Edited By swetha,Updated: 20 Aug, 2018 08:59 AM
आजकल जहां एक तरफ खेतों में किसानों द्वारा पराली जलाकर धुएं का उत्सर्जन किया जा रहा है, वहीं भट्ठों की चिमनियों में से लगातार व हर रोज निकल रहा धुआं पर्यावरण में जहर घोल रहा है।
फरीदकोट (हाली): आजकल जहां एक तरफ खेतों में किसानों द्वारा पराली जलाकर धुएं का उत्सर्जन किया जा रहा है, वहीं भट्ठों की चिमनियों में से लगातार व हर रोज निकल रहा धुआं पर्यावरण में जहर घोल रहा है। माहिरों के अनुसार भले ही यह धुआं स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है। जानकारी के अनुसार फरीदकोट जिले में 100 के करीब भट्ठे हैं, जिन पर प्रति भट्ठा 1 लाख से अधिक ईंटें बनाई जाती हैं। ईंटों को पकाने के लिए भट्ठों पर लगाई गई चिमनियां इस बात का सबूत हैं कि यहां से सरकारी नियमों का भी धुआं निकाला जा रहा है। जानकारी के अनुसार यह सरकार द्वारा बनाए कानून की पूरी तरह पालना नहीं कर रहे हैं।देखने में आया है कि भट्ठा मालिक कोयले की जगह लकड़ी के बूरे से बने गट्टुओं से ईंटें पकाते हैं। वहीं कोयले की कीमतों में जब से विस्तार हुआ है, तब से कई भट्ठे वाले कोयले के साथ-साथ गट्टू, नरमे की छिटियां व वृक्षों के पत्तों का प्रयोग करते हैं, जिससे धुएं की मात्रा में और विस्तार हो जाता है और ईंटों की पकाई में भी फर्क रह जाता है।
क्या कहते हैं लोग
भट्ठों के नजदीक रहने वाले धनजीत सिंह धनी व धर्मपाल ने बताया कि भट्ठों की चिमनियों में से निकलता धुआं अक्सर ही उनके घरों की छतों पर देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि मौसम बदलने के साथ छोटी-मोटी बीमारियां तो होती ही हैं, लेकिन इस धुएं के कारण आंखों में जलन व गले की बीमारियां उनको अक्सर ही रहती हैं। इस कारण वह जरूरी दवाएं पहले ही घरों में प्रबंध करके रखते हैं।
क्या कहते हैं भट्ठा मालिक
भट्ठा मालिकों का कहना है कि भट्ठों पर कानून की पूरी तरह पालना की जा रही है और प्रदूषण विभाग द्वारा भट्ठों व चिमनियों की जो ड्राइंग बनाकर दी जाती है, उसके अनुसार ही भट्ठों की चिमनी को लगाया जाता है। उन्होंने बताया कि साल 2000 में विभाग द्वारा पक्की चिमनियां जो करीब 120 फुट ऊंची हैं, लगाने के लिए कहा गया था और इन नियमों के अंतर्गत ही अब नई चिमनियां बनाई हुई हैं।
भट्ठों का खर्च बढ़ा
भट्ठा मालिकों ने कहा कि भट्ठे का लाइसैंस लेते समय प्रदूषण विभाग सर्टीफिकेट जारी करता है। कई भट्ठे सरकारी नीतियों की भेंट चढ़कर बंद हो रहे हैं। भट्ठा मालिकों का कहना है कि इस समय भट्ठों का खर्च पहले ही बढ़ा हुआ है, जिसके लिए यह कारोबार लाभकारी बनाने के लिए नीतियों की जरूरत है।
क्या कहते हैं अधिकारी
प्रदूषण विभाग के अधिकारियों ने बताया कि एक नई तकनीक हाईड्राफ शुरू की है, जो पड़ोसी राज्य हरियाणा व पंजाब के कुछ बड़े शहरों में लागू कर दी गई है। अब यह तकनीक पंजाब के मालवा क्षेत्र में भी लागू की जा रही है। उन्होंने बताया कि माननीय अदालत के फैसले अनुसार नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल अधीन नई तकनीक के साथ लगने वाले भट्ठे बिल्कुल प्रदूषण रहित होंगे।