पाबंदीशुदा प्लास्टिक के लिफाफों का इस्तेमाल बेखौफ जारी

Edited By Vatika,Updated: 21 Jan, 2019 03:59 PM

polythene bag banned

मानसा जिले में जिला प्रशासन की पाबंदी के बावजूद प्लास्टिक के लिफाफों का प्रयोग धड़ल्ले से बेखौफ चल रहा है। मानसा शहर में पाबंदीशुदा लिफाफे हर 10 के पीछे 8 व्यक्तियों के हाथों का शृंगार है। इस मामले में महिलाएं भी किसी से कम नहीं। उनके हर हाथ में ऐसे...

मानसा(जस्सल): मानसा जिले में जिला प्रशासन की पाबंदी के बावजूद प्लास्टिक के लिफाफों का प्रयोग धड़ल्ले से बेखौफ चल रहा है। मानसा शहर में पाबंदीशुदा लिफाफे हर 10 के पीछे 8 व्यक्तियों के हाथों का शृंगार है। इस मामले में महिलाएं भी किसी से कम नहीं। उनके हर हाथ में ऐसे लिफाफे देखे जा सकते हैं। इसका बड़ा कारण यह भी है कि अब लोग अपने हाथ में थैला रखना अपनी शान के खिलाफ समझने लगे हैं। 

इन पाबंदीशुदा लिफाफों का इस्तेमाल दुकानदार और रेहडिय़ों वाले धड़ल्ले से कर रहे हैं। उनका कहना है कि नए किस्म के आलू के स्टार्च से बने लिफाफे उनको काफी महंगे पड़ते हैं और लोग भी प्लास्टिक के लिफाफों की ज्यादा मांग करते हैं। उनकी मजबूरी है कि वे ऐसे लिफाफों का प्रयोग कर रहे हैं परंतु इन पाबंदीशुदा लिफाफों को लोग सड़कों पर फैंक देते हैं, जिससे ये लिफाफे चारों तरफ गंदगी के ढेरों व सीवरेज, नालियों को ब्लॉक कर रहे हैं। 

शहर के प्रसिद्ध चमड़ी रोगों के माहिर डा. पुनीत रेखी का कहना है कि प्लास्टिक के लिफाफे सेहत के लिए हानिकारक हैं। ये लिफाफे मिट्टी में पड़े रहते हैं और इनके रसायन धरती में रच जाते हैं जो धरती के निचले पानी को प्रदूषित कर देते हैं। यह पानी हमारी फसलों की सिंचाई के लिए और मनुष्य, पशु-पक्षियों के पीने के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो प्रत्येक की सेहत को नुक्सान पहुंचाता है। अगर गलती से कोई पशु इसको निगल ले तो उसकी जान तक जा सकती है। उन्होंने कहा कि मानवता और धरती की भलाई के लिए हमें प्लास्टिक के लिफाफों को त्याग कर दूसरे किस्म के गलने योग्य लिफाफों का प्रयोग करना चाहिए। 

पॉलिथीन लिफाफों के कारण सीवरेज सिस्टम हो रहा ठप्प
दुकानदारों व रेहड़ी वालों का कहना है कि ऐसी पाबंदियां तो थोड़े समय के लिए होती हैं। यदि सरकार सचमुच ही इस पाबंदी प्रति गंभीर है तो वह ऐसे लिफाफे बनाने वाली फैक्टरियों पर सख्ती क्यों नहीं कर रही? जिन फैक्टरियों में इन लिफाफों में खाद्य पदार्थों की पैकिंग हो रही है। इसके साथ पंजाब भर में पॉलिथीन के लिफाफों पर पाबंदी लगाने समय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड भटक कर रह गया है। इस बोर्ड ने वातावरण की सुरक्षा के लिए गुटखा, तम्बाकू और पान मसाला पैक करने के लिए प्लास्टिक के पाऊचों पर पाबंदी लगा दी परंतु जल्दी में लिए गए फैसले में बाजारों और जनतक स्थानों पर खुली दुकानों पर चिप्स व कुर्कुरों के लिए इस्तेमाल किए जाते रंग-बिरंगे प्लास्टिक के पैक नजरअंदाज कर दिए गए। बोर्ड की तरफ से रा’य के डिप्टी कमिश्नरों, नगर कौंसिलों को यह हिदायत की गई कि गुटखा, तम्बाकू और पान मसाला के लिए प्लास्टिक के पाऊचों को सख्ती से रोका जाए। बोर्ड ने भारत सरकार के वातावरण मंत्रालय की हिदायतों की पालना करने के लिए कहा है परंतु बाजारों व जनतक स्थानों पर खुली दुकानों और खोखों में चिप्स व कुर्कुरे सरेआम प्लास्टिक के बंद लिफाफों में कंपनियों व फैक्टरियों की तरफ से दुकानदारों द्वारा बेचे जा रहे हैं। ऐसे लिफाफों में ब‘चे व ज्यादातर महिलाएं चिप्स और कुर्कुरे खाकर गलियों-नालियों में फैंक देती हैं, जिससे सीवरेज सिस्टम ठप्प होकर रह जाता है। 

जिला प्रशासन नहीं कर रहा लोगों को जागरूक
पंजाब सरकार के आदेशों पर जिला प्रशासन की तरफ से 30 माइक्रोन से कम और रंगदार लिफाफों पर मुकम्मल पाबंदी लगाने के बाद गलने योग्य पदार्थों के लिफाफे मार्कीट में लाए गए हैं परंतु ये लिफाफे कहीं भी दिखाई नहीं दे रहे जिस संबंधी जिला प्रशासन बेखबर है। जिला प्रशासन की तरफ से लोगों को जागरूक करने के लिए समागम, सैमीनार, रैलियां नहीं निकाली जा रहीं और न ही पम्फलैट्स द्वारा लोगों को प्लास्टिक के थैले, लिफाफे न प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। नए गलने योग्य लिफाफे सिर्फ खबरों में ही दिखाई दे रहे हैं। 

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