UPSC की परीक्षा में बठिंडा की अमनदीप ने पाया 311वां रैंक

Edited By Vatika,Updated: 29 Apr, 2018 11:23 AM

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‘देश में फैले भ्रष्टाचार या गंदी राजनीति को गाली निकालने का हमें तब तक कोई हक नहीं जब तक हम खुद इसके खिलाफ नहीं खड़े होते।’ उक्त शब्द हैं बठिंडा की अमनदीप धनोआ, जो यू.पी.एस.सी. परीक्षा पास कर आई.आर.एस. चुनी गई हैं परन्तु वह संतुष्ट नहीं है, क्योंकि...

बठिंडा (बलविंद्र): ‘देश में फैले भ्रष्टाचार या गंदी राजनीति को गाली निकालने का हमें तब तक कोई हक नहीं जब तक हम खुद इसके खिलाफ नहीं खड़े होते।’ उक्त शब्द हैं बठिंडा की अमनदीप धनोआ, जो यू.पी.एस.सी. परीक्षा पास कर आई.आर.एस. चुनी गई हैं परन्तु वह संतुष्ट नहीं है, क्योंकि उसका लक्ष्य आई.ए.एस. बनना है, जो मामूली फर्क से आई.ए.एस. बनने से वंचित रह गई। नई बनी आई.आर.एस. अधिकारी अमनदीप धनोआ का कहना है कि जग जाहिर है कि देश में भ्रष्टाचार भी है और राजनीति भी बहुत गंदी हो चुकी है लेकिन यह भी नहीं भूला जा सकता कि यह भी हम सब की देन है और इसमें कोई शक नहीं कि इसकी सफाई भी हम ही कर सकते हैं, इसलिए जरूरी है कि हम सभी अपने-अपने हिस्से का फर्ज निभाएं। वह खुद भी आई.आर.एस. अधिकारी बनकर अपने हिस्से का योगदान देंगी। अमनदीप के पिता प्रसिद्ध फिजियोथैरेपिस्ट डा. लाल सिंह धनोआ के अनुसार अमनदीप धनोआ ने 2007 में जेवियर स्कूल बठिंडा से 12वीं पास की। वर्ष 2012 में अमनदीप धनोआ ने बिरला इंस्टीच्यूट आफ टैक्रोलॉजी एंड साइंस, पिलाई (राजस्थान) से बी.टैक. मैकेनिकल इंजीनियर की।

मान है अपनी बेटी पर : मां सतविंद्र कौर
अमनदीप धनोआ की मां सतविंद्र कौर का कहना है कि उनको अपनी बेटी पर बहुत मान है जिसने परिवार का नाम रोशन किया है। ऐसी बेटियां भगवान घर-घर दे। अमनदीप का बड़ा भाई फिजियोथैरेपिस्ट है, जिसका छोटा भाई अमरीका में मैकेनिकल इंजीनियर के तौर पर नौकरी कर रहा है। 

विदेशी कंपनी छोड़कर की तैयारी
अ‘छे रैंक के कारण उसको बेंगलूर में एक अमरीकन कम्पनी ने नौकरी के लिए चुना गया। जे.सी.बी. मशीनें बनाने वाली इस कम्पनी में अमनदीप धनोआ ने 2 वर्ष नौकरी की परन्तु अमनदीप का सपना आई.ए.एस. बनना था, इसलिए नौकरी छोड़कर उसने दिल्ली में तैयारी शुरू कर दी। वर्ष 2015 में उसने आई.ए.एस. की परीक्षा दी और वह पहली बार ही इंटरव्यू राऊंड तक पहुंच गई थी। पहली बार की बड़ी उपलब्धि ने हिम्मत बढ़ाई तो अगले वर्ष 2016 में उसने बिना ट्यूशन फिर परीक्षा दी। वह इस बार भी इंटरव्यू राऊंड तक ही पहुंच सकी। फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी और 2017 में यू.पी.एस.सी. परीक्षा दी। कहावत है कि ‘ऊगण वाले उग पैंदे नें सीना पाड़ के पत्थरां दा‘ अनुसार अमनदीप ने देश भर में &11वां रैंक हासिल कर यह परीक्षा पास की, जो न सिर्फ परिवार या बङ्क्षठडा के लिए बल्कि पंजाब के लिए भी बड़ी उपलब्धि है। 

पिता को प्रेरणा स्रोत मानती है अमनदीप
अमनदीप का कहना है कि उनका परिवार इस उपलब्धि का हकदार है, जिसने हमेशा उसको भरपूर सहयोग दिया, जबकि पिता डा. लाल सिंह हमेशा उनके प्रेरणा स्रोत रहे हैं। पहली बार परीक्षा देने पर इंटरव्यू तक पहुंचना उसके लिए सबसे बड़ी खुशी थी लेकिन यह नतीजा दूसरी बार रिपीट हुआ तो यह सबसे बड़ा दुख था कि शायद वह आई.ए.एस. नहीं बन सकेगी, क्योंकि वह दूसरी बार भी अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच सकी परन्तु परिवार ने हौसला दिया तो वह तीसरी बार मंजिल तक पहुंच गई थी। उन्होंने कहा कि वह आई.ए.एस. बनने के लिए अगली पढ़ाई भी जारी रखेगी। 

बरेटा के भरत मित्तल ने हासिल किया 256वां रैंक
यहां के युवक भरत मित्तल सुपुत्र जितेन्द्र कुमार मित्तल ने सिविल सॢवसिज परीक्षा (यू.पी.एस.सी.) के आए परिणाम में आई.पी.एस. परीक्षा-2017 में 256वां रैंक हासिल किया है जिससे इस पिछड़े क्षेत्र का पूरे देश में नाम रोशन हुआ है। भरत मित्तल के पिता जितेन्द्र कुमार तथा दादा चरण दास जो करियाना का कारोबार करते हैं, ने अपने बेटे/पोते की इस प्राप्ति पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा है कि हम अपने ब"ो की इस बड़ी प्राप्ति पर बहुत खुश हैं तथा इस प्राप्ति पर उन्हें गर्व है। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष भी यहां के ही एक युवक मानव सिंगला ने भी इसी परीक्षा (2016) में यही रैंक 256वीं प्राप्त करके बरेटा का नाम रोशन किया था तथा इस बार भरत मित्तल ने वही रैंक प्राप्त करके बरेटा के नाम को कायम रखा है। इस प्राप्ति से पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर है।

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