पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय में फायर सेफ्टी का नहीं लगा है कोई उपकरण

Edited By swetha,Updated: 15 Nov, 2018 08:56 AM

punjab central university

मानसा रोड पर इंडस्ट्रीयल ग्रोथ सैंटर में एक बूट फैक्टरी में गत माह शार्ट सर्किट से भयानक आग लगी थी, जिसमें करोड़ों का नुक्सान हुआ है। फैक्टरी में काम बंद होने के कारण मजदूर व अन्य कर्मचारी हताहत होने से बच गए। इस बूट फैक्टरी से कुछ ही 100 मीटर की...

बठिंडा(आजाद):मानसा रोड पर इंडस्ट्रीयल ग्रोथ सैंटर में एक बूट फैक्टरी में गत माह शार्ट सर्किट से भयानक आग लगी थी, जिसमें करोड़ों का नुक्सान हुआ है। फैक्टरी में काम बंद होने के कारण मजदूर व अन्य कर्मचारी हताहत होने से बच गए। इस बूट फैक्टरी से कुछ ही 100 मीटर की दूरी पर पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय का अस्थायी कैंपस है। जहां पर काफी संख्या में स्टूडैंट, स्टाफ मैंबर व टीचर मौजूद हैं । वहां फायर सेफ्टी के प्रबंधों को देखकर लगता है कि विश्वविद्यालय प्रशासन बूट फैक्टरी में लगी आग से कोई सबक नहीं लिया है। यहां की फायर सेफ्टी की स्थिति को देखकर कभी भी आग लगने के से इंकार नहीं किया जा सकता ।

हमेशा एक हजार रहते हैं स्टूडैंट 
विश्वविद्यालय की मेन बिल्डिंग में हर वक्त लगभग एक हजार स्टूडैंट रहते हैं। इसमें ज्यादातर स्टडीज रूम व कम्प्यूटर लैब में दिन-रात बैठ कर पढ़ाई करते हैं,तो कुछ स्टूडैंट लैब में मशीनों पर अपना रिसर्च के काम करते रहते हैं। अगर कोई अनहोनी होती है तो काफी जान-माल के नुक्सान हो सकते हैं।  

9 साल में एक बार भी नहीं हुई मॉक ड्रिल
सैंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ पंजाब के अस्थायी कैंपस 2009 से मानसा रेलवे फाटक के पास एक धागा फैक्टरी में चलाया जा रहा है। लेकिन 9 साल बीतने के बाद भी एक बार भी मॉक ड्रिल नहीं करवाई गई है ताकि अगर कोई हादसा होता है तो उससे कैसे निपटा जाए या आग लगने पर उसको कैसे काबू किया जाए। फायर सेफ्टी के बारे में काफी स्टूडैंट व स्टाफ को पता भी नहीं है कि इसे कैसे प्रयोग किया जाता है। 

यूनिवर्सिटी की पुरानी बिल्डिंग भी हो चुकी है जर्जर  
गौरतलब हो कि यूनिवर्सिटी की पुरानी बिल्डिंग जर्जर अवस्था में पहुंच चुकी है, जिसमें बार-बार मुरम्मत का काम करवाकर भवन की असलियत पर पर्दा डालने की नाकाम कोशिश यूनिवर्सिटी द्वारा की जाती रही है। विश्वविद्यालय में फायर सेफ्टी के कुप्रबंध का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कहीं भी फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं है। सूत्रों कि माने तो विश्वविद्यालय के कई डिपार्टमैंट्स आज भी बिना फायर सेफ्टी के ही चल रहे हैं।

संबंधित विभाग कर रहा है अभी हादसे का इंतजार
इस विश्वविद्यालय के साइंस लैब में एक मशीन की कीमत करोड़ों में आंकी जाती है। साइंस लैब की यह मशीन दिन -रात चलती  है। इतना ही नहीं विश्वविद्यालय की वायरिंग  भी काफी पुराने हो चुकी है, जिसको काफी समय से नहीं बदला गया है। अगर जाने-अंजाने में आग लग जाए तो करोड़ों का नुक्सान हो सकता है। वहीं कितनी जाने जा सकती हैं इसका अंदाजा भी लगाना मुश्किल है। इतनी गंभीर हालात होने के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा  है। ऐसा लगता है कि किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है। 

लाईब्रेरी में सबसे ज्यादा खतरा
ज्ञात हो कि विश्वविद्यालय के सैंट्रल लाइब्रेरी में करोड़ों की बुक्स रखी हुई हैं, जिसमें काफी संख्या में स्टूडैंट बैठ कर दिन-रात पढ़ाई करते रहते हैं लेकिन इस लाइब्रेरी में सिर्फ एक ही संकरा गेट है जिसमें से एक समय में महज एक या दो ही लोग निकल सकते हैं। इतना ही नहीं इस लाइब्रेरी में फायर सेफ्टी के कोई प्रबंध नहीं है। 

कमी पाए जाने पर नियमानुसार होगी कार्रवाई : फायर अधिकारी   
इस संबंध में बात किए जाने पर फायर अधिकारी ने कहा कि फायर सेफ्टी से कोई समझौता नहीं किया जाएगा हालांकि जांच किए हुए एक साल से ज्यादा समय गुजर चुका है। एक दो दिन के अंदर विश्वविद्यालय के फायर सेफ्टी की जांच की जाएगी। अगर कुछ भी कमी पाई गई तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। 

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