थर्मल प्लांट को बायोमास प्लांट में बदलने के लिए डैनमार्क से टीम बठिंडा पहुंची

Edited By Vatika,Updated: 13 Dec, 2018 11:12 AM

biogas plant

बंद पड़े श्री गुरुनानक देव थर्मल प्लांट बठिंडा को पराली के साथ चलाने के लिए अधिकारियों द्वारा दिन-रात एक किया जा रहा है। सरकार से इसको हरी झंडी मिल चुकी है। अधिकारियों के आमंत्रण पर डैनमार्क की एक निजी कंपनी की टीम ने बठिंडा थर्मल प्लांट का दौरा...

बठिंडा: बंद पड़े श्री गुरुनानक देव थर्मल प्लांट बठिंडा को पराली के साथ चलाने के लिए अधिकारियों द्वारा दिन-रात एक किया जा रहा है। सरकार से इसको हरी झंडी मिल चुकी है। अधिकारियों के आमंत्रण पर डैनमार्क की एक निजी कंपनी की टीम ने बठिंडा थर्मल प्लांट का दौरा किया।

गौरतलब है कि समय पूरा करने के नाम पर थर्मल प्लांट बठिंडा बंद होने के साथ हजारों कच्चे मुलाजिम व उनके परिवार प्रभावित हुए, जिस कारण संबंधित मुलाजिम सड़कों पर आए गए थे जबकि पक्के मुलाजिमों व अधिकारियों का भी प्रभावित होना स्वाभाविक था। इस दौरान प्लांट को बायोमास प्लांट में तबदील करने की कोशिशें शुरू हो गईं। इन कोशिशों को अंजाम तक पहुंचाने वालों में थर्मल प्लांट के उच्चाधिकारी व ऊर्जा मंत्री गुरप्रीत सिंह कांगड़ भी शामिल थे। कांगड़ के इशारे पर अधिकारियों की टीम ने एक रिपोर्ट तैयार की जिसमें बताया गया कि इस कोयले से चलने वाले प्लांट को पराली से भी चलाया जा सकता है। इसकी रिपोर्ट सरकार के पास भेजी गई, जिसे सरकार ने मंजूरी दे दी। अब केवल दस्तावेजी कार्रवाई ही बाकी है। सरकार की ओर से इसको जल्द किए जाने की उम्मीद है।

पंजाब में हर साल निकलती है 220 लाख टन पराली
सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में हर साल लगभग 220 लाख टन पराली पैदा होती है। बङ्क्षठडा थर्मल प्लांट का एक यूनिट हर साल 4 लाख टन पराली की खप्त करेगा। ऐसे सैंकड़ों यूनिट लगने से जरूरत से भी अधिक बिजली पैदा की जा सकती है, जिससे पंजाब को कई तरह से लाभ होगा। जो पराली प्रदूषण का कारण बनती है उससे न केवल बिजली बनेगी, बल्कि किसानों को उसकी कीमत भी मिलने लगेगी। इस प्रकार बाहर से कोयला मंगवाकर जो पैसा बाहरी राज्यों को दिया जाता था उसकी भी बचत होगी। यही नहीं इन प्रेजैक्टों का अगला पड़ाव पराली से कोयला बनाने के प्रोजैक्ट भी लगाना है। इस प्लांट से जहां पंजाब को आर्थिक लाभ होगा वहीं हजारों लोगों को रोजगार भी मिलेगा। 

कई देशों में 85 फीसदी बिजली बायोमास प्लांटों से
जिक्रयोग्य है कि डैनमार्क में 1980 दौरान ही पहला बायोमास प्लांट लग गया था, जबकि यूरोप में कई अन्य देशों में भी लंबे समय से बायोमास प्लांट चल रहे हैं। यही नहीं पड़ोसी देश चीन में भी अनेक बायोमास प्लांट लगे हुए हैं। हर विकसित देश में 85 फीसदी बिजली इन बायोमास प्लांटों से ही प्राप्त की जा रही है, जबकि हमारा देश अभी ऐसे प्लांट लगाने की सोच रहा है। 

डैनमार्क की कंपनी निभा सकती है अहम भूमिका
अगर पंजाब सरकार थर्मल प्लांट बठिंडा को बायोमास प्लांट में बदलने की मंजूरी देती है तो डैनमार्क की निजी कंपनी मैसर्ज रमबोल इस प्रोजैक्ट में अहम भूमिका निभा सकती है। आज कंपनी के अधिकारी डैनिश अपनी टीम के साथ थर्मल प्लांट बठिंडा पहुंचे व प्लांट का दौरान किया। इस संबंध में उन्होंने अधिकारियों के साथ एक बैठक भी की, जिसमें मुख्य इंजीनियर कुलदीप गर्ग, डिप्टी मुख्य इंजी. दर्शन सिंह लालेआणा सेवामुक्त, निगरान इंजी. स्वर्ण सिंह खोसा, अतिरिक्त निगरान इंजी.गिरीश गुप्ता, इंजी.गुरप्रीत सिंह मल्लण, इंजी.बी.एस.मान आदि उपस्थित थे। डैनिश ने बताया कि उनके देश में बिजली प्राप्त करने के लिए अधिकांश तौर पर बायोमास प्लांट ही लगे हुए हैं, जिनके साथ न केवल सस्ती बिजली मिलती है बल्कि पर्यावरण भी प्रदूषण मुक्त रहता है। अगर पंजाब सरकार इन प्लांटों को मंजूरी देती है तो यह प्रदेश के लिए हर पक्ष से लाभदायक साबित होगा। 

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