पढ़ने की उम्र में कूड़े के ढेर में भटक रहा देश का भविष्य

Edited By swetha,Updated: 11 Dec, 2018 11:15 AM

child labor

बाल मजदूरी रोकने के लिए पंजाब भर में सरकार और जिला प्रशासन की ओर से कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं और समय-समय पर ढाबों, ईंट भट्ठोँ, होटलों, दुकानों में छापेमारी भी की जा रही है परंतु इसके बावजूद लेबर विभाग इस संबंधी अपनी बनती जिम्मेदारी नहीं निभा...

गिद्दड़बाहा(संध्या): बाल मजदूरी रोकने के लिए पंजाब भर में सरकार और जिला प्रशासन की ओर से कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं और समय-समय पर ढाबों, ईंट भट्ठोँ, होटलों, दुकानों में छापेमारी भी की जा रही है परंतु इसके बावजूद लेबर विभाग इस संबंधी अपनी बनती जिम्मेदारी नहीं निभा रहा, इसलिए सरकार को इस संबंधी अलग से व्यवस्था करनी चाहिए।
गिद्दड़बाहा शहर और गांवों में ईंट भट्ठों, ढाबों और दुकानों आदि पर देश का भविष्य कहलाए जाने वाले बच्चे बाल मजदूरी करते आम देखे जा रहे हैं, जबकि अब तक विभाग की ओर से कोई भी ठोस कार्रवाई इस संबंध में नहीं की गई।

लेबर विभाग द्वारा विभागीय हुक्म अनुसार ही छापेमारी की जाती है। सरकार द्वारा हर साल बाल मजदूरी को रोकने के लिए बाल मजदूरी मुक्त महीना मनाया जाता है। बाल मजदूरी करवाने वाले मालिकों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई हो तो बाल मजदूरी को निश्चित रूप से रोका जा सकता है परन्तु इस तरह होता नहीं। हर बार विभाग के अधिकारी मामूली चालान काटकर मालिकों को दे देते हैं, जिस कारण कुछ समय बाद मालिक फिर से बच्चों को काम पर रख लेते हैं।

शहर में आम देखने को मिलता है कि सुबह-सुबह छोटे बच्चे अपने हाथ में बोरियां पकड़कर कूड़े के ढेरों में से कुछ ऐसी चीजें ढूंढ रहे होते हैं, जिसको वे कबाड़ की दुकानों पर बेच कर कुछ पैसे कमा सकें और घर वालों के लिए रोटी आदि का प्रबंध कर सकें। इतना ही नहीं कुछ सड़कों पर भीख मांगते नजर आते हैं।

बाल मजदूरी को खत्म करने के लिए जहां प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से कदम उठाए जा रहे हैं, वहीं शहर की सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं का भी यह फर्ज बनता है कि वे भट्ठों, होटलों, दुकानों और फैक्टरियों में काम करने वाले बाल मजदूरों को जागरूक करें।बेशक सरकार की ओर से 10वीं तक की पढ़ाई बच्चों के लिए मुफ्त है परंतु इस संबंधी पूरी तरह बच्चों और जनता में जागरूकता की कमी है, जिस कारण अनेकों बच्चे शिक्षित नहीं हो पाते और बाल मजदूरी का रास्ता अपना लेते हैं। इन बच्चों को जागरूक करना समय की जरूरत है।

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