुए जलालाबाद की एक राइस मिल और 96 गाठें उतरवा दीं और बाकी के राइस मिल्लरों के पास बारदाना नहीं है और दूसरे राइस मिल्लरों द्वारा संबंधित खरीद एजेंसी के अधिकारियों को बार -बार बात करने के बावजूद बारदाना नहीं दिया गया और इस से साफ जाहिर होता है और एक शैलर 96 गाठें उतरवाना और बाकी राइस मिल्लरों को मुंह देखने के लिए मजबूर करना कहीं न कहीं इस में भ्रष्टाचार की गंध आ रही है।
उधर जब इस संबंधी एएसएफओ चरनजीत सिंह के साथ बातचीत की तो उन्होंने कोई संतुष्ट जवाब नहीं दिया और हर बार टालमलोट करते नजर आए। यदि यह 96 गाठों की जांच करवाई जाए तो साथ ही जलालाबाद में पनग्रेन एजेंसी खरीद हुए धान की जांच करवाई जाए तो सच सामने आ जाएगा कि आखिरकार दावे करने वाली नोडल एजेंसी किस तरह नियमों को ताक पर रखकर बैठी है।