मोटी रकम खर्च कर मलोट वासियों को नहरी पेयजल उपलब्ध करवाने के सपने को लगा ग्रहण

Edited By bharti,Updated: 10 Dec, 2018 01:17 PM

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मलोट क्षेत्र का भूमिगत जल गत काफी लंबे समय से दूषित चला आ रहा है। इसका कारण है कि मलोट क्षेत्र ...

मलोट(गोयल): मलोट क्षेत्र का भूमिगत जल गत काफी लंबे समय से दूषित चला आ रहा है। इसका कारण है कि मलोट क्षेत्र में मुख्य रूप से कपास की फसल पर भारी मात्रा में कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। यह कीटनाशक पानी के साथ मिलकर भूमि के नीचे चले जाते हैं जिससे भूमिगत पानी दूषित हो चुका है। भूमिगत पानी दूषित होने के कारण इस क्षेत्र के लोगों को कई प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है जिसमें कैंसर एक मुख्य बीमारी है।

भूमिगत पानी का लोग पेयजल के रूप में इस्तेमाल न करें, इसके लिए तत्कालीन अकाली सरकार ने वर्ष 1997 में करोड़ों रुपए खर्च कर सरहिन्द फीडर से मलोट वाटर वर्क्स तक नहरी पानी की पाइपें डलवाई थीं ताकि मलोट निवासियों को पेयजल के रूप में नहरी पानी मिल सके। इन नहरों से वर्ष 2015 तक नहरी पानी सुचारू रूप से मलोट तक आता रहा, लेकिन नहरों के पानी के साथ आ रही रेत धीरे-धीरे इस 10 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन में एकत्र होती चली गई तथा ये पाइपें बंद हो गईं। 2015 में इन पाइपों को 36 लाख रुपए की लागत से साफ करने का कार्य शुरू हुआ किन्तु 6 किलोमीटर लंबी पाइप साफ होने के बाद काम बंद हो गया। वर्ष 2016 में 2 किलोमीटर लंबी पाइप साफ की गई किन्तु काम फिर बंद हो गया। बाकी बची 2 किलोमीटर लंबी पाइप साफ न होने से मलोट के लोग नहरी पेयजल से वंचित हैं।

इस मामले में मलोट के कृष्ण कांत आर्य का कहना है कि इस क्षेत्र का भूमिगत पानी दूषित है, जो कैंसर का कारण बनता है। पहले ही जिला श्री मुक्तसर साहिब में पंजाब में से सबसे ज्यादा कैंसर के मरीज हैं। एक तरफ सरकार कैंसर अस्पताल व दवाइयों पर खर्च कर रही है, वहीं दूसरी तरफ भूमिगत पानी कैंसर बांट रहा है। मलोट वाटर वक्र्स की डिग्गी पहले कई वर्ष सफाई के अभाव में दूषित पेयजल बांटती रही। अब जब डिग्गी साफ हुई तो ट्यूबवैल का पानी पिलाया जा रहा है।

इस मामले में पंजाब जलापूर्ति व सीवरेज बोर्ड के उप मंडल इंजीनियर राकेश मोहन मक्कड़ ने दावा किया कि बेशक पाइपें बंद हैं फिर भी 50 फीसदी नहरी पानी आ रहा है। पानी की मांग पूरी करने के लिए भूमिगत पानी मिलाया जा रहा है। किन्तु यह पानी पूरी तरह साफ करके मिलाया जा रहा है। इस पाइप लाइन के चैंबर 1-1 हजार फुट की दूरी पर हैं। इसलिए इन्हेें मनुष्य साफ नहीं कर सकते। इसे केवल मशीनोंं से साफ किया जा सकता है जिसे विभाग जल्द साफ करवा देगा।

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