नशों के दरिया में बहकर खत्म हुए व्यक्तियों के पारिवारिक सदस्यों की किसी ने नहीं ली सुध

Edited By Vatika,Updated: 18 Nov, 2019 05:38 PM

drugs in punjab

पिछले 2 दशकों से राज्य में नशा बहुत बढ़ गया है। पहले अफीम व शराब का प्रयोग लोग ज्यादा करते थे, परन्तु फिर पोस्त, डोडे, भुक्की के अलावा हैरोइन, स्मैक, नशीले टीके, नशीली गोलियां आदि नशा आ गया।

श्री मुक्तसर साहिब(तनेजा): पिछले 2 दशकों से राज्य में नशा बहुत बढ़ गया है। पहले अफीम व शराब का प्रयोग लोग ज्यादा करते थे, परन्तु फिर पोस्त, डोडे, भुक्की के अलावा हैरोइन, स्मैक, नशीले टीके, नशीली गोलियां आदि नशा आ गया। 

एक तरह से राज्य में नशों का दरिया बहने लग गया। सबसे अधिक प्रभाव नौजवान पीढ़ी पर पड़ा क्योंकि 15-16 साल की उम्र के लड़के नशों में पड़ गए। परिणाम बहुत बुरा निकला। नशों के कारण मौत का सिलसिला शुरू हो गया। कोई ऐसा दिन नहीं गुजरा, जब नशे कारण कोई मौत न हुई हो। जहां शराब पीने से लोग मौत के मुंह में गए, वहीं नशीले टीके लगाने व नशीली गोलियां खाने से भी कई मौतें हुई हैं। नशों की रोकथाम के लिए पंजाब सरकार व प्रशासन द्वारा कई कदम उठाए गए हैं तथा कैंप व सैमीनार भी लगवाए गए हैं। वहीं रैलियां निकाल कर नशों के दुष्प्रभावों प्रति लोगों को अवगत करवाया गया है, परन्तु इन सबके बावजूद नशों के दरिया में बहकर खत्म हुए व्यक्तियों के पारिवारिक सदस्यों की आज तक किसी ने सार नहीं ली। 

कइयों के तो इकलौते पुत्र नशे ने खा लिए। कई घरों को तो नशों कारण ताले लग गए। नेताओं ने नशों पर बहुत राजनीति की। सभी ने अपने आप को दूध धोला बताते दूसरों पर कीचड़ फैंका, परन्तु किसी ने कभी पीड़ित परिवार के घर जाकर उनकी आर्थिक मदद नहीं की। नशों कारण मरने वालों की पत्नियों व बच्चों की सार नहीं ली। कइयों की जमीनें बिक गई, घर बिक गए। जमीन-जायदाद वाले लोग दिहाडिय़ां लगाने को मजबूर हो गए। इस अहम मामले को लेकर ‘पंजाब केसरी’ द्वारा इस सप्ताह की यह विशेष रिपोर्ट तैयार की गई है।

पंजाब में से नशे नहीं खत्म हुए
 राजनीतिक गुटों ने इस बात को अपने लाभ के लिए ही हमेशा इस्तेमाल किया। पुलिस प्रशासन व राजनीतिज्ञों का पूरा गठजोड़ रहा, फिर नशे खत्म कहां से होने थे। कई समाज सेवी संस्थाओं के नेता प्रशासन में अपनी पकड़ बनाने या लोगों में नम्बर बनाने के लिए नशों के खात्मे की बात करते हैं परन्तु इन बातों की बजाय पंजाब की जवानी को बचाने के लिए कुछ दिल से मिलजुल कर किया जाए। एक तो पंजाब को नशों ने खाली कर दिया तथा दूसरी ओर जो नौजवान रह गए वे आईलैट्स करके विदेशों को उड़ान भर रहे हैं। राजनीतिक, धार्मिक नेताओं तथा अन्य जिम्मेदार जागरूक लोगों को इस अति गंभीर मसले बारे गंभीरता से सोचने व कुछ करने की तुरंत जरूरत है, जिससे नशों में डूब चुके पंजाब को फिर से तरक्की व खुशहाली के रास्ते पर लाया जा सके। घर-घर हो रहे विरलापों की जगह फिर से चहल-पहल हो सके।

पंजाब सरकार अस्पतालों में भेजे माहिर डाक्टर
पूरे राज्य में सरकारी अस्पतालों में नशा छुड़ाने वाले माहिर डाक्टरों की बड़ी कमी खल रही है। शराबी लोगों की संख्या ज्यादा है परन्तु नशा छुड़ाने वाले डाक्टर कम हैं। सरकार व स्वास्थ्य विभाग सभी सरकारी अस्पतालों में डाक्टरों की भर्ती करे, जहां माहिर डाक्टरों के पद खाली पड़े हैं ताकि मरीजों को कोई दिक्कत न आए। अब जब डाक्टर ही नहीं हैं तो नशा करने वाला व्यक्ति दवा लेने जाए कहां।
 

पंजाब पर पड़ रही नशों की मार हो रही घातक साबित
राज्य में प्रतिदिन नशों के कारण नौजवानों की हो रही मौतें गंभीर चिंता का विषय है। कोई नशीली गोलियां खाकर तथा कोई शराब पीकर अपने आप को खत्म कर लेते हैं। इकलौते पुत्र नशों कारण मौत के मुंह में चले गए तथा पीछे पारिवारिक सदस्यों को रोता छोड़ गए। मौत का यह रुझान पता नहीं कब थमेगा। 

दवाओं का किया जाए प्रबंध पंजाब सरकार ने सभी सरकारी अस्पतालों में 
नशा मुक्ति केंद्र स्थापित किए हैं, परन्तु लगता है कि ज्यादातर ऐसे केंद्र कई सुविधाओं से खाली हैं। दवाओं की कमी भी खल रही है, ऐसे केन्द्रों में पूरी दवाओं का प्रबंध किया जाए।

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