धान की रोपाई जोरों पर, लेबर की कमी कारण मजदूरी के रेट में भारी वृद्धि

Edited By Anjna,Updated: 25 Jun, 2018 03:21 PM

lack of labor due to a huge increase in wage rates

समूचे पंजाब में धान की रोपाई का कार्य जोरों पर है। हर तरफ खेतों में भरा पानी और धान की फसल लगा रहे मजदूर ही दिखाई देते हैं। इस बार सरकार ने धान की फसल लगाने की तारीख 20 जून निश्चित की थी और इन सरकारी आदेशों की पालना भी लगभग हुई ही है।

कोटकपूरा(नरिन्द्र): समूचे पंजाब में धान की रोपाई का कार्य जोरों पर है। हर तरफ खेतों में भरा पानी और धान की फसल लगा रहे मजदूर ही दिखाई देते हैं। इस बार सरकार ने धान की फसल लगाने की तारीख 20 जून निश्चित की थी और इन सरकारी आदेशों की पालना भी लगभग हुई ही है। वहीं अब धान की रोपाई का सीजन जोरों पर होने के कारण धान की फसल लगाने की तारीख 20 जून निश्चित करने, फसल की किस्म, मजदूरों की कमी और मजदूरी के रेट को लेकर कई तरह के चर्चे सुनने को मिल रहे हैं। कई इलाकों में पनीरी पहले लगी होने के कारण खराब हो गई है और किसानों द्वारा मजबूरी में दोबारा पनीरी लगाने का भी पता लगा है जिससे किसानों पर आॢथक बोझ बढ़ा है। 

मजदूरों की कमी 
धान की फसल लगाने का सीजन आमतौर पर 20 दिन का होता है और दिनोंदिन भूमिगत जल स्तर घटने को ध्यान में रखते हुए अब सरकार द्वारा धान की फसल लगाने की तारीख 20 जून निश्चित करने के साथ यह सीजन 15 दिन ही चलने की उम्मीद है। सभी तरफ धान की रोपाई शुरू होने से किसानों के सामने मजदूरों की कमी की समस्या भी आ गई है। पहले लोकल मजदूरों के अलावा बिहार और यू.पी. आदि से भारी संख्या में मजदूर पंजाब आते थे परंतु अब इन प्रांतों में मनरेगा और अन्य विकास कार्यों के चलते पहले से कम मजदूर आ रहे हैं जिस कारण किसानों को मुश्किलें पेश आ रही हैं।

रेट में आया उछाल 
हर कोई जितनी जल्दी हो सके धान की रोपाई का काम मुकम्मल कर लेना चाहता है जिसके चलते बाहर से आने वाले मजदूरों की मांग बढ़ गई है। इस मांग को देखते हुए धान की रोपाई के रेट भी बढ़े हैं। कुछ किसानों ने बताया कि पिछले वर्ष 2200-2300 रुपए प्रति एकड़ भाव थे जो इस बार 2600-2700 तक पहुंच गए हैं और कई स्थानों पर तो 3000 रुपए प्रति एकड़ का भाव भी सुनने में आया है। गांव चंमेली के किसान प्रद्युमन सिंह ने बताया कि देरी होने के कारण धान की पनीरी सडऩे लगी है जिस कारण किसानों को पनीरी दोबारा तैयार करनी पड़ सकती है। उन्होंने बताया कि धान की रोपाई में देरी के कारण कटाई भी देरी से होगी जिस कारण बढ़ी नमी की मात्रा परेशानी का सबब बन सकती है।

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