लड़कियों की घट रही संख्या तथा बढ़ रहे अपराध समाज व देश के लिए खतरनाक

Edited By Sunita sarangal,Updated: 23 Dec, 2019 03:27 PM

decreasing number of girls is dangerous for society and country

पंजाब ही नहीं, बल्कि देश भर में लड़कियों खासकर बच्चियों के लिए विशेष दिन मनाए जाने लगे हैं, जिनमें इनके अधिकारों बारे जानकारी दी जाती है, वहीं लोगों को इनके प्रति जागरूक किया जाता है।

फरीदकोट(हाली): पंजाब ही नहीं, बल्कि देश भर में लड़कियों खासकर बच्चियों के लिए विशेष दिन मनाए जाने लगे हैं, जिनमें इनके अधिकारों बारे जानकारी दी जाती है, वहीं लोगों को इनके प्रति जागरूक किया जाता है। समाज में जागरूकता की उम्मीद लगाई बैठे लोगों को निराशा तब होती है जब ये समागम तर्कहीन दिखाई देते हैं क्योंकि इन सबके बावजूद महिलाओं व बच्चियों से शारीरिक शोषण और छेड़छाड़ की घटनाएं लगातार जारी हैं। प्रप्त जानकारी के अनुसार चाहे हम 21 सदी में पहुंच गए हैं परन्तु आज भी लड़कियों बारे हमारी सोच सदियों पुरानी है। आज हमारे देश में हर रोज छोटी मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म हो रहे हैं। उनको स्कूलों में भेजने की जगह घरों में नौकरों की तरह काम करवाया जाता है। बच्चियों को जन्म लेने से पहले ही गर्भ में खत्म किया जा रहा है और नवजात बच्चियों को कूड़े के ढेरों में फैंका जा रहा है, जहां कि कुत्ते व अन्य जंगली जानवर उनका मांस नोच-नोचकर खा रहे हैं।

हमारे देश में लड़कों को लड़कियों के मुकाबले पहल दी जाती है जिस कारण बहुत से घरों में लड़कियों के साथ भेदभाव किया जाता है। यदि लिंग अनुपात देखा जाए तो बेहद निराशाजनक है। भारत विश्व में चीन के बाद एक अरब की आबादी पार करने वाला दूसरा देश बन गया है। देश की आबादी में लगातार विस्तार दर्ज किया जा रहा है और 2011 की जनगणना अनुसार देश की आबादी 1.03 अरब से बढ़कर लगभग 1.21 अरब हो गई है परन्तु यदि कुछ घटा है तो वह है 0-6 साल का बाल लिंग अनुपात। भारत में 1991 की जनगणना के अनुसार प्रति 1000 लड़कों के मुकाबले 945 लड़कियां थीं, जो 2001 में घटकर 927 रह गई थीं और 2011 में और घटकर 914 रह गई हैं। पंजाब व हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ में 2011 में इनकी संख्या 867 रह गई है।

सर्वे में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य
दिल्ली की एक गैर-सरकारी संस्था साक्षी ने 357 स्कूलों में सर्वे करवाया जिसमें चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। सर्वे के अनुसार 63 प्रतिशत लड़कियों ने माना कि उनका गंभीर शारीरिक शोषण या दुष्कर्म किया गया और 29 प्रतिशत के साथ शारीरिक छेड़छाड़ की गई। हर रोज औसतन 106 महिलाएं व लड़कियां दुष्कर्म का शिकार बनती हैं और इनमें से ज्यादा संख्या 12 साल से कम उम्र की बच्चियों की है।

लड़कियों की साक्षरता दर सिर्फ 53.87 प्रतिशत
एक तरफ देश में लड़कियों की संख्या लड़कों के मुकाबले घटती जा रही है। लड़कियों प्रति अपराध बढ़ रहे हैं जो देश के विकास में बड़ी रुकावट हैं। हमारे देश में लड़कियों की साक्षरता दर अभी तक सिर्फ 53.87 प्रतिशत है और नौजवान लड़कियों में से हर तीसरी लड़की खुराक की कमी कारण अनीमिया का शिकार है।

लड़कियों को मिलें विकसित होने के बराबर मौके
यह तभी संभव होगा जब देश में कन्या जन्म दर में विस्तार होगा और बच्चियां सुरक्षित होंगी व उनको भी विकसित होने के बराबर मौके मिलेंगे। देश के नीति करणधारों को लड़कियों प्रति संवेदनशील होना चाहिए ताकि समाज व देश में लड़कियों के लिए खुशगवार माहौल बनाया जा सके, नहीं तो उक्त तरह के जागरूक दिनों की भी कोई खास महत्ता नहीं रहेगी।

लड़कों के मुकाबले सेहत पक्ष में लड़कियां कमजोर
आज पंजाब जैसे विकसित राज्य को ‘लड़की मार’ का नाम दिया जाता है। स्वास्थ्य संबंधी समय-समय पर करवाए जाते सर्वेक्षणों में स्पष्ट पता चलता है कि लड़कियां लड़कों के मुकाबले सेहत पक्ष से कमजोर हैं। देश में बढ़ रहे अपराधों का सबसे अधिक प्रभाव लड़कियों व महिलाओं पर ही पड़ रहा है। लड़कियों की भलाई के लिए सख्त कानून व योजनाएं होने के बाबजूद लड़कियों के साथ पक्षपात और अत्याचार की घटनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ रही हैं। हालात यह हैं कि कई बार कानून के रक्षक भी इन अपराधों में दोषी होते हैं। लड़कियां बेशक जीवन के हरेक क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं चाहे वह क्षेत्र खेल, राजनीति, घर हो या उद्योग। सेहतमंद और शिक्षित कन्याएं आने वाले समय की मुख्य जरूरत हैं क्योंकि यही आने वाले समाज को सही रास्ता दिखा सकती हैं। एक बेहतरीन पत्नी,नेता व अन्य क्षेत्रों में यह अपने योगदान द्वारा देश के विकास में सहायक सिद्ध होंगी।

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