Edited By Vatika,Updated: 18 Jun, 2018 03:53 PM
किसी ने सच ही कहा है कि किसी के सुख को देखकर न जलो, उनकी तरफ देखो जो अपने से भी बुरा जीवन व्यतीत कर रहे हैं और यहां यह कहावत भी सच साबित होती है बार्डर पट्टी पर बसे गांव प्रभात सिंह वाला हिठाड़ की, यहां के निवासियों छिन्दो बाई पत्नी बूड़ सिंह, बूड़...
जलालाबाद (बंटी दहूजा): किसी ने सच ही कहा है कि किसी के सुख को देखकर न जलो, उनकी तरफ देखो जो अपने से भी बुरा जीवन व्यतीत कर रहे हैं और यहां यह कहावत भी सच साबित होती है बार्डर पट्टी पर बसे गांव प्रभात सिंह वाला हिठाड़ की, यहां के निवासियों छिन्दो बाई पत्नी बूड़ सिंह, बूड़ सिंह पुत्र काकू सिंह जिसके घर 7 बच्चों ने जन्म लिया, जिसमें 5 लड़कियां और 2 लड़के हैं, जो जन्म से ही मन्दबुद्धि थे, जबकि बूड़ सिंह व उसकी पत्नी बिल्कुल स्वस्थ हैं, सिवाय बच्चों के बोझ के।
बूड़ सिंह और उसकी माता (बच्चों की दादी) ने खून के आंसू बहाते हुए बताया कि उनके घर 5 लड़कियां और 2 लड़के हुए थे और सभी दिव्यांग और मन्दबुद्धि थे और जिनमें से 3 बड़ी लड़कियों की मौत हो गई और अब उसकी लड़की पिंकी रानी (22), राज रानी (20), लड़का मिट्ठू सिंह (18) और जगमीत सिंह (17) मन्दबुद्धि हैं, जिनका उन्होंने दूर-दूर जाकर इलाज करवाया है और उनको कोई खास फर्क नहीं पड़ा, जिस दौरान बूड़ सिंह ने अपनी जमीन, गहने गिरवी रख दिए हैं और सभी रिश्तेदारों से भी मदद लेकर इलाज करवाया परन्तु भगवान ने उनकी एक भी नहीं सुनी और बच्चों को कोई फर्क नहीं पड़ा। बूड़ सिंह ने बताया कि अब वह मेहनत-मजदूरी करता है और उसके घर का गुजारा ही बहुत मुश्किल के साथ होता है और वह ब्याज कहां से भरे, उसने आंसू बहाते हुए कहा कि बहुत बार उसका मन करता है कि वह किसी तरफ को मुंह कर जाए, परन्तु बच्चों का मोह उसे एक पल भी कहीं नहीं जाने देता।
उसने कहा कि उन माता-पिता को पूछो जिनके घर एक जीव भी दिव्यांग है और वे किस तरह बच्चों का मल-मूत्र साफ करते हैं और इतने कष्ट बर्दाश्त करते हैं और उसके तो 4 नौजवान बच्चे बीमार पड़े हैं, वह भी 25 सालों से और आप उसके परिवार के दर्द का अंदाजा लगा सकता हो। बूड़ सिंह ने बताया कि उनके चारों बच्चे पता नहीं कब हंसने लग जाते हैं और पता नहीं कब रोने। उस समय हमारा मन बहुत रोता है कि पता नहीं हमारे बच्चों के मन में क्या बात आती है, जो वे ऐसा करते हैं। उसने थोड़ा-सा मन हलका करते हुए कहा कि आपकी टीम यहा आई है और हमें कुछ उम्मीद जगी है कि शायद हमारी आवाज गांव के सरपंच, उच्चाधिकारियों और सरकार के कानों तक पहुंच सके और हमारी कुछ माली मदद हो सके जिसके साथ उसे कर्जे से निजात मिल सके।