बेटे का शव देख बिलख उठे परिजन, मां बोली- मेरा हंस कित्थे उड़ गया...

Edited By Vatika,Updated: 22 May, 2019 03:32 PM

commit suicide

सी.आई.ए. स्टाफ फरीदकोट के इंचार्ज नरेंद्र सिंह गिल की 19 मई को दोपहर के समय अपने दफ्तर में ही संदिग्ध हालत में रिवॉल्वर की गोली लगने से मौत हो गई थी।

जीरा(दविन्द्र अकालियांवाला): सी.आई.ए. स्टाफ फरीदकोट के इंचार्ज नरेंद्र सिंह गिल की 19 मई को दोपहर के समय अपने दफ्तर में ही संदिग्ध हालत में रिवॉल्वर की गोली लगने से मौत हो गई थी।
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आज जब उनका शव अंतिम संस्कार के लिए उनके गांव मरखाई लाया गया तो पूरा गांव बिलख उठा। इस दौरान रोते हुए नरेंद्र की मां शमिन्द्र कौर की जुबां से शब्द निकल रहे थे कि मेरा 'सोहना पुत' जिसको लोग सैल्यूट मारते थे, आज मिट्टी की मुट्ठी बन जाएगा, मेरा हंस कित्थे उड़ गया, मेरा हंस क्यों उड़ गया...।वहीं इंस्पैक्टर नरेन्द्र सिंह गिल के पुत्र नवरीत सिंह तथा बेटी हरनिन्द्रप्रीत कौर, जो कनाडा से अपने पिता का आखिरी बार मुंह देखने के लिए आए थे, बिलख-बिलख कर रो रहे थे। वह कह रहे थे कि उसको यह नहीं पता था कि उसके पिता उसके कनाडा जाने के बाद नहीं रहेंगे। आज नरेंद्र सिंह गिल का सरकारी सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। 

डी.एस.पी. बनने का सपना रहा अधूरा
वर्ष 2011 में इंस्पैक्टर नरेन्द्र सिंह गिल बतौर इंस्पैक्टर प्रोमोट हुए। उनके पिता मेजर सिंह गिल फौज से बतौर सूबेदार रिटायर हुए। गिल ने अब बतौर डी.एस.पी. प्रोमोट होना था। वह बहुत ही दृढ़ इरादे वाले तथा दलेर स्वभाव के थे। पुलिस विभाग में वह अपने से बड़े अफसरों का सम्मान तथा अन्य मुलाजिमों का बहुत सम्मान करते थे। गुरविन्द्र सिंह ने बताया कि इन सभी बातों के बावजूद उसके भाई नरेन्द्र सिंह गिल द्वारा खुदकुशी करने की बात उनके लिए एक पहेली बनी हुई है।


 कभी भी नहीं ली थी रिश्वत 
आज जैसे ही मृतक नरेन्द्र सिंह की लाश गांव पहुंची तो सारा गांव बिलख उठा। गांव वासियों को उस पर गर्व था कि उसने पुलिस अफसर बनकर कभी किसी से रिश्वत नहीं ली थी। उसने अपनी ड्यूटी दौरान कभी भी अपनी वर्दी को दाग नहीं लगने दिया। आज उसकी अंतिम विदाई मौके पहुंचे महिला पुलिस कर्मचारियों, अधिकारियों की आंखें भी नम हो गईं।आतंकवाद के काले दौर के बाद सीधा हुआ था ए.एस.आई. भर्तीपंजाब के आतंकवाद के काले दिनों दौरान पढ़ाई करके भर्ती हुआ इंस्पैक्टर नरेन्द्र सिंह गिल के छोटे भाई गुरविन्द्र सिंह गिल ने बताया कि नरेन्द्र एम.ए. इंगलिश था तथा वह साल 1993 में पंजाब पुलिस में बतौर ए.एस.आई. भर्ती हुआ। उसकी पहली पोस्टिंग पुलिस थाना शेरपुर कलां जिला बरनाला में हुई।

नरेंद्र की मौत के कारणों की हो जांच  
नरेन्द्र सिंह गिल के क्लास फैलो तथा पूर्व मैंबर जिला योजना बोर्ड फिरोजपुर रीत महेन्द्र सिंह ने बताया कि उनका दोस्त इंस्पैक्टर नरेन्द्र सिंह गिल आत्महत्या नहीं की है वह आत्महत्या बारे तो सोच भी नहीं सकता। उन्होंने कहा कि उनकी खुदकुशी की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। इंस्पैक्टर नरेन्द्र सिंह गिल के अंतिम संस्कार में पंजाब पुलिस, सिविल प्रशासन के अधिकारियों तथा कर्मचारियों के अलावा गण्यमान्य शामिल हुए थे। इंस्पैक्टर नरेन्द्र सिंह गिल की मृतक देह को पंजाब पुलिस की टीम द्वारा सलामी देने उपरांत उनकी चिता को उनके बेटे नवरीत सिंह ने मुखाग्नि दी। इस मौके पर सरदूल सिंह सरपंच मरखाई, रछपाल सिंह पूर्व सरपंच फेरोके, कर्मजीत सिंह पूर्व सरपंच स्नेर, शविन्द्र सिंह पूर्व अध्यक्ष को-ऑप्रेटिव सोसायटी, नरेन्द्र सिंह खोसा, हरजिन्द्र सिंह, गुरचरन सिंह मलसियां अध्यक्ष भारतीय किसान यूनियन जिला फिरोजपुर, दर्शन सिंह मीहां सिंह वाला अध्यक्ष भारतीय किसान यूनियन, गुरप्रीत सिंह गोगी भड़ाना आदि के अलावा अलग-अलग गांवों के सरपंच-पंच तथा गण्यमान्य विशेष तौर पर उपस्थित थे। उन्होंने उनकी मौत के कारणों की जांच करने की मांग की है।

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