Edited By swetha,Updated: 12 Jul, 2018 11:28 AM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मलोट फेरी का जहां लोगों में भारी उत्साह देखने को मिला, वहीं शहर के व्यापारिक संस्थानों और जी.टी. रोड पर स्थित सभी बैंकों के मुख्य गेट सुरक्षा कारणों के चलते बंद करवाए जाने से लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
मलोट(जुनेजा, शांत): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मलोट फेरी का जहां लोगों में भारी उत्साह देखने को मिला, वहीं शहर के व्यापारिक संस्थानों और जी.टी. रोड पर स्थित सभी बैंकों के मुख्य गेट सुरक्षा कारणों के चलते बंद करवाए जाने से लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इस रैली को जहां शुरू में अकाली दल की ओर से धन्यवाद रैली का नाम दिया गया, वहीं भाजपा की ओर से अपने इश्तिहारों में इसका नाम किसान कल्याण रैली लिखा है। उधर आज मंच पर लगाए बैनर में अकाली दल ने इसको किसान-मजदूर धन्यवाद रैली का नाम दिया हुआ था। शहर से गुजरती नैशनल हाईवे पर बनी दुकानों, कृषि से संबंधित छोटे उद्योग आदि पूरी तरह ठप्प रहन से कर्फ्यू जैसी स्थिति बनी रही जिस कारण शहरवासियों में भारी रोष देखने को मिला।
सुरक्षा के कारण प्रशासन की तरफ से शहर में बने रेलवे पुल के नीचे और इसके आस पास फलों, सब्जियों आदि की लगती रेहडिय़ों को 2 दिनों से बंद करवाए जाने से जहां गरीब रेहड़ी-फड़ी वालों को आॢथक नुक्सान उठाना पड़ा, वहीं शहर निवासियों को सब्जियां/फल महंगे रेटों पर खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ा। चाहे प्रधानमंत्री का काफिला दोपहर के करीब 1 बजे रैली स्थल पर पहुंचा परन्तु प्रशासन की तरफ से शहर निवासियों को सुबह से ही अपने निजी वाहन लेकर नैशनल हाईवे पर चलने से रोककर केवल पैदल जाने की इजाजत देने पर लोगों में भारी रोष देखा गया। इसके अलावा शहर का मुख्य बस स्टैंड बंद करके बसों को शहर से करीब दो-तीन किलोमीटर दूर बाईपास के रास्ते निकाले जाने से यात्रियों को भीषण गर्मी में भारी परेशान होना पड़ा।
रैली में शामिल बसों को छोड़ प्राइवेट और सरकारी बस सर्विस को सीधे शहर में आने की मनाही थी। डबवाली से मुक्तसर, फाजिल्का, अबोहर, बठिंडा और गांवों से मलोट शहर आने वाली बसों को वाया दानेवाला, जंडवाला रास्ते निकाला गया। जिस कारण अपने काम-धंधों आदि के लिए आने जाने वाले लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। अबोहर, बठिंडा, फाजिल्का और मुक्तसर से लम्बी की तरफ और हरियाणा को जाने वाले पुरुष-महिलाओं और बच्चों को तिनकौनी चौक से ऑटो रिक्शा या अन्य साधनों के जरिए अपनी मंजिल की तरफ बढऩा पड़ा। अति गर्मी में सवारियां सरकारों को कोसती नजर आईं।
मलोट किसान कल्याण रैली दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रैली तक पहुंचने वाले नैशनल हाईवे नंबर 9 और डिफैंस रोड सुनसान नजर आया। इन मार्गों पर बड़ी संख्या में महिला और पुरुष पुलिस कर्मियों की तैनाती की हुई थी। चप्पे-चप्पे पर तैनात पुलिस पूरी तरह मुस्तैद नजर आई। जिला पुलिस प्रमुख बङ्क्षठडा पूरे मार्ग पर पुलिस प्रबंधों की देखरेख करते नजर आए। प्रधानमंत्री के हैलीकॉप्टर के लिए गांव छापियांवाली के जी.टी.बी. खालसा कॉलेज में बनाए गए हैलीपैड से रैली स्थल तक करीब 7 किलोमीटर के एरिया में चप्पे-चप्पे पर तैनात वर्दीधारी पुलिस और सादी वर्दी में महिला और पुरुष पुलिस कर्मचारियों को लगाया गया था। इस 7 किलोमीटर के घेरे में नैशनल हाईवे को जोडऩे वाली हर सड़क पर रस्सी बांधकर आवजाही रोकी हुई थी।
हर आने-जाने वाले को सर्विस रोड पर भी जाने की मनाही थी। इस मार्ग पर पड़ती दुकानों, शोरूम और अन्य कारोबारी संस्थान बंद रहे। मार्ग पर दुकानों, घरों आदि की छतों पर पुलिस कर्मियों की तैनाती की गई। पुलिस कर्मचारियों के लिए विशेष तौर पर लंगर और पानी के प्रबंध किए गए थे। हर एक पुलिस कर्मी को पीने के पानी के आर.ओ. कैंपर दिए गए जबकि खाना पहुंचाने के लिए स्पैशल पुलिस कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई थी।
काले परने की दहशत
प्रधानमंत्री की आमद से पहले किसान संगठनों द्वारा प्रधानमंत्री को काली झंडियां दिखाने के ऐलान ने सुरक्षा दलों में इतनी दहशत मचाई थी कि रैली के लिए पहुंचे किसानों से गर्मी कारण सिर पर लिए काले परने और अन्य कपड़े रैली स्थल के अंदर जाने से पहले उतरवा दिए गए और गेट पर काले कपड़ों का ढेर लग गया।
हड़ताल के बावजूद 108 एम्बुलैंसें जबरन ड्यूटी पर
आज पंजाब भर में 108 एंबुलैंस के ड्राइवरों की ओर से कर्मचारियों द्वारा 12 घंटों की हड़ताल की थी परन्त श्री मुक्तसर साहिब से संबंधित 8 एंबुलैंसों को ड्यूटी पर रखा गया। पंजाब प्रधान मनप्रीत सिंह, सुरिन्दरजीत सिंह और परमप्रीत सिंह ने बताया कि हड़ताल के बावजूद जिले के सिविल सर्जन ने जबरन उनके ड्राइवरों को ड्यूटी करने के लिए कहा। इसके अलावा बङ्क्षठडा में ड्यूटी से न करने पर ड्राइवर मलकीत सिंह और टी.एम.टी. गगनदीप सिंह को सस्पैंड कर दिया है।
न कुछ मांगा व न कुछ दिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मलोट रैली में शहर या राज्य के लिए घोषणा न करने पर शहर वासियों में मायूसी है। सबसे बड़ी बात है कि इस रैली के मेजबान पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुखबीर बादल ने न तो कुछ राज्य या शहर के लिए मांगा व न ही प्रधानमंत्री ने दिया। प्रधानमंत्री शहर व मंच पर डेढ़ घंटे से अधिक रहे जिसमें 5 मिनट सम्मान की रस्मों के व 10 मिनट हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के निकाल दें तो बाकी समय करीब 20 मिनट सुखबीर सिंह व प्रकाश सिंह बादल के भाषण ने प्रधानमंत्री का गुणगान करने में निकाल दिया। सुखबीर सिंह बादल द्वारा अपने भाषण के अंत में 2 मांगों की बात की तो लोगों ने ध्यान से सुनना शुरू कर दिया परंतु सुखबीर सिंह बादल की दोनों मांगों का संबंध विकास से नहीं था।
सुखबीर सिंह बादल ने प्रधानमंत्री से विनती की कि श्री गुरु नानक देव जी का 550वां प्रकाशोत्सव समागम वह अपनी अगुवाई में करवाएं। प्रधानमंत्री ने अपने करीब 40 मिनट के भाषण में ज्यादा समय कांग्रेस को कोसने व करीब 17 मिनट एम.एस.पी. में बढ़ौतरी वाली फसलों की गिनती करने में लगा दिया। अंत में उन्होंने श्री गुरु नानक देव की महिमा का गुणगान करते उनसे सेंध लेने व उनकी सोच वाले भारत का निर्माण करने का संकल्प करने की बात की। प्रधानमंत्री ने सुखबीर सिंह बादल की दिल्ली दंगों में आरोपियों को सजा देने की मांग भी अनदेखी कर दी।
उम्मीदों पर फिरा पानी
इस मामले पर कांग्रेस नेताओं ने रैली में कोई घोषणा न करने बारे कहा कि यह बादलों के लिए सियासी नमोशी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री राज्य के लिए नहीं तो मलोट के लिए ही कोई ऐलान कर देते, कम से कम उनके दौरे का मलोट के इतिहास में जिक्र तो होता रहता।