Edited By Des raj,Updated: 01 Sep, 2018 11:47 PM
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस आर.के. जैन ने पी.जी.आई. को आदेश दिए हैं कि वह भविष्य में पात्र मरीजों की वित्तीय सहायता की मांग वाली अर्जियों पर तुरंत कार्रवाई करे ताकि इस उद्देश्य के लिए मरीजों को कोर्ट न आना पड़े। हाईकोर्ट ने ये आदेश रोपड़...
चंडीगढ़ (बृजेन्द्र): पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस आर.के. जैन ने पी.जी.आई. को आदेश दिए हैं कि वह भविष्य में पात्र मरीजों की वित्तीय सहायता की मांग वाली अर्जियों पर तुरंत कार्रवाई करे ताकि इस उद्देश्य के लिए मरीजों को कोर्ट न आना पड़े। हाईकोर्ट ने ये आदेश रोपड़ निवासी चमन लाल की वित्तीय सहायता की मांग वाली याचिका में दिए हैं जिन्हें स्क्लेरोडेमा नामक दिल की बीमारी थी और उन्होंने सर्जरी के लिए राष्ट्रीय आरोग्य निधि (आर.ए.एन.) के तहत वित्तीय सहायता की मांग की थी।
जुलाई में पंजाब सरकार, केंद्र व पी.जी.आई. को पार्टी बनाते हुए यह याचिका दायर की गई थी। मांग की गई थी कि प्रतिवादी पक्ष को आदेश दिए जाएं कि राष्ट्रीय आरोग्य निधि (आर.ए.एन.) के तहत उन्हें इलाज के लिए वित्तीय सहायता मुहैया करवाए। मजदूरी करने वाले चमन का पी.जी.आई. में इलाज चल रहा था। सहायता न मिलने पर उसने यह याचिका दायर की थी।
केंद्र ने कहा-हमारा उद्देश्य स्कीम के तहत लाभ प्रदान करना
केंद्र की ओर से बताया गया कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने पी.जी.आई. के एम.एस. को कहा था कि आर.ए.एन. के तहत वित्तीय सहायता दें और सलाह दी कि यदि याची स्कीम के तहत शर्त को पूरा नहीं करता तो उसका मामला मंत्रालय को विचार के लिए भेजा जाए। जिसके बाद स्कीम के तहत याची का केस स्वीकार करते हुए 1.5 लाख रुपए की वित्तीय सहायता उसे प्रदान की गई।
वहीं पी.जी.आई. ने कहा कि याची द्वारा संबंधित दस्तावेज समय पर जमा न करवाने के चलते सहायता प्रदान करने में देरी हुई। केंद्र की ओर से बताया गया कि केंद्र सरकार का उद्देश्य इस स्कीम के तहत लाभ प्रदान करना है। केंद्र की ओर से मांग रखी गई कि पी.जी.आई. जैसी संस्थाओं को निर्देश दिए जाएं कि वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाली अर्जियों पर विचार करने के लिए शीघ्र कार्रवाई करें ताकि सहायता के अभाव में मरीज की जान पर न बन जाए। जस्टिस राकेश कुमार जैन ने पक्षों के काऊंसिलों को सुनने व केस के तथ्यों व परिस्थितियों को देखने के बाद पाया कि मांग पूरी हो जाने पर याचिका निरस्त हो जाती है।