Edited By swetha,Updated: 31 May, 2018 11:02 AM
फसलों व अन्य कृषि उत्पादों का पूरा मूल्य लेने के लिए देश भर के कई किसान संगठनों की ओर से 1 से 10 जून तक ‘गांव बंद’ की कॉल दी गई है, जिसे लेकर लोग असमंजस में हैं। किसान यूनियनों ने ऐलान किया है कि उक्त 10 दिनों तक कोई भी किसान अपना अनाज, सब्जियां,...
बठिंडा (स.ह.): फसलों व अन्य कृषि उत्पादों का पूरा मूल्य लेने के लिए देश भर के कई किसान संगठनों की ओर से 1 से 10 जून तक ‘गांव बंद’ की कॉल दी गई है, जिसे लेकर लोग असमंजस में हैं। किसान यूनियनों ने ऐलान किया है कि उक्त 10 दिनों तक कोई भी किसान अपना अनाज, सब्जियां, हरा चारा या दूध शहरों में लेकर नहीं आएगा। अगर ऐसी स्थिति आती है तो ये 10 दिन शहरियों के लिए मुश्किलों भरे हो सकते हैं। किसानों का कहना है कि उनका शहरवासियों के साथ कोई विवाद नहीं है बल्कि वह अपनी आवाज सरकार के कानों तक पहुंचाना चाहते हैं।
किसान बोले : न शहरों से खरीदेंगे, न बेचेंगे
किसान यूनियनों के नेताओं का कहना है कि उक्त 10 दिनों तक कोई भी किसान अपनी उपज, फसल, सब्जियां, दूध आदि नहीं बेचेगा। इसके साथ ही कोई किसान शहरों का रुख नहीं करेगा व शहर के बाजारों से कोई भी वस्तु नहीं खरीदेगा। गौरतलब है कि अधिकांश किसान अपनी सब्जियां बङ्क्षठडा की मुख्य सब्जी मंडी में लेकर आते हैं जहां से हर घर में सब्जी पहुंचती है, लेकिन अब किसानों द्वारा किए गए ऐलान के बाद अगर मंडियों में 10 दिनों तक कोई सब्जी नहीं पहुंचेगी तो लोगों के लिए मुसीबत खड़ी हो जाएगी। यही नहीं किसानों ने उक्त 10 दिनों के दौरान दूध बेचने से भी इंकार कर दिया है जिस कारण शहरों में दूध की किल्लत भी हो सकती है।
यूनियनों द्वारा किया जा रहा प्रचार
भाकियू एकता (सिद्धूपुर), भाकियू (कादियां) व अन्य सहयोगी संगठनों की ओर से 10 दिनों के बंद को लेकर धुआंधार प्रचार किया जा रहा है। गांवों में लगातार इस बात की मुनादी करवाई जा रही है कि किसान अपने आप को बचाने के लिए इस संघर्ष में सहयोग करें। यूनियन नेताओं का कहना है कि ये लड़ाई हर गांव में रहने वाले किसानों के लिए ही लड़ी जा रही है व उम्मीद है कि किसान इसमें सहयोग देंगे। इसलिए 31 मई को ग्रामीण इलाकों में संगठनों द्वारा झंडा मार्च करके ग्रामीण लोगों को जागरूक किया जाएगा ताकि इस बंद की कॉल को सफल बनाया जा सके। इस संघर्ष के हक में व्हाट्सएप व अन्य सोशल मीडिया पर भी ऑडियो-वीडियोज के जरिए भी किसानों को इस मुहिम के प्रति जागरूक किया जा रहा है।