नौकरी लगवाने के नाम पर मारी लाखों की ठग्गी

Edited By Mohit,Updated: 13 Dec, 2018 03:52 PM

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स्थानीय मोहल्ला जैन नगरी निवासी एक दिव्यांग सीनियर सिटीजन सेवा निवृत व्यक्ति ने जालंधर के एक निजी अस्पताल के कर्मचारी ने उसके साथ ठग्गी मारने के आरोप लगाए हैं। पुलिस कप्तान को लिखे पत्र में जैन नगरी गली नं 3 निवासी.............

अबोहर (भारद्वाज): स्थानीय मोहल्ला जैन नगरी निवासी एक दिव्यांग सीनियर सिटीजन सेवा निवृत व्यक्ति ने जालंधर के एक निजी अस्पताल के कर्मचारी ने उसके साथ ठग्गी मारने के आरोप लगाए हैं। पुलिस कप्तान को लिखे पत्र में जैन नगरी गली नं 3 निवासी ओमप्रकाश पुत्र हंसराज ने पुलिस कप्तान को दिए। पत्र में कहा है कि 21 मई 2017 को मैं जालंधर के एक अस्पताल में गोडे का आप्रेशन करवाने गया था और 28 मई तक अस्पताल में दाखिल रहा। ठग्गी मारने वाला व्यक्ति अस्पताल में मरीजों की ड्रैसिंग आदि करता है। जिस कारण उससे मेरी जान पहचान हो गई। उपरोक्त व्यक्ति ने मुझे बातों में बहला फुसलाकर बताया कि मेरा जीजा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राहुल गांधी का निजी सुरक्षा गार्ड है अगर तुम्हारी पुत्रवधू ग्रेजूएट है तो अभी रेलवे में नौकरियों का विज्ञापन प्रकाशित हुआ है मैं उसे अपने जीजा से कहकर भर्ती करवा दूंगा लेकिन उन्हें 5 लाख रूपए देने पडेंगे।

उसकी यह बात सुनकर मेरे ध्यान में आया कि मेरे ही विभाग से सेवा निवृत हुई सीता रानी पत्नी गुरदेव सिंह निवासी फिरोजपुर का पुत्र विनय कुमार भी पढा लिखा व बेरोजगार है। जब मैंने इस बारे में सीता रानी से बात की तो उसने रूपए देने की हामी भर ली। यह बातचीत तय होने के बाद वर्ष 2017 में दिवाली से पूर्व उपरोक्त व्यक्ति मेरे पास अबोहर आया और उसने मेरे से 5 लाख रूपए एडवांस मांगे क्योंकि मैंने अपने जीजा को दिवाली का गिफ्ट देने जाना है। मैंने डेढ लाख रूपए एकत्रित करके आत्मा राम के सामने उपरोक्त व्यक्ति को दे दिए। उपरोक्त व्यक्ति को मेरे पास से मेरी पुत्रवधू ज्योति और विनय कुमार पुत्र गुरदेव सिंह के आइडी पू्रफ, आधार कार्ड, वोटर कार्ड व शैक्षणिक योग्यताओं की तस्दीक शुदा कापियां तथा उनके 6-6 फोटो मेरे से ले लिए।

तीन चार माह बीत जाने के बाद भी जब कोई काम नहीं हुआ तो मैं उसे उससे फोन पर बातें करता रहा और स्वयं जालंधर जाकर भी मिला। ज्यादा जोर देने पर उसने कहा कि तुम्हारा काम नहीं हो सकता मैं तुम्हारी रकम वापिस दे दूंगा। मुझे विश्वास में लेने के लिए उसने 30 हजार रूपए का चैक भी दे दिया जो कि बाउंस हो गया। जब मैंने उपरोक्त व्यक्ति को वकील का नोटिस दिया तो उसने 10 हजार रूपए मेरे खाते में जमां करवा दिए और अब तक टालता आ रहा है। पुलिस कप्तान ने प्रार्थी की बात को ध्यान से सुनकर उपरोक्त व्यक्ति के खिलाफ 17 दिसंबर को प्रात 11 बजे अपने कार्यालय में सम्मन किया है।

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