Edited By Vatika,Updated: 30 May, 2020 04:21 PM
भारत में मक्की, धान व गेहूं के बाद तीसरी प्रमुख्र फसल है। लॉकडाऊन दौरान सब्जी विक्रेताओं को मंदे भाव का शिकार होना पड़ा था, लेकिन अब कर्फ्यू खत्म होती ही राहत मिली है।
धर्मकोट(अकालियां वाला): भारत में मक्की, धान व गेहूं के बाद तीसरी प्रमुख्र फसल है। लॉकडाऊन दौरान सब्जी विक्रेताओं को मंदे भाव का शिकार होना पड़ा था, लेकिन अब कर्फ्यू खत्म होती ही राहत मिली है। पंजाब में मक्की एक ऐसी फसल है जिसकी खरीद व्यापारी वर्ग द्वारा सब्जियों की तरह की जाती है। मक्की की फसल इस समय पूरे जोरों पर है और कुछ दिनों तक मंडी में भी पहुंच जाएगी। मक्की बीजने वाले किसान पिछले वर्ष की तरह इस बार भी अच्छी उपज के साथ-साथ अच्छे भाव को लेकर खुश हैं। तहसील धर्मकोट में पिछले वर्ष के मुकाबले मक्की का रकबा बढ़ा है।
तहसील के गांव बड्डूवाल में सबसे अधिक मक्की की फसल की बिजाई की जाती है। इस गांव के कुल रकबे के मुकाबले लगभग तीसरा हिस्सा मक्की बीजी जाती है। इस गांव के किसान गुरजंट सिंह का कहना है कि वह 10 वर्ष से मक्की की बिजाई कर रहा है। आलू की पुटाई के बाद उसने मक्की की 9108 किस्म की बिजाई की है जिसकी उपज तथा मंडीकरण पिछले वर्ष भी बढिय़ा रहा।कृषि अफसर गुरबाज सिंह ने बताया कि पिछले वर्ष धर्मकोट ब्लाक में 2500 हैक्टेयर रकबे में मक्की की फसल की बिजाई की गई थीं। पिछले वर्ष अच्छा भाव मिलने के चलते मक्की का रकबा इस बार दुगणा हो चुका है। 5000 रकबे में इसकी बिजाई हुई है किसानों को समय-समय पर जागरूक किया जाता है, ताकि वह इस रुझान को मुख्य फसल के तहत अपना लें। तुपका सिंचाई विधी से 4-5 किसानों ने मक्की की बिजाई की है। इस विधि से सिंचाई करने वाले किसानों को 90 प्रतिशत सरकार द्वारा सब्सिडी मिलती है।
100 दिनों में पक जाती है मक्की की फसल
मक्की की फसल लगभग 100 दिनों में पक जाती है, जिस कारण पानी की खपत कम होती है। मक्की की बिजाई को ज्यादा फायदेमंद बनाने के लिए इसकी विशेष प्रयोग वाली किस्में जैसे कि स्वीट कोरन, मिट्टी मक्की, पोपकोर्न, फूलों वाली मक्की व बोबी कोरन कच्ची मक्की की बिजाई को उत्साहित करने की जरूरत है। पंजाब में मालवा क्षेत्र में इसकी खेती दोआबा क्षेेत्र के मुकाबले बेशक कम होती है।