पराली जलाने का मामला: किसान व सरकार फिर होंगे आमने-सामने

Edited By Vatika,Updated: 07 Oct, 2019 03:57 PM

clash between farmer and punjab government

धान की पराली को आग लगाने के मामले में एक बार फिर से किसान व सरकार के आमने -सामने होने के आसार बने हुए हैं। जहां सरकार की ओर से किसानों को पराली को आग न लगाने के लिए बड़े स्तर पर जागरूक किया जा रहा है

 बठिंडा (परमिंद्र): धान की पराली को आग लगाने के मामले में एक बार फिर से किसान व सरकार के आमने -सामने होने के आसार बने हुए हैं। जहां सरकार की ओर से किसानों को पराली को आग न लगाने के लिए बड़े स्तर पर जागरूक किया जा रहा है वहीं किसानों का कहना है कि सरकार केवल प्रचार ही कर रही है लेकिन इस समस्या से निपटने के लिए जमीनी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। किसानों को पर्याप्त संसाधन मुहैया नहीं करवाए जा रहे जिस कारण किसान इस बार फिर से धान की पराली को आग लगाने को मजबूर हो जाएंगे। गत दिनों कुछ किसान संगठनों ने डिप्टी कमिश्नर को मांगपत्र सौंपकर किसानों को पर्याप्त मशीनरी उपलब्ध करवाने की मांग भी की थी।

किसानों पर कार्रवाई अपेक्षा संसाधन मुहैया करवाए सरकार
सरकार की ओर से पराली को आग लगाने वाले किसानों को जागरूक करने के अलावा ऐसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बातें की जा रही हैं। पिछले साल भी पराली जलाने वाले किसानों के चालान आदि किए गए व अन्य भी कई प्रकार के डर किसानों को दिखाए गए, लेकिन सरकार की ओर से इस समस्या से निपटने के लिए किसानों को पर्याप्त संसाधन मुहैया नहीं करवाए जा रहे। किसान संगठनों के नेताओं का कहना है कि सरकार किसानों पर कार्रवाई की बातें तो करती है लेकिन किसानों को इस समस्या के साथ निपटने के लिए पर्याप्त औजार या फंड्स आदि नहीं दिए जा रहे। किसान खर्च अधिक होने के डर से पराली को आग लगाने को मजबूर हो जाते हैं। हालांकि कुछ समृद्ध किसान उक्त खर्च उठा सकते हैं लेकिन सभी किसानों के लिए यह खर्च सहन करना मुश्किल है।

सरकार का जोर केवल जागरूकता पर
जिले के शीर्ष अधिकारियों तथा खेतीबाड़ी विभाग के अधिकारियों द्वारा किसानों को केवल बातों के जरिए ही जागरूकत किया जा रहा है लेकिन किसानों को कोई मदद नहीं दी जा रही। किसानों को पराली जलाने के कारण होने वाले नुक्सान के बारे में बताया जा रहा है जिसके बारे में किसान अधिकारियों से भी अधिक जानकारी रखते हैं। इसके साथ ही प्रशासन द्वारा किसानों को पराली को खेत में ही मिलाने तथा हैप्पी सीडर व जीरो टिल-ड्रिल के साथ बिजाई करने की सलाह भी दी जा रही है, लेकिन हकीकत इससे परे है। किसान संगठनों का कहना है कि प्रशासन द्वारा अढ़ाई व 5 एकड़ वाले किसानों को अभी तक हैप्पी सीडर या रोटावेटर मुहैया नहीं करवाए गए। बेशक किसानों को जागरूक करना भी जरूरी है, लेकिन पराली के निपटारे के लिए जरूरी मशीनरी उपलब्ध करवाना भी यकीनी बनाया जाना चाहिए।

किसानों के खिलाफ कार्रवाई की तो यूनियन करेगी कड़ा विरोध
भाकियू (एकता) सिद्धुपुर के महासचिव रेशम सिंह यात्री ने बताया कि उन्होंने 1 अक्तूबर को डिप्टी कमिश्नर को एक मांगपत्र सौंपकर किसानों को हैप्पी सीडर व अन्य औजार मुहैया करवाने की मांग की थी लेकिन उस पर कोई खास कदम नहीं उठाए गए। उन्होंने बताया कि किसान इस समस्या ये भलिभांति अवगत हैं लेकिन छोटे किसानों की मजबूरी है कि वे अगली फसल के लिए खेत तैयार करने पर ही भारी-भरकम पैसा खर्च कर देते हैं व ऐसे में उनकी आर्थिक हालत इस समस्या के आड़े आ जाती है। जब तक सरकार की ओर से किसानों को जरूरी मशीनरी या फंड्स मुहैया नहीं करवाया जाएगा तब तक इस समस्या का समाधान नहीं होगा। प्रशासन कोई सुविधा नहीं दे रहा। ऐसे में अगर किसानों के खिलाफ कार्रवाई की गई तो यूनियन इसका कड़ा विरोध करेगी।

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