बठिंडा नगर निगम मेयर पर छाने लगे संकट के बादल

Edited By Vatika,Updated: 18 Apr, 2019 11:32 AM

bathinda municipal corporation

पूर्व अकाली सरकार के दौरान बनाई गई नगर निगम पर अब संकट के बादल घिरने लगे। कांग्रेस सरकार बनने के 2 वर्ष ही कई पार्षद अकाली दल-भाजपा को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं जिससे मेयर की कुर्सी को भी खतरा नजर आने लगा।

बठिंडा(विजय): पूर्व अकाली सरकार के दौरान बनाई गई नगर निगम पर अब संकट के बादल घिरने लगे। कांग्रेस सरकार बनने के 2 वर्ष ही कई पार्षद अकाली दल-भाजपा को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं जिससे मेयर की कुर्सी को भी खतरा नजर आने लगा।

अकाली सुप्रीमो सुखबीर बादल व उनकी धर्म पत्नी केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने पार्षदों को कांग्रेस में जाने से रोकने के लिए भरपूर कोशिश की। इतना ही नहीं उन्हें मनाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व सुखबीर सिंह बादल कुछ पार्षदों के घर भी गए लेकिन बात बनी नहीं। कांग्रेस के पास चुनावों के दौरान केवल 8 पार्षद ही थे जबकि अब यह आंकड़ा बढ़ कर 24 पहुंच गया है। बङ्क्षठडा नगर निगम में कुल 50 वार्डों के 50 पार्षद हैं जिनमें एक कांग्रेसी पार्षद राम हलवाई के निधन के बाद पार्षदों की गिनती 49 रह गई। कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती मेयर बनाने की है। उसको मेयर बनाने के लिए कम से कम 8 पार्षद और जोडऩे पड़ेंगे। अगर कांग्रेस 8 पार्षद और जुटा लेती है तब मेयर व डिप्टी मेयर के लिए रास्ता साफ होगा।

बठिंडा नगर निगम में मेयर की कुर्सी अल्पसंख्यक के लिए आरक्षित है जिसके लिए कांग्रेस ने प्रबंध भी कर लिया लेकिन अभी तक  किसी का नाम सामने नहीं आया। पार्षदों के बहुमत को लेकर कांग्रेस में इसका श्रेय जयजीत जोहन, जिला कांग्रेस अध्यक्ष अरूण वधावन सहित वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल को जा रहा है। उनके प्रयास से ही सभी पार्षद कांग्रेस में शामिल हुए जबकि आधा दर्जन पार्षद अभी भी उनके संपर्क में हैं। उम्मीद है कि चुनावों के बाद मेयर की कुर्सी पर कांग्रेस का कब्जा निश्चित है। अकाली दल के नेताओं ने इस मामले को लेकर चिंतन भी किया, आपात बैठकें भी हुईं, समीकरणों के साथ रणनीति पर भी विचार हुआ लेकिन पार्षदों का बहाव तेजी से कांग्रेस की ओर बढ़ रहा है जो रुकने का नाम नहीं ले रहा। 

कांग्रेस नगर निगम भंग कर पुन: चुनाव करवाने की बना रही रणनीति 
नगर निगम बठिंडा के चुनाव 9 मार्च 2015 में हुए थे, जिनके 5 वर्ष 8 मार्च 2020 में पूरे होने जा रहे हैं। कांग्रेस की रणनीति यह है कि इससे पहले ही नगर निगम भंग कर पुन: चुनाव करवाए जाएं, क्योंकि अगर कांग्रेस कुछ अन्य पार्षद साथ में जोड़ कर मेयर बनाने की कोशिश करती है तो वह तीन-चार महीने के लिए ही बनेगा, जिसके लिए कांग्रेस कोई भी जोखिम नहीं उठाना चाहती। लोकसभा चुनाव 19 मई को होने जा रहे हैं 23 मई को इसके नतीजे आएंगे। इसके तुरन्त बाद ही बहुमत साबित करने के लिए मेयर को चैलेंज किया जाएगा। बहुमत पूरा न होने से मेयर को मजबूरन अस्तीफा देना होगा जो कांग्रेस चाहती है। 

कांग्रेस को बठिंडा शहर का विकास बर्दाश्त नहीं : मेयर
बलवंत राय नाथ मेयर ने कहा कि नगर निगम के चुनाव फरवरी या मार्च 2020 में होने जा रहे हैं। कांग्रेस को बङ्क्षठडा शहर का विकास बर्दाश्त नहीं, जबसे कांग्रेस सरकार बनी है तभी से नगर निगम को लेकर साजिशें की जा रही हैं। वित्त मंत्री बठिंडा से विधायक होने के कारण शहर के लिए निगम को कोई फंड जारी नहीं  कर रहा जबकि जो भी विकास कार्य के लिए राशि भेजी गई है वह मंडी बोर्ड या नगर सुधार ट्रस्ट को भेजी जा रही है। नगर निगम के सभी पार्षद व मेयर लोगों द्वारा चुने हुए हैं जिन पर कांग्रेस को कतई भरोसा नहीं। निगम का खजाना खाली होने के बावजूद स्वच्छ अभियान के तहत निगम 2 बार पंजाब में नम्बर वन व देश में 27वें नम्बर पर आया। उनकी कोशिश है कि बठिंडा नगर निगम को स्वच्छ अभियान में पहला, दूसरा व तीसरा दर्जा प्राप्त हो लेकिन कांग्रेस इसके उल्ट चाहती है। निगम को तोडऩे की लगातार साजिशें जारी हैं। पार्षदों को धमका कर साथ जोड़ा जा रहा है जिसके लिए प्रैसवार्ता भी की गई थी लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला। 

मेयर ने प्राइवेट कम्पनियों को पहुंचाया फायदा : विपक्ष
नगर निगम बठिंडा विपक्ष के नेता का कहना है कि अकाली-भाजपा गठबंधन में बनाए गए मेयर ने प्राईवेट कम्पनियों को फायदा पहुंचाया। त्रिवेणी जैसी कंपनी को तीन सौ करोड़ रुपए के कार्य दिए गए जो दरें बाजारी भाव से कहीं अधिक थीं। शहर वासियों के हितों के खिलाफ मेयर व उसकी टीम ने काम किया। हमारा फर्ज है कि लोगों के पैसे का दुरुपयोग न हो व विकास कार्य सम्पन्न हों। उनका कहना है कि स्वच्छ अभियान में नम्बर बनाने की जो होड़ लगी थी क्या यह केवल स्वच्छ अभियान सप्ताह तक ही सीमित था लोगों को इसका क्या फायदा हुआ। लेकिन एक महीना शहर की सफाई रही जबकि ग्यारह महीने लोग गंदगी से जूझते रहे। निगम ने सफाई के लिए कोई काम नहीं किया।

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