ड्रेनों व निकासी नालों की सफाई न होने से मंडराने लगा बाढ़ का खतरा

Edited By Vatika,Updated: 13 Jul, 2018 10:13 AM

flood in mansa

मानसा जिले में तेज बारिश का मौसम बनने से ड्रेनों व निकासी नालों की सफाई न होने से इस क्षेत्र में संभावित बाढ़ का खतरा सिर पर मंडराने लगा है जिसको लेकर पंजाब सरकार पूरी तरह बेखबर है। इस जिले की 30 के करीब ड्रेनों व नालों में ज्यादातर गाजर बूटी, जल...

मानसा(मित्तल): मानसा जिले में तेज बारिश का मौसम बनने से ड्रेनों व निकासी नालों की सफाई न होने से इस क्षेत्र में संभावित बाढ़ का खतरा सिर पर मंडराने लगा है जिसको लेकर पंजाब सरकार पूरी तरह बेखबर है। इस जिले की 30 के करीब ड्रेनों व नालों में ज्यादातर गाजर बूटी, जल बूटी व घास-फूस ने अपना कब्जा कर रखा है। यदि पुलों की हालत को देखा जाए तो खस्ता होती जा रही है। इसकी तरफ भी जिला प्रशासन को विशेष तौर पर ध्यान देने की जरूरत है। जिला प्रशासन ने अग्रिम प्रबंधों का जायजा तो लिया परन्तु कोई सार्थक कदम नहीं उठाए। 

30 के करीब ड्रेन, सफाई का बुरा हाल 
मानसा जिले के साथ लगते जिला संगरूर से संबंधित 30 के करीब ड्रेन हैं जिनका सफाई के पक्ष से बड़ा बुरा हाल है। इन ड्रेनों व नालों की सफाई कभी भी समय पर सुचारू ढंग से नहीं हुई। मानसा जिले के कोटदुना, पंधेर, दरियापुर, मौजो, भूपाल, ख्याला, अलीशेर, मंडेर, अचानक, डसका, खत्रीवाला, रंघडयाल, काहनगढ़, दयालपुरा, कुलरिया, धर्मपुरा आदि गांवों में से ड्रेन व नाले गुजरते हैं, परन्तु सरदूलगढ़ व आस-पास के गांवों में हर साल घग्गर में पानी की मात्रा बढ़ जाती है और पानी इलाके व किसानों के खेतों में भर जाता है। वहीं पानी ज्यादा आने से कृषि सैक्टर व रिहायशी क्षेत्रों में नुक्सान ज्यादा होता है। जिला प्रशासन को चाहिए कि संभावित बाढ़ से निपटने के लिए ड्रेनों व नालों की सफाई का कार्य अभी से आरंभ कर दे। 

किसानों को बाढ़ की मार का सता रहा है डर 
बेशक मानसून की आमद में देरी के कारण किसानों को अपनी फसलों की सिंचाई के लिए सूखे की मार झेलनी पड़ रही है। इस के चलते अब ज्यादा तेज बारिशें होने पर किसानों को बाढ़ की मार का डर सता रहा है। जिला प्रशासन ने समय-समय संभावित बाढ़ आने से बचाव के लिए स्थिति का जायजा तो ले लिया है, परन्तु राज्य सरकार ने इन ड्रेनों व नालों की सफाई के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए। यदि तेज बारिशें हुई तो जिला प्रशासन सिर्फ संभावित बाढ़ आने के लिए हाई अलर्ट कर सकता है, क्योंकि यदि आने वाले समय में बारिशें ज्यादा हुईं तो ये ड्रेनें व निकासी नाले पानी की निकासी करने में असमर्थ होंगे। गांव कुलरियां व जुगलान निवासियों का कहना है कि वर्ष 1993, 1995 व 2010 में यह इलाका बाढ़ की मार के नीचे आया था। अब जरूरत है कि इसके साथ पंजाब, हरियाणा बॉर्डर पर स्थित चांदपुरा बांध तक जाती कच्ची सड़क को दुरुस्त किया जाए व कुलरियां गांव में भी 700 से 800 एकड़ खेतों का इलाका नीचा होने के कारण रिचार्ज बोर लगाए जाएं।

ड्रेनेज विभाग के अधिकारियों का पक्ष 
ड्रेनेज विभाग के अधिकारियों ने डिप्टी कमिश्नर को बताया कि इस ड्रेन में बारिश के मौसम में पानी का स्तर बढऩे की संभावना बहुत कम है, परन्तु जलकुंभी (केली) के सूखे होने के कारण इस की सफाई सुविधाजनक हो सकती है और इस को साफ करवाने के यत्न किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि संभावित तेज बरसातें आने के मद्देनजर बचाव के लिए हर संभव उपाय किए जाएंगे। 

जिला प्रशासन ने लिया प्रबंधों का जायजा 
तेज बारिशें आने के मद्देनजर बीते दिनों डिप्टी कमिश्नर बलविन्द्र सिंह धालीवाल ने मानसा जिले के गांवों के लिए गांव बोड़ावाल ड्रेन, हसनपुर ड्रेन, गुरने खुर्द ड्रेन व बरेटा ड्रेन पर पहुंच कर इन गांव वासियों से तेज बारिशें आने पर आने वाली मुश्किलें भी सुनी। ड्रेनेज विभाग के एक्सियन शशि भूषण को डिप्टी कमिश्नर ने हिदायत की कि इन ड्रेनों का एस्टीमेट लगा कर जल्द सफाई के प्रयास किए जाएं और बरसाती मौसम दौरान ड्रेनों में पानी बढऩे पर आस-पास के इलाकों में होने वाले संभावित नुक्सान को देखते नुक्सान से बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएं।

किसान खुद उठाने लगे कदम
मानसा जिले के गांव गुरने कलां व फफड़े भाईके के बीच ड्रेन के पुल पर जल बूटी बड़ी मात्रा में आने से किसानों के मन में जिला प्रशासन के प्रति सख्त रोष है। इस संबंधी किसान लीला राम शर्मा, काला सिंह, अमरीक सिंह, हरदीप सिंह, विन्दर सिंह ने बताया कि उन्होंने बीते 1 महीने से संभावित तेज बारिशों के बारे में जिला प्रशासन के पास आवाज उठाई थी कि मानसा जिले की ड्रेनों व नालों की सफाई करवाई जाए परन्तु प्रशासन अधिकारियों ने उन की सार नहीं ली। किसानों ने बताया कि अब वे मजबूर होकर 800 रुपए प्रति घंटा व जे.बी.सी. मशीन से अपने खर्च पर गुरने कलां ड्रेन की सफाई कर रहे हैं। इन किसानों ने मुख्य मंत्री से मांग की है कि उन की तरफ से करवाई जा रही सफाई का उन को खर्चा दिया जाए और इस मामले में लापरवाही कर रहे संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। 

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