जहरीली हवा की चपेट में बठिंडा-मानसा, हल्की बूंदा-बांदी से मिली कुछ राहत

Edited By Anjna,Updated: 17 Jun, 2018 08:38 AM

air pollution in bhatinda

4 दिनों से मौसम में आए अचानक बदलाव से बठिंडा-मानसा जिले धूल-मिट्टी घूली जहरीली हवा की चपेट में आ गए हैं, जिसके चलते क्वालिटी इंडैक्स खतरनाक मोड पर चल रहा है, लेकिन देर शाम हल्की बूंदा-बांदी से लोगों को कुछ राहत मिली।

बठिंडा (विजय): 4 दिनों से मौसम में आए अचानक बदलाव से बठिंडा-मानसा जिले धूल-मिट्टी घूली जहरीली हवा की चपेट में आ गए हैं, जिसके चलते क्वालिटी इंडैक्स खतरनाक मोड पर चल रहा है, लेकिन देर शाम हल्की बूंदा-बांदी से लोगों को कुछ राहत मिली। धूल भरी आंधी के कारण सांस लेना भी दूभर हुआ पड़ा है, जबकि बठिंडा के इंडैक्स का आंकड़ा 430 को पार कर गया।

गर्म हवाओं व धूल के कारण खुले आसमान में धूल का गुब्बार बन गया है। धूल के कण सांस के जरिए शरीर में पहुंच रहे हैं, जिससे दम घुटने की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। मौसम विभाग की मानी जाए तो 10 वर्षों के अंतराल में यह पहला मौका है कि हवा में दूषित कण 5 हजार गुना बढ़ गए, जो कई बीमारियों का कारण भी बन रहा है। एम.पी.-2 की स्थिति पी.एम.-2.5 है। ऐसे में वातावरण की अशुद्धता को कुदरती तबाही के आलम के रूप में देखा जा रहा है। धूल भरी आंधी के कारण 4 दिनों से सूर्य भी नजर नहीं आया जिससे उमस बढ़ी है।

दूषित हवा से बचने के उपाय
- नियमित सैर व व्यायाम को बंद किया जाए।
-वरिष्ठ नागरिकों सहित खिलाड़ी खुले में कसरत व खेल न खेलें।
- ट्रक, ट्रालियां व अन्य वाहनों पर खुले में मिट्टी-रेत नहीं भरनी चाहिए।
- अधिक से अधिक वाटर कूलर का उपयोग किया जाए। 
- लोगों को सलाह है कि बच्चों को बाहर न जाने दें।
- निर्माण कार्य बिना देरी बंद किए जाने चाहिएं।
- रोगियों को विशेष तौर पर बंद कमरे से बाहर नहीं जाना चाहिए।

अस्पतालों में सांस रोगियों की भरमार
कुदरती प्रकोप के चलते धूल भरी दूषित हवा से सांस की बीमारियां बढ़ी हैं जिससे अस्पतालों मे रोगियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। सरकारी व निजी अस्पतालों में खाली बिस्तर भी मिलना मुश्किल हुआ है। जबकि डाक्टर प्राथमिक उपचार कर रोगियों को छुट्टी दे रहे हैं।

जिंदल हार्ट के डाक्टर राजेश जिंदल का कहना है कि इस दूषित हवा से सांस लेने में परेशानी आ रही है, जबकि यह स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक है। सिविल अस्पताल के डा. गुरमेल सिंह ने बताया कि दूषित हवा से छाती ब्लॉक होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता, जबकि  हृदय पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है। उनका मानना है कि हालात ङ्क्षचताजनक होते जा रहे हैं। अगर एक-दो दिन में हालात न सुधरे तो रोगियों की संख्या में दोगुनी वृद्धि हो सकती है। 

क्या कहना है प्रदूषण बोर्ड का?
प्रदूषण विभाग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि रेगिस्तान व राजस्थान से धूल के कण उड़कर उत्तरी भारत के आसमान पर छा गए हैं, जिससे तापमान में वृद्धि हुई व एयर क्वालिटी सर्वाधिक स्तर पर पहुंच गया, जो एक ङ्क्षचता का विषय है। प्रदूषण बोर्ड की सिफारिश पर पंजाब सरकार ने राज्य को प्राकृतिक आपदा घोषित किया है। इसका स्वास्थ्य पर खतरनाक असर पड़ सकता है। उक्त वातावरण शरीर के लिए नुक्सानदेह है।  

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