कृषि क्षेत्र से जुड़े तीन अध्यादेशों के खिलाफ ट्रैक्टर पर किसानों का प्रदर्शन

Edited By Vaneet,Updated: 21 Jul, 2020 06:28 PM

demonstration of farmers on tractors

कृषि क्षेत्र से जुड़े तीन अध्यादेशों और ईंधन की बढ़ती कीमतों को लेकर पंजाब में किसानों ने....

चंडीगढ़- कृषि क्षेत्र से जुड़े तीन अध्यादेशों और ईंधन की बढ़ती कीमतों को लेकर पंजाब में किसानों ने केन्द्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। अध्यादेशों को ‘‘किसान विरोधी’’ नीति बताते हुए किसानों ने अपने-अपने ट्रैक्टर दो-तीन घंटे के लिए सड़कों के किनारे खड़े कर दिए। प्रदर्शन में विभिन्न संगठनों से जुड़े किसान शामिल हुए। किसानों का कहना है कि प्रदर्शन के दौरान उन्होंने मास्क पहना हुआ था, अन्य सभी एहतियात भी बरते और कोरोना वायरस महामारी को ध्यान में रखते दो गज की दूरी का भी पालन किया। भारतीय किसान यूनियन (लखोवाल) और बीकेयू (राजेवाल) सहित अन्य संगठन इस प्रदर्शन में शामिल थे। 

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर किसानों और किसान संगठनों से प्रदर्शन स्थगित करने का अनुरोध किया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।’’ हाल ही में केन्द्र ने तीन अध्यादेश कृषि उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवद्र्धन और सरलीकरण) अध्यादेश, किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम पारित किए हैं। किसान इन्हीं का विरोध कर रहे हैं। बीकेयू (लखोवाल) के महासचिव हरिन्दर सिंह लखोवाल का कहना है, ‘‘हमने सभी दिशा-निर्देशों (कोरोना वायरस संबंधी) का पालन किया। 

किसानों ने मास्क पहना और प्रदर्शन के दौरान दो गज की दूरी बनाए रखी।’’ उन्होंने कहा कि किसानों ने सिर्फ अपने-अपने ट्रैक्टर समराला-लुधियाना रोड पर किनारे खड़े किए थे, इससे यातायात बाधित नहीं हुआ। बीकेयू (राजेवाल) धड़े ने भी इसी तरह से प्रदर्शन किया। बीकेयू (राजेवाल) के महासचिव ओंकार सिंह ने बताया कि नाभा, खामानो, फरीदकोट और फिरोजपुर सहित कई जगहों पर प्रदर्शन हुए। किसानों ने विभिन्न जिलों में संबंधित अधिकारियों को अपनी मांगों के समर्थन में ज्ञापन सौंपे। केन्द्र सरकार के तीन नए अध्यादेशों को लेकर किसानों के मन में शंका है कि इससे फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य और पक्की विपणन प्रणाली समाप्त हो जाएगी। 

लखोवाल ने कहा, ‘‘हमें डर है कि इन अध्यादेशों के लागू होने के कुछ समय बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली समाप्त हो जाएगी।’’ किसानों को डर है कि जिस तरह कंपनियों को बिना कर चुकाए किसानों से फसल खरीदने की अनुमति दे दी गई है, वे किसानों का नाजायज फायदा उठाएंगे। ओंकार सिंह ने दावा किया, ‘‘मंडी बोर्ड भी खत्म हो जाएंगे जिसके परिणामस्वरूप बड़े कॉरपोरेट के हाथों किसानों का उत्पीडऩ होने लगेगा।’’ किसानों ने ईंधन की कीमतों में वृद्धि का विरोध करते हुए कहा कि इससे कृषि लागत बढ़ेगी। उन्होंने प्रस्तावित बिजली (संशोधन) विधयेक, 2020 का भी विरोध किया।

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