Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Mar, 2018 03:41 PM
होली रंगों का त्योहार है ...लाल..नीला...पीला...गुलाबी और जाने कितने ही होली के रंग हर दिल में उमंग भर देते हैं। कई स्थानों पर लोग फूलों से भी होली खेलते हैं। मगर सोचिए की अगर इन रंगों और फूलों की जगह शमशान घाट की राख, जानवरों की हड्डियां और कूड़ा...
मोहालीः होली रंगों का त्योहार है ...लाल..नीला...पीला...गुलाबी और जाने कितने ही होली के रंग हर दिल में उमंग भर देते हैं। कई स्थानों पर लोग फूलों से भी होली खेलते हैं। मगर सोचिए की अगर इन रंगों और फूलों की जगह शमशान घाट की राख, जानवरों की हड्डियां और कूड़ा -करकट ले लें तो कैसा लगेगा ? सुनकर आप भी हैरान हो गए होंगे। यह सच्चाई है।
पंजाब में एक ऐसी जगह हैं, जहां शमशान घाट की राख और जानवरों की हड्डियों से डरावनी होली खेली जाती है। यह जगह है मोहाली के नजदीक गांव सुहाना। लोग होली से पहली रात ही शमशान घाट से राख व मिटटी और हड्डारोड़ी से जानवरों की हड्डियों ले आते हैं और लोगों के घरों के बाहर टांग देते हैं। दूसरों के घरों के बाहर कूड़ा बिखेरने के साथ जानवरों की हड्डियों फैंकी जातीं हैं। गांव के लोगों का मानना है कि यदि ऐसा न किया जाए तो गांव में कोई बड़ी दूर्घटना हो जाती हैं । यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। उनके बुज़ुर्ग भी इसी तरह करते रहे हैं
बल्कि अब तो कुछ सुधार हो चुका है । पहले तो लोग घरों और दुकानों के बाहर शमशान की मिट्टी के साथ चिता तक बना देते थे। दूसरे लोगों पर गंदे नाले के पानी के साथ कूड़े व गंदगी से भरी बोरियां हर आने-जाने वाले पर फैंकी जाती थीं। हालांकि प्रशासन इस बात के साथ इत्तेफाक रखता है कि समय के साथ ये परंपरा बंद होनी चाहिए । मगर फिलहाल सिविल और पुलिस प्रशासन इसे रोकने में पूरी तरह विवश दिखाई से रहा है।