Edited By Anjna,Updated: 18 Mar, 2019 12:00 PM
श्री मुक्तसर साहिब को बेसहारा पशुओं से मुक्त करने के लिए मलोट-गिद्दड़बाहा क्षेत्र के समाजसेवी संगठनों ने क्रांतिकारी कदम उठाते हुए इन पशुओं को पकड़कर प्रशासन की ओर से स्थापित गांव रत्ता खेड़ा की गौशाला में भेजना शुरू किया था।
मलोट (गोयल): श्री मुक्तसर साहिब को बेसहारा पशुओं से मुक्त करने के लिए मलोट-गिद्दड़बाहा क्षेत्र के समाजसेवी संगठनों ने क्रांतिकारी कदम उठाते हुए इन पशुओं को पकड़कर प्रशासन की ओर से स्थापित गांव रत्ता खेड़ा की गौशाला में भेजना शुरू किया था। गांव रत्ता खेड़ा में गांव वासियों के सहयोग से 15 एकड़ में गौशाला का निर्माण किया गया है। पहले भारत विकास परिषद के अध्यक्ष रजिन्द्र कुमार पपनेजा द्वारा व बाद में शिवपुरी कमेटी के मुनीष पाल वर्मा के नेतृत्व में मलोट से करीब 900 बेसहारा पशुओं को गौशाला में भेजा गया था। किन्तु गत 2 महीनों से पुन: मलोट शहर में पशुओं की संख्या बढऩे लगी और अब हालत यह है कि जितने बेसहारा पशु 2 महीने पहले थे उतने ही अब फिर हो गए।
इस अभियान में शामिल समाजसेवी संगठन से जुड़े मुनीष पाल वर्मा ने बताया कि गांव के लोग अपनी फसलों को पशुओं से बचाने के लिए इनको नगर में छोड़ जाते हैं। कुछ समय तक तो एस.डी.एम. मलोट के निर्देश पर पुलिस ने नगर में नाकाबंदी भी करवाई, ताकि गांव वाले पशुओं को नगर में न छोड़ सकें। किन्तु गांव वासी फिर भी किसी न किसी स्थान पर रात्रि के समय इन पशुओं को वाहनों में लादकर नगर के बाहर छोड़ जाते हैं।
पशुओं को गांव से बाहर छोडऩे का दिया है ठेका
मुनीष पाल वर्मा ने बताया कि गांव वालों ने अपने गांव से पशु बाहर छोडऩे के लिए कुछ लोगों को ठेका तक दे दिया है। इसके लिए ठेकेदार को 200 रुपए एकड़ के हिसाब से भुगतान किया जाता है। उन्होंने कहा कि यदि गांववासी सहयोग करें तो इन पशुओं को सीधा गौशाला में छोड़ा जा सकता है और जो पैसा यह ठेकेदार को देते हैं उस पैसे का हरा या सूखा चारा गौशाला को दान दे सकते हैं। इस प्रकार जहां उनकी फसल बेसहारा पशुओं से सुरक्षित रहेगी, वहीं नगरवासियों को भी इन बेसहारा पशुओं से निजात मिलेगी व दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी।
कमेटी बनाकर लोगों को जागरूक करने की जरूरत
जय मां अंगूरी देवी समाजसेवी संगठन से जुड़े अनिल जुनेजा ने कहा कि इस समस्या के बेहतर समाधान के लिए प्रशासन को सभी गांवों में 20 सदस्यों की एक कमेटी बनाकर उन्हें जागरूक करने की जरूरत है, ताकि लोग पशुओं को शहर में छोडऩे के स्थान पर सीधा गौशाला में छोड़ें। अभी तक लोगों को पशु नगर में छोडऩे आसान लग रहे हैं और इस पर वह पैसा भी खर्च कर रहे हैं। यदि प्रशासनिक अधिकारी इस ओर ध्यान दें और लोगों को समझाएं तभी इस मामले का स्थायी हल निकल सकता है।